रूद्रप्रयाग(संवाददाता)। केदारनाथ उपचुनाव को देश के प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा से जोडा जा रहा था और इसी के चलते मुख्यमंत्री ने केदारनाथ मे कमल खिलाने के लिए एक बडी रणनीति के तहत जीत का प्लान तैयार किया था और इस प्लान की भनक उन्होंने पार्टी के बडे-बडे छत्रपों को भी नहीं लगने दी और उसी के चलते वह खामोशी के साथ पार्टी प्रत्याशी को जीत का ताज पहनाने के लिए चुनाव के आखिरी दौर मे खुद केदारनाथ मे डेरा डालने के लिए आगे बढे और राजनीतिक पंडित भी मान गये थे कि मुख्यमंत्री ने जिस दिन से चुनावी मोर्चा खुद संभाला उसके बाद से ही वहां का चुनावी समीकरण बदलता चला गया। कांग्रेस मंगलौर और बद्रीनाथ उपचुनाव जीतने के बाद इस भ्रम मे लगी रही कि वह केदारनाथ मे भी कमल नहीं खिलने देगी लेकिन आवाम के दिलों पर राज करने वाले मुख्यमंत्री ने केदारनाथ उपचुनाव जीतने के लिए रात-दिन एक किया और उन्होंने कांग्रेस के गणित को तार-तार करने के लिए जिस इच्छाशक्ति से सबको साथ लेकर चुनाव लडा उसी का परिणाम रहा कि केदारनाथ में आशा की जीत के सारथी सीएम बने। केदारनाथ मे भाजपा को मिली जीत से उसे एक नई ऑक्सीजन मिली है तो वहीं कांग्रेस की जीत का सारा गणित निर्दलीय त्रिभुवन ने बिगाडकर कांग्रेस के सभी छत्रपों के माथे पर भविष्य की राजनीति को लेकर चिंता की लकीरें डाल दी हैं।
कांग्रेस पार्टी केदारनाथ में बदरीनाथ व मंगलौर उपचुनाव का इतिहास नहीं दोहरा सकी। पांच हजार से अधिक अंतर से भाजपा केदारनाथ उपचुनाव जीत गयी। बदरीनाथ व मंगलौर उपचुनाव की हार के बाद केदारनाथ की जीत भाजपा को संजीवनी भी दे गई। वहीं निर्दलीय त्रिभुवन ने लगभग 1० हजार मत बटोर शानदार मौजूदगी दर्ज कराई। केदारनाथ उपचुनाव में कुल 14 राउंड की गिनती के बाद भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल ने हजार मतों से उपचुनाव जीता। कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत की हार कांग्रेस के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है। उपचुनाव में छह प्रत्याशी शिरकत कर रहे थे। आशा नौटियाल ने पहले राउंड से ही बढ़त बना ली थी। लगभग छह राउंड तक निर्दलीय चौहान भी मजबूती से वोट लेते दिखाई दिए। इसके बाद मुख्य मुकाबला भाजपा व कांग्रेस के बीच सिमट कर गया। इस उपचुनाव के परिणाम के बाद जहां सीएम धामी , संगठन अध्यक्ष महेंद्र भट्ट व अन्य नेताओं के नम्बर बढ़े वहीं कांग्रेस में एक बार फिर महाभारत होने की संभावना बढ़ गयी है।
दो उपचुनाव में हार के बाद केदारनाथ उपचुनाव सीएम धामी के साथ पीएम मोदी के लिए भी प्रतिष्ठा का चुनाव माना जा रहा था। सीएम धामी व संगठन की कई महीनों की मेहनत के बाद केदारनाथ उपचुनाव का परिणाम अनुकूल आया। सीएम धामी ने उपचुनाव से पहले केदारनाथ क्षेत्र के लिए करोड़ों की विकास घोषणाएं की थी। यही नहीं, पांच जनसभाओं के अलावा दो रैली के जरिये भाजपा के लिए वोट मांगे। हालांकि, भाजपा के पूर्व सीएम,कई मंत्री, विधायक व अन्य नेता भी केदारनाथ क्षेत्र में प्रचार करते देखे गए। मोदी की प्रतिष्ठा से जुड़े केदारनाथ धाम की यह जीत भाजपा कैम्प के लिए सुकून भरी मानी जा रही है। कांग्रेस नेता हरीश रावत व गणेश गोदियाल ने मनोज रावत को प्रत्याशी बनाने के लिए हाईकमान को विशेष रूप से समझाया था। हालांकि, करण माहरा की पसंद हरक सिंह रावत बताए जा रहे थे। लेकिन पूर्व विधायक मनोज रावत पर ही कांग्रेस ने दांव खेला। इस उपचुनाव में कांग्रेस के सभी दिग्गज गांव गांव घूमे। केदारनाथ धाम से जुड़े सवालों पर भाजपा को घेरा। सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप भी चस्पा किया। नेता एकजुट भी दिखे। हार के बाद कांग्रेस खेमा निर्दलीय त्रिभुवन को भाजपा की जीत की मुख्य वजह करार दे रहा है।
वहीं निर्दलीय त्रिभुवन का उम्दा प्रदर्शन रहा और इस उपचुनाव में उपचुनाव में निर्दलीय त्रिभुवन चौहान ने दोनों दलों को चौंकाते हुए उम्दा प्रदर्शन किया। लगभग 1० हजार वोट ले गए। बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार भी चौहान के समर्थन में केदारनाथ उपचुनाव में कूद पड़े थे। युवाओं का जोर पत्रकार व निर्दलीय प्रत्याशी चौहान के पक्ष में देखा गया। निर्दलीय चौहान ने भाजपा-कांग्रेस में सेंध लगाते हुए सम्मानजनक वोट बटोरे। उक्रांद प्रत्याशी आशुतोष भंडारी का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा। यह उक्रांद के लिए चिंता का विषय है। बाकी निर्दलीय कुछ मतों के इर्द गिर्द ही सिमट गए। इस जीत के बाद सीएम धामी को बधाई देने का सिलसिला शुरू हो गया। भाजपा कैम्प में मिठाई व आतिशबाजी का दौर भी शुरू हो गया। 9० हजार से अधिक मतदाताओं वाली केदारनाथ विधानसभा में 58.89 मतदाताओं ने हिस्सा लिया। शनिवार की सुबह आठ बजे अगस्त्यमुनि में कड़ी सुरक्षा के बीच मतगणना शुरू हुई। और दोपहर 1 बजे तक चुनाव परिणाम सामने आ गया। उल्लेखनीय है कि 2०22 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की स्वर्गीय शैलारानी रावत को चुनाव में 21,886 वोट मिले थे उसके सापेक्ष उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी आशा नौटियाल को 23,814 वोट मिले जिससे साफ हो गया कि भाजपा का वहां मत प्रतिशत बढा है। इस एतिहासिक जीत का ताज एक बार फिर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सिर पर सजा है।