सुनार डकैती खुलासे को डीजीपी खुद डटे मोर्चे पर
सीएम के अपराधमुक्त उत्तराखण्ड का सपना चढेगा परवान
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड को अपराधमुक्त करने का जो सपना देख रखा है उसे धरातल पर उतारने के लिए उनके तेज तर्रार डीजीपी ने संकल्प ले रखा है कि वह राज्य में अपराधियों को मिट्टी मे मिला देंगे। मुख्यमंत्री और डीजीपी ने अपराधियों के खिलाफ बडा मोर्चा खोलने के लिए राज्य के सभी बॉडर पर पुलिस व खुफिया तंत्र को चौकस कर दिया है और जिन डकैतों ने हरिद्वार में सुनार की दुकान में डकैती डालने का दुसाहस किया था उन्हें देश के किसी भी कोने से खोज निकालने के लिए डीजीपी ने खुद मोर्चा संभाल रखा है और वह अब अपराधियों के खिलाफ खुली जंग लडते हुए दिखाई देंगे क्योंकि वह राज्य में एक-एक अपराधी को चुन-चुन कर उन्हें खाकी का इकबाल दिखायेंगे कि अब वो जमाना बीत गया जब बदमाशों के मन मंे यह धारणा बनी हुई थी कि उत्तराखण्ड की मित्र पुलिस इतनी कमजोर है कि वह गोली का जवाब गोली से देने मे डरती थी। उत्तराखण्ड में चंद अपराध घटित क्या हुये कुछ साजिशकर्ताओं ने साजिश का ऐसा भोपू बजाना शुरू कर दिया मानो उत्तराखण्ड में सडकों पर आये दिन मारकाट मची हुई है और पुलिस एक शो-पीस बनकर बैठी हुई है? डीजीपी को नजदीक से पहचानने वालों को यह भरोसा है कि वह मुख्यमंत्री के अपराधमुक्त उत्तराखण्ड के सपने को शत-प्रतिशत परवान चढायेंगे और उन साजिशकर्ताओं को भी अपनी पुलिसिंग का इकबाल दिखायेंगे जो इन दिनों फर्जी अपराध बढने का भोपू बजा रहे हैं।
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिस दिन अभिनव कुमार को डीजीपी की कुर्सी पर आसीन किया उसी दिन डीजीपी अभिनव कुमार ने शपथ ली थी कि वह उत्तराखण्ड को अपराधमुक्त करने तक खामोश नहीं बैठेंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को डीजीपी अभिनव कुमार की तेज तर्रार पुलिसिंग पर बडा भरोसा है यही कारण है कि उन्होंने डीजीपी को खुली छूट दे दी है कि जो राज्य में अपराध करने का दुसाहस करे उसे मिट्टी में मिला दिया जाये। डीजीपी अभिनव कुमार एक ऐसे पुलिस अफसर हैं जो किसी भी अपराध के घटित होनेे के बाद तब तक चैन से नहीं बैठते जब तक अपराध करने वाले अपराधियों को वह उनके दुसाहस पर हंटर नहीं चला देते। सबसे बडा सवाल यह है कि आखिरकार वो कौन सी शक्तियां हैं जो डीजीपी अभिनव कुमार की तैनाती के बाद से ही उनके खिलाफ कोई न कोई साजिश का चक्रव्यूह रचने में जुटी हुई है? मुख्यमंत्री और डीजीपी उत्तराखण्ड के रक्षक बनकर राज्यवासियों को साफ संदेश दे रहे हैं कि उत्तराखण्ड के अन्दर अपराध करने का अंजाम हर उस अपराधी को भुगतना पडेगा जो राज्य की जनता को अपना खौफ दिखाने का दुसाहस करेगा। डीजीपी अभिनव कुमार किसी भी अपराध होने के बाद उसे खुले रूप से स्वीकारते हुए अपराधियों की उस चुनौती को अपने दिल पर लेते हैं और उसके बाद वह उत्तराखण्ड से लेकर देशभर की एसटीएफ और सुरक्षा एजेंसियों से संवाद कर अपराधियों को उनके बिलों से खोज निकालने का हमेशा बडा ऑपरेशन चलाते हुए दिखाई दिये हैं।
