देहरादून(संवाददाता)। तीन साल से सरकार चला रहे मुख्यमंत्री ने हरिद्वार के नगर निगम में हुये बडे भूमि घोटाले को लेकर उसकी जांच कराने के आदेश देकर अफसरशाही में एक बडी हलचल मचा दी थी जिससे यह साफ हो गया था कि भ्रष्टाचार में शामिल सभी के चेहरे जरूर आवाम के सामने आयेंगे। घोटाले की जांच करने वाले आईएएस ने एक समय सीमा में जांच को अंजाम तक पहुंचाकर कुछ अफसरों को इसमें दोषी मानकर अपनी जांच रिपोर्ट कुछ दिन पूर्व शासन को सौंप दी थी और उसी के बाद से ही सबकी नजरें मुख्यमंत्री के एक्शन पर टिकी हुई थी। जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद आज आखिरकार मुख्यमंत्री ने हरिद्वार के डीएम, पूर्व नगर आयुक्त और एसडीएम पर निलम्बन का वार करके अफसरशाही मंे एक बडी हलचल मचा दी है। भूमि घोटाले पर सीएम का एक्शन राजधानी से लेकर कुमांऊ के आखिरी छोर तक सुनाई दे गया और यह बात भी सामने आई कि भ्रष्टाचार और घोटालों पर मुख्यमंत्री हमेशा सख्त रूख में ही नगर आते रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नगर निगम हरिद्वार में हुए जमीन घोटाले पर सख्त रुख अपनाते हुए, दो आईएएस, एक पीसीएस अधिकारी सहित सात अधिकारियों को निलंबित करने के निर्देश दिए हैं, इस मामले में तीन अधिकारी पूर्व में निलंबित हो चुके हैं, जबकि दो की पूर्व में सेवा समाप्त की जा चुकी है। इस तरह इस प्रकरण में अब तक 10 अधिकारी निलंबित किए जा चुके हैं। हरिद्वार नगर निगम द्यारा ग्राम सराय में कूड़े के ढेर के पास स्थित अनुपयुक्त 2.3070 हैक्टेयर भूमि को करोड़ों रुपये में खरीदने पर सवाल उठने के बाद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस प्रकरण की जांच के आदेश दिए थे। जिसके बाद सचिव रणवीर सिंह चौहान ने मामले की प्रारंभिक जांच कर, रिपोर्ट 29 मई को ही शासन को सौंपी थी। इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री ने कार्मिक विभाग को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जिस पर कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने आज सात आरोपित अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद, कार्मिक विभाग ने आज हरिद्वार नगर निगम के तत्कालीन प्रशासक और मौजूदा डीएम कर्मेंद्र सिंह, तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी, हरिद्वार के तत्कालीन एसडीएम अजयवीर सिंह, वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट, वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की, रजिस्ट्रार कानूनगो राजेश कुमार, हरिद्वार तहसील के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कमलदास को निलंबित कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में सरकार ने अब तक उसमें कर्मेन्द्र सिंह – जिलाधिकारी और तत्कालीन प्रशासक नगर निगम हरिद्वार (निलंबित), वरुण चौधरी – तत्कालीन नगर आयुक्त, नगर निगम हरिद्वार (निलंबित), अजयवीर सिंह- तत्कालीन, उपजिलाधिकारी हरिद्वार (निलंबित), निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम हरिद्वार (निलंबित), विक्की/वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक (निलंबित), राजेश कुमार – रजिस्ट्रार कानूनगो, तहसील हरिद्वार (निलंबित), कमलदास/मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार (निलंबित) पूर्व में एक्शन लिया है। वहीं इस मामले में रविंद्र कुमार दयाल- प्रभारी सहायक नगर आयुक्त (सेवा समाप्त), आनंद सिंह मिश्रवाण- प्रभारी अधिशासी अभियंता (निलंबित), लक्ष्मी कांत भट्ट्- कर एवं राजस्व अधीक्षक (निलंबित), दिनेश चंद्र कांडपाल- अवर अभियंता (निलंबित), वेदपाल- सम्पत्ति लिपिक (सेवा विस्तार समाप्त) इन पर भी सरकार का वार हो चुका है।