अटैचमेंट का डीजीपी ने तोडा ‘चक्रव्यूह’

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सालों से अटैचमेंट पर तैनात दरोगाओं मे मचेगी खलबली!
दरोगाओं के तबादले और शंकाओं का लगा अम्बार?
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। गढवाल रेंज के आईजी ने चंद दिन पूर्व रेंज में अनुकम्पा के आधार पर हैड कांस्टेबल, कांस्टेबलों के तबादलों के साथ-साथ दरोगाओं और कोतवालों के तबादलों पर अपनी मुहर लगाकर पुलिस विभाग मे एक नई हलचल मचा दी थी। अब इन तबादलों को लेकर पुलिस महकमे के अन्दर ही शंकाओं का अम्बार लगा हुआ है कि आईजी ने जो तबादले किये हैं क्या वह परवान चढ पायेंगे या फिर अपनी पहुंच के चलते काफी दरोगा और कोतवाल अपना तबादला रूकवाने के खेल मे सफलता की सीढी चढ जायेंगे? सवाल यह भी तैर रहा है कि कुछ दरोगा ऐसे भी हैं जिनका वर्षों पूर्व पहाडों मे तबादला हुआ था लेकिन वह अपना अटैचमेंट कराकर कभी भी अपनी मूल पोस्टिंग पर तैनाती के लिए नहीं गये जिसको लेकर यह बहस चलती रही है कि आखिरकार जब किसी का तबादला हो जाता है तो फिर अटैचमेंट के लिए कुछ अफसर क्यों अपने ही आदेश को हवा मे उडा देते हैं? हालांकि उत्तराखण्ड पुलिस की कमान ईमानदार डीजीपी के हाथो मे है और वह हमेशा पारदर्शिता के साथ महकमा चलाने के लिए आगे आते रहे हैं और महकमे के अन्दर यह बहस भी जन्म ले रही है कि डीजीपी के होते हुए सम्भवतः कोई दरोगा या कोतवाल अपनी नई पोस्टिंग पर जाने से नहीं बच पायेगा? वहीं अब राज्य की पुलिस मे अटैचमेंट का चक्रव्यूह तेज तर्रार डीजीपी तोडने के लिए आगे आ गये हैं और अब अटैचमेंट के लिए दरोगा या इंस्पेक्टर को सीधे डीजीपी के सामने ही पेश होना पडेगा जिससे यह बात साफ हो रही है कि अपनी राजनीतिक पहुंच के चलते जो दरोगा और इंस्पेक्टर रेंज से अटैचमेंट कराने मे सफल हो जाते थे उस पर अब आने वाले समय मे पानी फिरता हुआ नजर आयेगा? वहीं बहस चल रही है कि जो कुछ वर्षों से लगातार अटैचमेंट पर डटे हुये है क्या उनकी फाइल को भी पुलिस मुख्यालय खंगाल कर यह आंकलन करेगा कि आखिरकार वर्षों से कोई दरोगा कैसे अटैचमेंट पर तैनात रह सकता है?
उत्तराखण्ड की कमान ईमानदार डीजीपी अभिनव कुमार के हाथो मे है और उनका पुलिस मे अगर इतिहास देखा जाये तो उन्हांेने हमेशा पारदर्शिता के साथ पुलिसिंग करने मे ही विश्वास रखा है और उनके कार्यकाल मे कोई अपनी मर्जी से कहीं पोस्टिंग पा ले ऐसा कभी सम्भव ही हुआ। डीजीपी को पुलिस महकमे के अन्दर नजदीक से पहचानने वाले छोटे अधिकारी भी जानते हैं कि वह पुलिस महकमे के अन्दर हमेशा पारदर्शिता के साथ काम करते हैं और जिनके तबादलों पर एक बार मुहर लग जाती है तो फिर वह तबादले परवान चढकर ही रहते हैं। अभी चंद दिन पूर्व गढवाल रेंज के आईजी करन सिंह नग्नयाल ने काफी पुलिसकर्मियों, हेस्टकांस्टेबलों, इंस्पेक्टरों और दरोगाओं के तबादलों को हरी झण्डी दी है। गढवाल रेंज मे काफी संख्या मे दरोगाओं और इंस्पेक्टरों के हुये तबादलों को लेकर पुलिस महकमे ने उसी दिन से ही एक बडी खलबली सी मची हुई है? तबादलों को अंतिम रूप दिये जाने के बाद पुलिस महकमे के अन्दर ही यह बहस भी जन्म ले रही है कि क्या गढवाल रेंज के आईजी ने जिन दरोगाओं और इंस्पेक्टरों के तबादलों को हरी झण्डी दी है क्या वह नई तैनाती मे अपनी रवानगी करायेंगे या फिर कुछ दरोगा और इंस्पेक्टर अपनी राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल कर अपनी नई तैनाती पर जाने से अपने आपको बचा लेंगे? एक लम्बे अर्से बाद गढवाल रेंज के आईजी ने बडी संख्या मे दरोगाओं और इस्पेक्टरों के तबादले किये हैं लेकिन क्या इस तबादले आदेश का सख्ती से पालन कराने के लिए आईजी आगे आयेंगे यह एक नई बहस को जन्म दे रहा है?
