प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड का इतिहास गवाह है कि किसी भी पूर्व डीजीपी के कार्यकाल में आईबी चीफ उत्तराखण्ड में पुलिस अफसरों से राज्य में आकर कभी रूबरू नहीं हुये। वहीं पहली बार आईबी चीफ उत्तराखण्ड के डीजीपी और पुलिस से रूबरू होने के लिए राजधानी आये और उन्होंने उत्तराखण्ड की भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए राज्य की सभी सीमाओं की चौकसी को लेकर महामंथन किया। आईबी चीफ की पुलिस अफसरों से हुई लंबी बैठक से यह बात साफ हो गई कि डीजीपी राज्य की सीमाओं को अभेद बनाने के मिशन पर एक बडी रणनीति के साथ आगे बढ रहे हैं। उत्तराखण्ड के अन्दर आंतरिक सुरक्षा और खुफिया तंत्र को अभेद बनाने के लिए आईबी चीफ ने जो रणनीति डीजीपी को बताई है उस पर अब डीजीपी एक बडी रणनीति के तहत ठोस कदम उठाने के मिशन पर आगे बढने की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं।
उत्तराखण्ड की आंतरिक सुरक्षा को लेकर हमेशा से केन्द्र का गृह महकमा राज्य के डीजीपी से रूबरू होता रहा है। उत्तराखण्ड की सीमायें उत्तर प्रदेश, हिमाचल, नेपाल और चीन से लगती हुई हैं जिसके चलते उत्तराखण्ड की आंतरिक सुरक्षा को अभेद बनाने के लिए पुलिस के मुखिया के सामने हमेशा एक बडी चुनौती बनी रहती है। उत्तराखण्ड की सीमाओं को हमेशा चौकस रखने को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी डीजीपी अभिनव कुमार को आदेश दे चुके हैं कि राज्य की सीमायें हमेशा अभेद रहें जिससे कोई भी देशद्रोही राज्य की सीमा पर अपनी नापाक नजर न बना सके। उत्तराखण्ड में आंतरिक सुरक्षा और खुफियातंत्र को हमेशा मजबूत करने की दिशा में डीजीपी अभिनव कुमार एक बडी रणनीति के तहत काम करते आये हैं। वहीं उत्तराखण्ड के इतिहास में पहली बार देश के आईबी चीफ तपंग कुमार डेका राजधानी में डीजीपी अभिनव कुमार के नेतृत्व में वरिष्ठ पुलिस अफसरों से महत्वपूर्ण भेट करने के लिए आये थे। आईबी चीफ और डीजीपी अभिनव कुमार के बीच राज्य की आतंरिक सुरक्षा और खुफियातंत्र को अभेद बनाने के लिए महामंथन हुआ और साथ ही राज्य की सुरक्षा को उच्चतम स्तर पर बनाये रखने के लिए आपसी सहयोग और तालमेल बढाने पर जोर दिया था। सबसे अह्म बात यह थी कि इस मुलाकात में उत्तराखण्ड में उभरती सुरक्षा चुनौतियों, आंतरिक सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं और खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय को बेहतर बनाने के तरीको पर महामंथन हुआ था। भविष्य में राज्य की सुरक्षा व्यवस्था को और प्रभावी बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाने का भी जो संकल्प लिया गया वह उत्तराखण्ड के भविष्य के लिए शुभ संकेत माना गया। आईबी चीफ और डीजीपी के बीच आंतरिक सुरक्षा और खुफियातंत्र को मजबूत करने के लिए हुई यह मुलाकात न केवल राज्य की सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रही बल्कि इससे उत्तराखण्ड पुलिस और खुफिया एजेंसियों के बीच आपसी सहयोग एवं समन्वय को नई दिशा मिलना तय माना जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि डीजीपी अभिनव कुमार पूर्व में एडीजी के पद पर रहते हुए खुफिया विभाग के चीफ थे और वह जानते हैं कि उत्तराखण्ड की आंतरिक सुरक्षा और खुफिया तंत्र को किस तरह से अभेद बनाकर चलना है जिससे कि राज्य की सीमायें हमेशा अभेद बनी रहे। उत्तराखण्ड के इतिहास में पहली बार देखने को मिला जब देश के आईबी चीफ ने उत्तराखण्ड आकर डीजीपी से राज्य की आतंरिक सुरक्षा और खुफियातंत्र को अभेद बनाने और खुफिया एजेंसियों में बेहतर तालमेल बिठाये जाने को लेकर महामंथन किया है। डीजीपी अभिनव कुमार कश्मीर के श्रीनगर में भी तैनात रह चुके हैं इसलिए उन्हें आतंकवाद से लडने का भी हुनर आता है और यही कारण है कि वह राज्य की सुरक्षा को हमेशा अभेद बनाने के मिशन पर आगे रहते हैं जिससे कि उत्तराखण्डवासी हमेशा सुकूून से रह सकें।