राजनेताओं के झुंड की आंखो में खटकते सीएम!

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड की डेढ़़ करोड से अधिक जनता भले ही राज्य के मुख्यमंत्री की स्वच्छ और पारदर्शी सरकार चलाने की शैली से गदगद नजर आ रहे हैं लेकिन यह भी एक बडा सच है कि मुख्यमंत्री को अस्थिर करने के लिए आये दिन कुछ राजनेता और उनके साथ रहने वाले कुछ सफेदपोश साजिशों का चक्रव्यूह रचने से अभी भी बाज नहीं आ रहे हैं? धामी को निशाने पर लेने का एक बार फिर चक्रव्यूह रचा जा रहा है और इसके लिए अफवाहों का धुंआ राजधानी से लेकर दिल्ली तक फैलाने की साजिश को अमलीजामा एक रणनीति के तहत दिया जा रहा है। उत्तराखण्ड की राजनीतिक गलियारों में यह आशंकायें पनप रही हैं कि मुख्यमंत्री कुछ राजनेताओं के बनाये झुंड की आंखों में इन दिनों तेजी के साथ खटक रहे हैं और उसी के चलते उन्हें किसी न किसी बहाने कमजोर करने का खेल खेला जा रहा है? साजिशों का यह खेल खेलने वाले कौन है इसको लेकर बार-बार कुछ नाम हवा में तैर रहे हैं और इससे साफ नजर आ रहा है कि मुख्यमंत्री को एक साजिश के तहत निशाने पर लेने के एजेंडे पर एक सिंडिकेट आगे आ रखा है जिसमें सफेदपोश, राजनेता और मीडिया के कुछ लोग शामिल हैं जो पर्दे के पीछे से सीएम को अपने चक्रव्यूह में धेरने के एजेंडे पर खामोशी से आगे आ रखे हैं?
उत्तर प्रदेश से अलग हुये उत्तराखण्ड को एक नई पहचान दिलाने के लिए आंदोलनकारियों ने अपनी शहादत दी थी और हजारों आंदोलनकारियों ने अपना राज्य पाने के लिए पुलिस के डंडे और गोलियां तक खाई थी। उत्तराखण्ड का जन्म होने के बाद शहीद आंदोलनकारियों के साथ आंदोलन करने वाले हजारों आंदोलनकारियों के मन में एक आस थी कि अब उनके सपनों का उत्तराखण्ड बनेगा लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था। उत्तराखण्ड की जनता ने कई पूर्व मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल देखा जिसमें वह हमेशा अपने आपको ठगा हुआ ही महसूस करते रहे क्योंकि उन्हें कभी भी ऐसा आभास नहीं हुआ कि उनके सपनों का उत्तराखण्ड बन गया है? आंदोलनकारियों ने राज्य बनने के बाद फिर आंदोलन की राह पकडी और अपनी मांगों को लेकर वह हमेशा धरने प्रदर्शन करने के लिए भी आगे बढे लेकिन किसी भी पूर्व सरकार ने उनका दर्द समझने के लिए अपने आपको आगे नहीं किया था? वहीं जबसे युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया है तबसे उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों के दर्द को समझते हुए उन्हें अपने करीब लाने का जो सिलसिला शुरू किया था उसे देखकर हजारों आंदोलनकारियों के मन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को लेकर एक नई आस बंध गई थी कि वह शहीद आंदोलनकारियों के सपनों का उत्तराखण्ड बनाने के लिए जरूर आगे आयेंगे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने जब आंदोलनकारियों ने सरकारी नौकरियों में दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिये जाने की मांग रखी थी तो मुख्यमंत्री ने उन्हें उसी समय विश्वास दिला दिया था कि वह उनकी इस मांग को जल्द से जल्द पूरा कर देंगे। अपनी बात के धनी माने जाने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने काफी समय पूर्व कैबिनेट बैठक में आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में दस प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिये जाने पर अपनी मोहर लगाकर उसे राज्यपाल के पास भेज दिया था और कुछ समय पूर्व राज्यपाल ने भी इस पर अपनी मोहर लगाकर आंदोलनकारियों के सपने को पंख लगा दिये थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की स्वच्छ और पारदर्शी राजनीति से जहां राज्य की जनता गदगद नजर आ रही है वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कुछ राजनेताओं के झुंड की आंखों में लोकसभा चुनाव के बाद से तो तेजी के साथ खटकने शुरू हो गये हैं? भले ही राज्य की राजनीति में सबकुछ सामान्य दिखाई दे रहा हो लेकिन यह भी एक बडा सच है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सत्ता में अस्थिर करने के लिए कुछ राजनेताओं, सफेदपोशों और मीडिया के कुछ कलमवीरों ने एक एजेंडे के तहत उनके खिलाफ साजिशों का बडे नाटकीय ढंग से चक्रव्यूह रचना शुरू कर रखा है? सवाल है कि आखिरकार क्या इस साजिश में राज्य के कुछ अफसर भी पर्दे के पीछे रहकर उस सिंडिकेट के पाले में खडे हुये हैं जिन्हें मुख्यमंत्री की स्वच्छ और पारदर्शी सरकार चलाने की शैली रास नहीं आ रही है?

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