शहर की फिजा बिगाडने की किसने रची थी साजिश?

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देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री और डीजीपी ने राज्य मे साफ संदेश दे रखा है कि अगर किसी ने भी धार्मिक उन्नमाद फैलाकर उत्तराखण्ड की फिजाओं को बिगाडने का दुसाहस किया तो उसे किसी भी कीमत पर बक्शा नहीं जायेगा। मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड को शांतप्रिय राज्य बनाये रखने के लिए हमेशा अराजकतत्वों को अल्टीमेटम देते आये हैं कि अगर किसी ने भी उत्तराखण्ड के अन्दर अशांति फैलाने का ख्वाब भी देखा तो उसके खिलाफ सख्त एक्शन किया जायेगा हैरानी वाली बात है कि मुख्यमंत्री की सख्त चेतावनी के बावजूद शहर की फिजा को खराब करने के लिए देर रात जो तांडव रचा गया उसको लेकर अब यह सवाल भी हर किसी के जहन में आने लगा है कि शहर की फिजा को खराब करने की आखिर किसने सुनियोजित साजिश रची थी? हैरानी वाली बात है कि मामला उत्तर प्रदेश बदायु यूपी का होने के बावजूद नाबालिग बालिका के प्रकरण में विभिन्न समुदायों द्वारा कानून एवं शांति व्यवस्था बिगाडने की जिन्होंने कोशिश की आखिर वो लोग कौन थे? शहर में अशांति फैलाने के लिए आखिर वो लोग पर्दे के पीछे जो आज घंटाघर पर काफी लोगों को उकसाने के एजेंडे पर आगे बढे हुये थे वह कभी किसी सरकार के चहेते हुआ करते थे ऐसी चर्चाएं भी उस समय जन्म ले रही थी जब घंटाघर बंद कराकर वहां हंगामा मचाया जा रहा था। पुलिस ने दोपहर विकास को नोटिस देकर उसे छोड़ दिया।
राजधानी के जिला व पुलिस प्रशासन ने सख्त रूख अपना रखा है कि अगर किसी ने भी शहर की फिजा को खराब करने का काम किया तो किसी के साथ भी नरमी नहीं बरती जायेगी। शहर में हमेशा अमन चैन देखकर कुछ ऐसे चेहरे बार-बार नजर आ रहे हैं जो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार की स्वच्छता के साथ चल रही सरकार को अपने निशाने पर लेने का खेल खेलने से नहीं चूक रहे हैं? कुछ माह पूर्व रायपुर इलाके में एक गोलीकांड के बाद सरकार को निशाने पर लेने का जो चक्रव्यूह रचा गया था उस चक्रव्यूह को डीजीपी अभिनव कुमार की सख्ती के बाद नेस्तनाबूत कर दिया गया था और जो शैतानी चेहरे इस मामले को हवा देने के एजेंडे पर आगे बढ रहे थे उनके चेहरे स्कैन करके पुलिस कप्तान अजय सिंह ने सख्त रूख अपनाना शुरू किया था जिसके बाद साजिश का खेल तार-तार हो गया था। वहीं बीते रोज उत्तर प्रदेश एवं दातागंज जिला बदायु निवासी अजय के साथ एक नाबालिग युवती जब रेलवे स्टेशन देहरादून पर धूम रही थी तो आरपीएफ ने संदेह पर युवक व युवती से पूछताछ की तो वह सही जवाब नहीं दे पाये तो दोनो को कार्यालय में बिठाया गया था इसी बीच लडकी के घरवालों से सम्पर्क होने पर पता चला कि वह एक दिन पूर्व बिना बताये देहरादून आई है जिसकी गुमशुदगी बदायु थाने में दर्ज है। उक्त घटना अलग-अलग समुदाय से सम्बन्धित होने के कारण कुछ व्यक्तियों द्वारा साम्प्रदायिक सौहार्द को बिगाडने का प्रयास किया गया लेकिन जनपद के पुलिस कप्तान अजय सिंह ने जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ मिलकर स्थिति पर काबू पाया था और अराजकता फैलाने वालों को चिन्हित करने का ऑपरेशन शुरू किया था। रेलवे स्टेशन में गैर प्रांत की नाबालिग बालिका के प्रकरण में विभिन्न समुदाय द्वारा कानून एवं शांति व्यवस्था बिगाडने की कोशिश की गई जिस पर कोतवाली में संगीन धाराओं के साथ क्रिमनल लॉ अमेंडमेंट एक्ट के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज किया गया था और सीसीटीवी फुटेज व वीडियो प्राप्त कर शहर की फिजा को खराब करने वालों शिकंजा कसने का ऑपरेशन चलाया। पुलिस कप्तान ने साफ अल्टीमेटम दिया कि शहर की फिजा को खराब करने वालों को किसी भी कीमत पर बक्शा नहीं जायेगा। पुलिस ने इस मामले मे बजरंग दल के एक नेता को अपनी हिरासत में लिया तो उसके बाद बजरंग दल के पदाधिकारियों ने पल्टन बाजार बंद कराने के लिए वहां दस्तक दी और बाजार बंद कराकर वह शहर पुलिस कप्तान अजय सिंह के खिलाफ अपना जहर उगलने के लिए भाषणबाजी करने लगे और ऐलान किया कि जब तक विकास वर्मा को नहीं छोडा जाता तब तक वह यहां से नहीं उठेंगे और जब तक पुलिस कप्तान को बर्खास्त नहीं किया जाता तब तक वह यहां से नहीं हटेंगे। हरिद्वार से आये बजरंग दल के एक पदाधिकारी ने ऐलान किया कि अगर विकास वर्मा को रिहा न किया गया और पुलिस कप्तान को बर्खास्त नहीं किया गया तो वह समूचा उत्तराखण्ड बंद करायेंगे। घंटाघर पर जाम लगाकर जिस तरह से पुलिस प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुआ उससे यह सवाल तैरने लग गये कि शहर की फिजा को खराब करने के लिए आखिर किसने सुनियोजित साजिश रची थी? साजिश की बू इसलिए भी आ रही है कि मामला उत्तर प्रदेश बदायु का था और शहर की फिजा खराब करने के लिए रेलवे स्टेशन के आसपास खुलेआम संग्राम का जो तांडव मचा उससे यह सवाल खडा हो गया कि क्या मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार को निशाने पर लेने के लिए उनके ही कुछ अपनों ने पर्दे के पीछे रहकर कोई परपंच तो नहीं रचा है? इस मामले को हवा देने के लिए आखिर वो कौन लोग हैं जो पर्दे के पीछे रहकर घंटाघर पर अपनी दस्तक देकर वहां के माहौल में अशांति फैलाने के एजेंडे पर आगे खडे थे? घंटाघर के आसपास वो कुछ चेहरे भी मौजूद थे जो कभी सरकार का हिस्सा हुआ करते थे?

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