सरकारी बैंकों के दो दिन पर हड़ताल पर चले जाने से लोगों को हो रही खासी परेशानी

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सोमवार से सरकारी बैंकों के दो दिन पर हड़ताल पर चले जाने से लोगों को खासी परेशानी हो रही है। इन बैंकों से कैश विड्रॉल, डिपॉजिट, चेक क्लियरेंस और कारोबारी लेनदेन पर असर पड़ा है। सरकारी बैंकों ने अपने कस्टमर्स को बता दिया था कि उन्हें लेनदेन के लिए डिजिटल तरीकों का इस्तेमाल करना होगा। केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में 10 बैंकों का 4 बैंकों में विलय कर दिया था जिसके बाद सरकारी बैंकों की संख्या 12 रह गई थी। अभी इनका कंसॉलिडेशन जारी है, ऐसे में निजीकरण से नुकसान हो सकता है। इस साल के बजट में सरकार ने दो बैंकों और एक बीमा कंपनी के निजीकरण की बात कही है। सरकारी बैंक के के कर्मचारी एवं अधिकारी इसी का विरोध करते हुए हड़ताल पर हैं। आइए जानते हैं हड़ताल और निजीकरण से जुड़े 5 अहम सवालों के जवाब।

सरकार ने 2019 में आइडीबीआइ बैंक में अपना अधिकतर हिस्सा एलआइसी को बेचकर उसका निजीकरण दिया था। पिछले चार साल में सरकारी क्षेत्र के 14 बैंकों का विलय हो चुका है। बजट 2021-22 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव रखा। बैंक कर्मी इसी का विरोध कर रहे हैं। अतिरिक्त मुख्य श्रम आयुक्त के साथ 4, 9 और 10 मार्च को हुई बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला इसलिए हड़ताल हो रही है। बैंक यूनियंस के बाद जनरल इंश्योरेंस कंपनियां 17 मार्च को हड़ताल पर रहेंगी।

हड़ताल में करीब 10 लाख बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के शामिल होने का दावा

नौ यूनियनों के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने 15-16 मार्च को हड़ताल का ऐलान किया था। इसके बैनर तलें नौ बैंक यूनियनें हैं- एआईबीईए, एआईबीओसी, एनसीबीई, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीओसी, एनओबीडब्ल्यू और एनओबीओ। यूनियन नेताओं ने दो दिन की इस हड़ताल में करीब 10 लाख बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के शामिल होने का दावा किया। एक बैंक अधिकारी ने कहा कि प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्केल के 100 प्रतिशत कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए।

सरकारी बैंकों की शाखाओं में मिलने वाली सेवाएं नहीं मिलेंगी। मसलन आप ब्रांच जाकर कैश जमा या निकाल नहीं सकते। चेक क्लियरेंस भी सोमवार और मंगलवार को नहीं हो पाएगा। कुल मिलाकर जिन-जिन कामों के लिए आपको बैंक की ब्रांच का रुख करना पड़ता है, वो नहीं हो पाएंगे। हां, राहत की बात ये है कि आप काफी सारी सेवाएं ऑनलाइन एक्सेस कर सकते हैं। इसमें मनी ट्रांसफर, अकाउंट स्टेटमेंट, एफडी ओपन करना, बिलों का भुगतान, ऑनलाइन पेमेंट, चेक बुक ऑर्डर वगैरह शामिल हैं।

नीति आयोग ने 6 सरकारी बैंकों को निजीकरण योजना से बाहर रखा है। इनमें पंजाब नैशनल बैंक, यूनियन बैंक, कैनरा बैंक, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और एसबीआई शामिल हैं। वित्त मंत्रालय की भी यही राय है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘जो सरकारी बैंक कंसॉलिडेशन एक्सरसाइज का हिस्सा थे, उन्हें निजीकरण योजना से अलग रखा गया है।’

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