धामी राज में खत्म हो रहा माफियाराज

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देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड में जो लोग और राजनेता काफी सफेदपोशों के साथ यह शोर मचाते थे कि मुख्यमंत्री धाकड़ अंदाज में सरकार नहीं चला पायेंगे और अपने फैसलों को लेकर उन्हें बार-बार बैक होने के लिए मजबूर होना पडेगा? मुख्यमंत्री को हल्के में आंकने वाली जनता, राजनेता और सफेदपोशों को मुख्यमंत्री ने आईना दिखाते हुए धाकड़ अंदाज में सरकार चलाने का जो दौर शुरू किया उसने तो सबके चेहरे की रंगत उडाकर रख दी क्योंिक मुख्मयंत्री ने जब भी दिलेरी के साथ कोई फैसला लिया तो उस फैसले को चंद दिन में ही राज्य के अन्दर अमल कराने के लिए वह आगे बढ़ चले जिससे राज्यवासियों के मन में मुख्यमंत्री की इस धाकड़ राजनीति पारी ने उन्हें गदगद कर दिया है। उत्तराखण्ड में बाइस सालों से माफियागिरी करने वालों को इस बात का भ्रम था कि वह पुष्कर राज में भी अपने शातिराना खेल को अंजाम देने में सफल होते रहेंगे लेकिन उनकी इस सोच को मुख्यमंत्री ने नेस्तनाबूत करके रख दिया और आज तीन साल के कार्यकाल में उन्होंने राज्य के अन्दर बाइस सालों से पनपते आ रहे माफियाराज को मिट्टी में मिलाने का जो दौर शुरू कर रखा है उससे आज उत्तराखण्ड के अन्दर माफियाराज क्या होता है यह माफियागिरी करने वालों को समझ आ चुका है। मुख्यमंत्री ने अपराध और जमीन माफियाओं को मिट्टी में मिलाने का जिस दबंगता के साथ काम किया है उससे आज राज्य के अन्दर माफियागिरी का दी-एंड होने का गीत जरूर सुनाई दे रहा है।
सरकार के मुखिया ने अपने शासनकाल में हुये कार्यों से लोगों को रूबरू कराया है कि उनके शासनकाल में माफियागिरी का अंत अब तेजी के साथ होना शुरू हो गया है और भू-माफिया और अपराध माफिया राज्य के अन्दर कहीं पर भी अपना सर नहीं उठा पायेंगे। मुख्यमंत्री माफिया राज को खत्म कर रहे हैं लेकिन कुछ सत्ता में बैठे राजनेताओं के गुर्गे आज भी राज्य के अन्दर अवैध खनन का खुला तांडव कर रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री की ऐसे माफियाओं पर अब तेजी के साथ रडार लग गई है और उन्हें इस माफियागिरी का खामियाजा आने वाले समय में जरूर भुगतना पडेगा यह तय है। उत्तराखण्ड की कुछ जेलों में जिस तरह से अपराधियों के पास से मोबाइल फोन बरामद हुये वह सिस्टम को कटघरे में खडा करता हुआ नजर आया था लेकिन मुख्यमंत्री ने जब जेलों में कुख्यातों पर नकेल लगाने के लिए डीजीपी अभिनव कुमार को मैदान में उतारा तो उसके बाद डीजीपी अभिनव कुमार ने जेलों में बंद कुख्यात अपराधियों को खुला अल्टीमेटम दिया कि अगर उन्होंने जेलों से अपराध करने या किसी से फिरौती मांगने का दुसाहस किया तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पडेगा। उत्तराखण्ड में बाइस सालों से राज्य की जनता माफियाराज का खुला दबदबा देखती आ रही है और वह यह सोचने के लिए मजबूर हो गई है कि आखिरकार जब उत्तराखण्ड से लगते विशाल उत्तर प्रदेश में वहां माफियाराज का अंत हो सकता है तो फिर उत्तराखण्ड के अन्दर माफियाराज कैसे और किसकी शह पर पनप रहे हैं यह एक बडा सवाल राज्य के अन्दर खडा हो चुका था? उत्तराखण्ड सरकार के मुखिया पुष्कर सिंह धामी ने भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों के खिलाफ ऑपरेशन चलाकर उन्हें जरूर सलाखों के पीछे पहुंचाया है और उसके बाद उनकी रडार माफियातंत्र पर लग गई है क्योंकि वह राज्य को हर माफिया से राज्यवासियों को आजादी दिलाने का खुला संकल्प लिये हुये हैं और वह उत्तराखण्ड को 2०25 तक आदर्श राज्य बनाने का संकल्प लिये हुये हैं जिसके चलते वह माफिया राज को मिट्टी में मिलाने के मिशन पर तेजी के साथ आगे बढ चुके हैं। उत्तराखण्ड के अन्दर माफियाराज का अंत करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने डीजीपी अभिनव कुमार को कमान सौंपी हुई है और आज राज्य के अन्दर जमीन और अपराध माफियाओं में जो खलबली का डर पैदा हो चुका है उससे साफ नजर आ रहा है कि आने वाले समय में मुख्यमंत्री एक-एक माफिया को मिट्टी में मिलाकर रख देंगे।

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