उत्तराखण्ड में अगर दो चार अपराध हो गये तो ऐसा कौन सा भूचाल मच गया जिससे कुछ राजनेता एक साजिश के तहत सिर्फ और सिर्फ डीजीपी को अपनी रडार पर लेकर उन्हें निशाने पर लेने का चक्रव्यूह रच रहे हैं। ऐसे राजनेताओं को इस बात का इल्म होना चाहिए कि डीजीपी वो डीजीपी नहीं है जो किसी भी अपराध के बाद पुलिस टीमांे पर अपराध खोलने का भरोसा कर खामोश बैठ जायें। डीजीपी ने हमेशा अपने कार्यकाल में हुये अपराध के बाद खुद मौके पर जाकर पीडित पक्ष को विश्वास दिलाया कि उनके साथ अपराध करने का जिसने भी दुसाहस किया है उसे बक्शा नहीं जायेेगा।
आधा दर्जन राज्यों में डकैती की तलाश
हरिद्वार में सुनार की दुकान में हुई डकैती की घटना को अंजाम देकर भले ही अपराधी यह भ्र्रम पाल गये हों कि वह उत्तराखण्ड की सीमा से वारदात करके फरार हो गये हैं लेकिन उन्हें राज्य के तेज तर्रार डीजीपी अभिनव कुमार की रडार पर आने से कोई नहीं रोक पायेगा यह भी एक बडा सच है। डीजीपी अभिनव कुमार ने डकैतों की तलाश में पुलिस व एसटीएफ की टीमों को आधा दर्जन राज्यों में रवाना किया हुआ है और कहीं न कहीं अपराधियों को भी यह भय बना होगा कि उत्तराखण्ड की पुलिस अब उन्हें कहीं से भी खोज निकालने के लिए चैन से नहीं बैठेगी। डीजीपी अभिनव कुमार डकैती की इस वारदात से रात-दिन अपराधियों की खोज के लिए बेचैन दिखाई दे रहे हैं और वह एक संकल्प लिये हुये हैं कि जब तक डकैतों को उनके दुसाहस के लिए बडा सबक नहीं सिखा देंगे तब तक वह चैन से नहीं बैठेंगे।
सीएम की आंख में आंसू देख तडफ गये थे डीजीपी
उत्तराखण्डवासियों ने राज्य में कई पूर्व डीजीपी का कार्यकाल देखा है और उन्होंने यह भी देखा है कि राज्य में जब भी कोई बडा अपराध घटित हुआ तो अधिकांश डीजीपी मौके पर जाने के लिए भी कभी पुलिस मुख्यालय से बाहर नहीं निकलते थे और यही कारण है कि अधिकांश डीजीपी सिर्फ आवाम के बीच यही साबित करते थे कि डीजीपी अपनी पुलिस से ही अपराधियों के खिलाफ ऑपरेशन चलायेंगे लेकिन उत्तराखण्ड के डीजीपी अभिनव कुमार की सोच बिल्कुल अलग है और वह किसी भी बडे अपराध के बाद खुद मोर्चा संभालने के लिए आगे बढ निकलते हैं। उधमसिंह नगर के नानकमत्ता में जब डेरा प्रमुख तरसेम सिंह की गोली मारकर हत्या की गई तो मौके पर पहुंचे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गुरूद्वारे के सेवादारों से मिलने के बाद इतने भावुक हुये थे कि उनकी आंख से आंसू बह गये थे। सीएम की आंख में आंसू देख डीजीपी तडफ गये थे और उन्होंने यह साफ कहा था कि अगर उनके राज्य के मुखिया की आंख में आंसू आये हैं तो उनके हर आंसू का बदला जब तक वह नहीं लेंगे तब तक वह चैन से नहीं बैठेंगे और बारह दिन तक डीजीपी ने इतना बडा ऑपरेशन सुपारी किलर के लिए चलाया कि उनमें से एक कुख्यात सुपारी किलर हरिद्वार मंे एसटीएफ के हाथों मौत की नींद सो गया था। ऐसे में समझा जा सकता है कि दबंग डीजीपी डकैती की वारदात से रात को चैन से नहीं सो पा रहे हैं।