व्यापारियों ने पुुतला फू ंककर की बिजली बढ़ोत्तरी वापसी की मांग

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देहरादून(नगर संवाददाता)। व्यापारियों ने बिजली के बड़े दामों के विरोध में डिस्पेंसरी रोड चौक पर बिजली विभाग का पुतला फूंकते हुए व्यापारियों ने बिजली के बड़े दामों को वापस लेने की मांग की है। इस दौरान महानगर कांग्रेस कमेटी के पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने कहा दिल्ली में पंजाब में सरकार बिजली फ्री दे रही है और उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश होने के बाद भी राज्य सरकार दाम बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि इसका पुरजोर तरीके से विरोध किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा बिजली की दरों में आठ प्रतिशत की बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया गया है, जोकि जनहित में न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है। उन्होंने कहा कि बिजली की दरों में बढोत्तरी के राज्य सरकार के निर्णय से पहले से ही मंहगाई की मार झेल रही प्रदेश की जनता पर दोहरी मार पड़ेगी जिसका खामियाजा गरीब, किसान व आम जनता को भुगतना पड़ेगा और सरकार को जल्द ही इस ओर निर्णय लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि विद्युत उत्पादक राज्य होने के बावजूद उत्तराखण्ड राज्य में पूर्व से ही बिजली की दरें अन्य कई राज्यों जिनमें विद्युत उत्पादन लगभग शून्य है, की अपेक्षा काफी अधिक हैं तथा अब अतिरिक्त बिजली खरीदने तथा नवीनीकरण के नाम पर एडीबी से लिये जा रहे नये लोन का बोझ भी प्रदेश की आम जनता पर थोपा जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की उपेक्षापूर्ण नीतियों के कारण गरीब व आम आदमी पहले से ही महंगाई की मार से त्रस्त है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2०17 से 2०24 के मध्य सात वर्ष के अन्तराल में बिजली के दामों में लगभग 45 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इस अवसर पर पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि राज्य सरकार थोड़े-थोड़े दिनों में बिजली के दाम बढ़ा देती है और पहले ही महंगाई चरम सीमा पर है। उन्होंने कहा कि इसका कांग्रेस व्यापक स्तर पर विरोध करेगी।
इस दौरान महानगर कांग्रेस व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सुनील बांगा ने कहा है बिजली के बड़े दामों को वापस लिया जाए नहीं तो सभी व्यापारी बिजली ऑफिस के बाहर धरना देंगें और जिसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार और विभागीय अधिकारियों की होगी। इस अवसर पर पुतला फूंकने वालों में व्यापारी संजय काला, सुरेश गुप्ता, राम कपूर, प्रवीन बांगा, राजेंद्र सिंह घई, राजेश मित्तल, जाकिर हुसैन, दिनेश नेगी, रजत कुमार, इमरान, राहुल कुमार सहत बाजार के कई व्यापारी शामिल रहे।

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