उत्तराखण्ड के अन्दर वर्षों से कुछ दरोगाओं को जब भी पहाड चढाने के लिए पुलिस अफसरों ने कोई कसरत की तो उसके बाद कुछ दरोगाओं ने अपनी पहुंच के चलते अपना अटैचमेंट कराकर अपने आपको उसी जनपद मे बनाये रखा था जहां से उसकी नये जिले मे तैनाती हुई थी? सवाल खडा हो रहा है कि क्या पुलिस मुख्यालय उन दरोगाओं की सूची को भी खंगालेंगे जिन्होंने अपने आपको वर्षों से अटैचमेंट करा रखा है? अटैचमेंट का खेल पुलिस महकमे के अन्दर एक शुद्ध परम्परा नहीं माना जाता क्योंकि कुछ दरोगा और इंस्पेक्टर सिर्फ अपनी पहुंच के चलते वर्षों से अपना अटैचमेंट कराने मे सफलता की सीढी पर चढते रहे हैं? हालांकि उत्तराखण्ड की कमान अब डीजीपी अभिनव कुमार के हाथो मे है हमेशा पुलिस महकमे के अन्दर पारदर्शिता के साथ महकमे को चलाने के लिए आगे आते रहे हैं और वह पहले ऐसे डीजीपी दिखाई दे रहे हैं जो अपने अफसरों को बाटे गये काम के आवंटन मे कभी भी दखलअंदाजी नहीं करते और उसके चलते राज्य की पुलिस इस समय अपने आपको सुकून मे महसूस कर रही है कि पुलिस महकमे के अन्दर अब तबादलों मे तो सिफारिशों का खेल नहीं चल पायेगा। डीजीपी अभिनव कुमार अपनी सख्त शैली को हमेशा एक जैसा बनाये हुये हैं और अब ट्रासफर रूकवाने व अटैचमंेट की सिफारिशों के खेल के चक्रव्यूह को भेदने के लिए डीजीपी अभिनव कुमार सख्ती के साथ आगे आ गये हैं और ट्रसफर एक्ट मे संशोधन किया गया है जिसके अनुसार इंस्पेक्टर व दरोगा रैंक के पुलिसकर्मियों के तबादले रोकने व अटैचमेंट करने के लिए अब डीजीपी का अनुमोदन लेना जरूरी होगा। इतना ही नहीं अनुमोदन के दौरान सम्बन्धित इंस्पेक्टर व दरोगा को डीजीपी के समक्ष पेश होकर अपनी परेशानी बतानी होगी तब जाकर पुलिस महकमा स्थानान्तरण रोकने व अटैचमेंट करने पर निर्णय लेगा हालांकि संशोधन से पहले तक यह निर्णय रेंज स्तर पर लिया जाता था। पुलिस मुख्यालय के तबादला रूकवाने व अटैचमेंट को लेकर जो संशोधन किया गया है उससे उन दरोगा व इंस्पेक्टरों की नींद उड गई है जो अपने तबादले होने के बाद अपना तबादला रूकवाने और अटैचमेंट कराने की रणनीति मे सफल हो जाते थे।

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