उत्तराखण्ड़ में एक ही सवाल भूमि घोटाले का मास्टर माइंड कौन?

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तो क्या विजिलेंस भ्रष्टाचार अधिनियम में मुकदमा दर्ज कर फिर शुरू करेगी जांच!
बडा सवालः सरकारी धन के दुरूपयोग की कैसे होगी ‘रिकवरी’
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड़ में जब भी कोई बडा घोटाला सामने आया तो बाद में उस घोटाले का क्या हश्र रहा यह किसी से छिपा नहीं रहा है? उत्तराखण्ड का इतिहास गवाह है कि कुछ मामलों की जांच करने वालों ने सख्ती के साथ अपनी जांच को अंजाम तक पहुंचाने का जज्बा दिखाया था तो उन्हें नाटकीय ढंग से हटाने का जो खेल हुआ था वह हमेशा राज्य के गलियारों में चर्चा का विषय बनता आ रहा है? हरिद्वार में भूमि घोटाला जब सामने आया तो मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच आईएएस अफसर को सौंपी और उन्होंने जांच को अंजाम तक पहुंचाने के लिए देहरादून से हरिद्वार तक का सफर तय किया और आखिरकार उन्होंने अपनी जांच में तीन बडे अफसरों को दोषी पाते हुए अपनी जांच रिपोट शासन को सौंप दी थी जिस पर पिछले कुछ दिनों से शासन में मंथन चल रहा था और अब मुख्यमंत्री ने एक्शन लेते हुए डीएम, एसडीएम व पूर्व नगर आयुक्त को निलम्बित कर मामले की जांच विजिलेंस को सौंप दी है लेकिन अब राज्य के अन्दर एक बडा सवाल खडा हो गया है कि आखिरकार इस भूमि घोटाले का मास्टर माइंड कौन था जिसने अफसरों को पर्दे के पीछे रहकर हुक्म दिया था कि वह इस घोटाले को अंजाम तक पहुंचा दें? सोशल मीडिया पर भी यह सवाल तैर रहे हैं कि अगर इस घोटाले में मास्टर माइंड को नहीं खोजा गया तो फिर अफसरों को निलम्बित करने का कोई औचित्य नहीं रह जायेगा? उत्तराखण्ड की वादियों में यह बहस भी जन्म ले रही है कि अगर सरकार को इस मामले में सख्त एक्शन लेना है तो विजिलेंस को पहले भ्रष्टाचार अधिनियम में मुकदमा दर्ज करना चाहिए और उसके बाद फिर मामले की जांच को आगे बढाना चाहिए क्योंकि बिना मुकदमा दर्ज किये जांचो का हश्र क्या होता है यह किसी से छिपा नहीं है?
उत्तराखण्ड के डेढ करोड लोग एक बार फिर आहत नजर आ रहे हैं कि राज्य में कैसे कुछ अफसर अपने पद पर तैनात रहते हुए बडे घोटाले को अंजाम देने का साहस दिखा गये? हरिद्वार के नगर निगम में भूमि घोटाला राज्य के अन्दर एक बडी हलचल पैदा कर गया था जब मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी को पता चला कि मात्र कुछ करोड की जमीन को कुछ अफसरों ने काफी महंगा खरीदकर सरकार के राजस्व को एक बडा नुकसान पहुंचाया है? मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने इस घोटाले पर सख्त रूख दिखाते हुए मामले की जांच आईएएस अफसर रणबीर सिंह चौहान को सौंप दी थी और उन्होंने इस जांच को पारदर्शिता के साथ पूरी करने का आदेश दिया था। मुख्यमंत्री के सख्त रूख के चलते रणबीर सिंह चौहान ने देहरादून से लेकर हरिद्वार तक डेरा डालकर जांच को बारीकी से अंजाम तक पहुंचाने का सिलसिला शुरू किया था और आखिरकार उन्होंने चंद दिनों में ही इस घोटाले का सारा सच सामने लाने के लिए अपनी जांच को पूरी कर शासन के हवाले कर दिया था। रणबीर सिंह चौहान की जांच रिपोर्ट में दोषियों के नाम उजागर होने के बाद से ही राज्य की अफसरशाही में एक बडी हलचल मच गई थी और उसके बाद यह तय माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री इस घोटाले मे दोषी अफसरों पर सख्त एक्शन लेने के लिए आगे आयेंगे।
आज आखिरकार सुबह ही मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने कडक फैसला लेते हुए डीएम, एसडीएम और पूर्व नगर आयुक्त को निलम्बित कर दिया और मामले की जांच विजिलेंस के हवाले कर दी है। मुख्यमंत्री के इस एक्शन के बाद उत्तराखण्ड के अन्दर यह सवाल उठ खडा हुआ है कि आखिरकार इस घोटाले का असली मास्टर माइंड कौन है जिसके हुक्म पर इस घोटाले को अंजाम दिया गया था? सवाल यह है कि आखिरकार इस मामले में किसी मास्टर माइंड के नाम को लेकर क्यों एक बडा भूचाल मचा हुआ है कि घोटाले का असली राजदार तो अभी पर्दे के पीछे ही नजर आ रहा है? अब सवाल यह खडा हो रहा है कि आईएएस की जांच में यह तो साफ हो चुका है कि जमीन घोेटाला हुआ है तो फिर इस मामले की जांच जब विजिलेंस के हाथों मे आई है तो क्या विजिलेंस पहले इस घोटाले में मुकदमा दर्ज करेगी और उसके बाद वह अपनी जांच को आगे बढायेगी? हर तरफ एक ही सवाल गूंज रहा है कि जब भ्रष्टाचार उजागर हो चुका है तो फिर इस घोटाले में मुकदमा दर्ज करने के बाद ही अगर जांच हुई तो फिर दूध का दूध और पानी का पानी होगा? यह भी बहस चल रही है कि इस मामले में अगली जांच जब विजिलेंस करे तो जांच अधिकारी बडे रैंक का होना चाहिए जिससे कि इस हाई प्रोफाइल घोटाले की जांच को अंजाम तक पहुंचाया जा सके? सवाल यह भी है कि इस घोटाले में सरकारी धन का दुरूपयोग हुआ है ऐसे में सरकार अपने धन की रिकवरी कैसे करेगी यह भी एक यज्ञ प्रश्न है?

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