देशभर के कलाकारों ने दी मनमोहक प्रस्तुति

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ऋषिकेश- शास्त्रीय संगीत की महफिल जमी। यह महफिल भी ऑनलाइन ही आयोजित की गई। इसमें प्रस्तुति देने वाले से लेकर संचालनकर्ता और श्रोता सभी ऑनलाइन ही उपस्थित रहे। शास्त्रीय संगीत की दिशा में यह प्रयास ऋषिकेश की संस्था ‘श्रुति-सरिताÓ आर्ट की ओर से किया गया।
शास्त्रीय संगीत के पुनत्न उत्थान के लिए काम कर रही ऋषिकेश की संस्था छ्वह्नति-सरिता ने ऑनलाइन श्रंखला राग-रागिनी 2०21 का आयोजन किया। संस्थापक व शास्त्रीय संगीतकार आशीष कुकरेती ने बताया कि ऑनलाइन श्रंखला शुरू करने का उद्देश्य नए कलाकारों को मंच देने के साथ उनका उत्साहवर्धन करना था। साथ ही कोरोना काल में आम-आदमी तनाव के बीच से गुजर रहा है। ऐसे में शास्त्रीय संगीत ही मानस व मानसिक रुप से आत्मिक शांति देता है और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ इस कठिन परिस्थति में भी उभरने की शक्ति देता है। आशीष कुकरेती ने बताया कि श्रुति-सरिता आर्ट के तत्वावधान में ऑनलाइन श्रंखला का यह दूसरा आयोजन था। पहली सीरीज की तरह इस बार दर्शकों का अनुभव व प्रतिक्रिया हमारी उम्मीद से कहीं उत्साहवर्धक रही। भविष्य में भी इस तरह की ऑनलाइन श्रंखला को और बेहतर व नए कलाकारों के साथ प्रस्तुत करेंगे।
राग-रागिनी 2०21 में देशभर के कलाकारों ने दी प्रस्तुति बांसुरी पर याहोर जिहालो (बेलारुस), गायन पर आदित्य निर्मल (उत्तर प्रदेश) और मौमिता मित्रा (प.बंगाल), तबले पर रोमान खान (दिल्ली), सांरगी पर शाहनवाज खान (दिल्ली), नित्थया राजेंद्रन (महाराष्ट्र), सितार पर देबोज्योति गुप्ता (महाराष्ट्र), सरोद पर त्रोली व मोसिली (पश्चिम बंगाल), सरोद पर सायक बरुआ (पश्चिम बंगाल), प्रोश्नजित चक्रवर्ती (प.बंगाल) आदि कलाकारों ने प्रस्तुति दी। छ्वह्नति-सरिता आर्ट के संस्थापक व संगीतकार आशीष कुकरेती कहते हैं कि शास्त्रीय संगीत आपका परमात्मा से साक्षात्कार कराती है। संगीत की बदौलत हमारे अंदर बहुत से सकारात्मक बदलाव आए हैं। हम जैसा संगीत सुनते हैं वैसा ही हम पर प्रभाव पड़ता है। जब हम साथ मिलकर रियाज करते हैं तो एक सकारात्मक ऊर्जा का स्वरूप बहने लगता है।आशीष बताते हैं कि संगीत के भले ही सात सुर हों, लेकिन उन सुरों से पूरी दुनिया बंधी हुई है। सुर वही हैं बस रुप बदल जाता है। उत्तराखंड, बंगाल हो या विदेशी धरती अरब, जापान और चीन संगीत वही है उसकी धुनों का बदल जाती है। शास्त्रीय संगीत ही उनका मूल है।

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