मुख्यमंत्री की रणनीति से खिला कमल

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देहरादून(संवाददाता)। गजब की बात है कि भाजपा के पूर्व शासनकाल मे युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी को भाजपा के छत्रपों ने कभी मंत्री तक नहीं बनने दिया लेकिन जैसे ही उन्हें मुख्यमंत्री की कमान मिली तो उन्होंने पार्टी के बडे-बडे छत्रपों को अपनी दबंग और धाकड राजनीति का जो आईना दिखाना शुरू किया उससे उन राजनेताओं के सपने मौजूदा दौर मे चूर-चूर हो गये हैं जो एक लम्बे दशक से अपने आपको राज्य का मुख्यमंत्री बनने का सपना देखते आ रहे हैं। मंगलौर और बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर भाजपा को मिली हार के बाद पार्टी के कुछ बडे नेताओं ने सियासत मे एक खतरनाक चौसर बिछाई थी कि किसी तरह से केदारनाथ मे कमल न खिल पाये और अगर ऐसा हुआ तो भाजपा हाईकमान के सामने मुख्यमंत्री का राजनीतिक वजूद तार-तार हो जायेगा और उसके बल पर वह अपनी शातिर राजनीतिक चालें चल देंगे? मुख्यमंत्री ने केदारनाथ मे जीत के लिए ऐसा चक्रव्यूह तैयार किया जिसमें कांग्रेस शुरूआती दौर मे ही फंसती हुई नजर आ गई थी और यह साफ झलक रहा था कि चुनाव मे कांग्रेस, भाजपा के सामने चारो खाने चित हो जायेगी। मुख्यमंत्री ने केदारनाथ चुनाव पर अपनी रडार लगाई और उनकी नजर पार्टी के कुछ जयचंदों पर भी टिकी रही जिससे कि वह भीतरघात का खेल न खेल पायें? केदारनाथ मे आज जब आकाश मे खिली खुली धूप में हर तरफ कमल खिलखिलाता हुआ नजर आया तो उससे साफ हो गया कि मुख्यमंत्री ने अपने आपको राजनीति का बडा चाणक्य साबित कर दिया और उसको लेकर अब राज्य मे यह बात भी उठने लगी है कि उत्तराखण्ड मे अब एक लम्बे अर्से तक मुख्यमंत्री का कोई विकल्प नहीं है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जोखिम उठाने में हमेशा अपनी हिम्मत दिखाते रहे हैं और उन्होंने सबसे पहला जोखिम उस समय उठाया था जब विधानसभा चुनाव से मात्र कुछ माह पूर्व उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा हाईकमान ने उन्हें राज्य मे पुन: सत्ता लाने का टास्क दिया था। आखिरी दौर मे सत्ता की वापसी कराना एक बडी चुनौती था लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजनीति का वो पैतरा इस्तेमाल किया जिसका भाजपा के बडे-बडे छत्रपों और कांग्रेसी नेताओं को इल्म नहीं था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आम इंसान के दिलों को जीतने के लिए ऐसे-ऐसे रूप दिखाये जिसे देखकर आम इंसान मुख्यमंत्री की सादगी और उनके फ्लावर रूप को देखकर गदगद हो गया था और उसी के चलते आवाम ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व मे लडे गये चुनाव में उन पर अपना विश्वास दिखाया और राज्य के अन्दर वर्षों से सत्ता वापसी को लेकर चली आ रहे मिथक को तोड दिया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने अभेद विश्वास दिखाया और राज्यहित के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बडी-बडी विकास योजनायें सौंपकर उन्हें राज्य में पॉवरफुल बनाने का जो दौर शुरू किया उससे राज्य की जनता डबल इंजन सरकार पर अभेद विश्वास दिखाने लगी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राजनीति में चाणक्य नीति पर काम करना शुरू किया और उन्होंने अपने आपको हमेशा जनसेवक मानकर राज्य की जनता को अपना परिवार कहकर उनके दिलों में जो अपनी एक बडी घुसपैठ कर दी उससे वह राजनीति के बडे चाणक्य साबित होते चले गये। केदारनाथ उपचुनाव भाजपा की प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ था क्योंकि वहां देश के प्रधानमंत्री ने विकास की जो नई उडान भरी हुई है उस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पंख लगाते जा रहे हैं। चुनाव के आखिरी दौर मे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चुनाव को खुद अपने हाथों में लिया और उन्होंने वहां की जनता को साफ संदेश दिया कि शैलारानी रावत दीदी के सपनों को आशा दीदी साकार करेंगी। पार्टी के अन्दर कोई भी नाराज न रहे इसके लिए खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मोर्चा संभाला और वह सबको साथ लेकर चलने की दिशा मे तेजी के साथ आगे बढते चले गये। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ चुनाव मे पार्टी प्रत्याशी को जीत का ताज पहनाने के लिए चाणक्य नीति से वहां जीत की बिसात बिछाई और उनके चाणक्यपन में कांग्रेस शुरूआती दौर मे ही बुरी तरह से फंस गई थी और यही कारण था कि कांग्रेस के दिखाये जा रहे भ्रमजाल को तार-तार करते हुए केदारनाथ की जनता ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर अभेद भरोसा करते हुए वहां कमल खिला दिया। आज केदारनाथ मे मिली जीत के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद को राजनीति का सबसे बडा चाणक्य साबित कर दिया है।

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