प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री 2०25 तक राज्य को भ्रष्टाचारमुक्त करने के विजन पर आगे बढे हुये हैं और वह हर उस भ्रष्टाचारी को सबक सिखाने के एजेंडे पर आगे बढ रहे हेैं जो राज्यवासियों को अपने भ्रष्टाचार के खेल में फसाने का हुनर दिखा रहे हैं? भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री की शुरू हुई जंग ने आवाम को एक सुखद अनुभव दिखा रखा है लेकिन राज्य के गलियारों में यह आशंकायें खूब पनप रही हैं कि कुछ माननीय नाटकीय ढंग से भ्रष्टाचार का खेल खेल रहे हैं और उनके इस खेल की भनक सबको सुनाई भी दे रही है लेकिन उसके बावजूद भी कुछ माननीय कैसे भ्रष्टाचार की गंगा में गोते लगा रहे हैं यह हैरान करने जैसा ही दिखाई दे रहा है? सीएम के भ्रष्टाचारमुक्त विजन पर ग्रहण लगाने वाले कुछ माननीयों को इस बात का इल्म होना चाहिए कि वह सीएम ही नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचारमुक्त भारत के विजन को भी हवा में उडा रहे हैं ऐसे में इन माननीयों की भ्रष्टाचार की कुंडली कौन तैयार कर भाजपा हाईकमान के सामने पेश करेगा यह अब राज्य के अन्दर एक बडी बहस का विषय भी बनता जा रहा है?
उत्तराखण्ड में बाइस सालों से आवाम भ्रष्टाचार के जिस रावण को हमेशा अपने सामने खडा हुआ देखती रही है उसका साया आज तक उन्हें डराता आ रहा है? उत्तराखण्ड के कुछ पूर्व मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में तो कुछ माननीयों और भ्रष्ट अफसरों ने भ्रष्टाचार की सारी सीमाओं को तोडते हुए जिस तरह से आम इंसान के सपनों पर कुठाराघात किया था वह किसी से छिपा नहीं रहा? उत्तराखण्ड में भ्रष्टतंत्र हमेशा नाटकीय ढंग से भ्रष्टाचार का खेल खेलने में इतना निपुड बना रहा कि उसे भेद पाना किसी के बस में दिखाई नहीं दिया और यही कारण है कि उत्तराखण्ड की जनता हमेशा भ्रष्टाचार के रावण से डरती रही क्योंकि उन्हें इस बात का इल्म रहता था कि अगर उन्होंने भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ आवाज उठाने का साहस दिखाया तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पडेगा? चंद पूर्व मुख्यमंत्री तो अपने शासनकाल में हो रहे भ्रष्टाचार पर खूब पर्दा डालते रहे और जब मीडिया ने उनके कार्यकाल में हो रहे भ्रष्टाचार के खेल को बेनकाब करने की दिशा में अपने कदम आगे बढाये तो उनके खिलाफ शिकंजा कसा गया और कुछ मीडियाकर्मियों के खिलाफ तो फर्जी मुकदमे तक दर्ज करने से कुछ पुलिस अफसरों ने गुरेज नहीं किया?
उत्तराखण्ड की कमान जबसे युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिहं धामी के हाथों में आई है तो उन्होंने राज्य को 2०25 तक भ्रष्टाचारमुक्त करने के लिए संकल्प ले रखा है और उन्होंने भ्रष्टाचारियों के खिलाफ बडा ऑपरेशन भी चलाया है लेकिन इस ऑपरेशन में भ्रष्टाचार के सिर्फ छोटी-छोटी मछलियां ही आज तक फसती हुई दिखाई दी हैं? उत्तराखण्ड के अन्दर बार-बार यह बहस चलती आ रही है कि भ्रष्टाचार करने वाले बडे-बडे मगरमच्छ कब सिस्टम के शिकंजे मे फंसेंगे? गजब की बात है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को राज्य में शून्य भ्रष्टाचार का विजन सौंपा हुआ है और उसी विजन पर काम करते हुए मुख्यमंत्री तीन साल से पारदर्शिता और स्वच्छता के साथ सरकार चला रहे हैं लेकिन उनके इस विजन पर राज्य के कुछ माननीय ग्रहण लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं और उनके द्वारा किये जा रहे नाटकीय भ्रष्टाचार का शोर राज्य के गलियारों में खूब मच रहा है क्योंकि माननीय ने भ्रष्टाचार करने का जो फार्मूला बना रखा है वह अकल्पनीय ही कहा जा सकता है और ऐसे माननीयों के कारण ही राज्य के अन्दर भ्रष्टाचार का रावण आवाम को रोज अपने सामने खडा हुआ दिखाई दे रहा है?