एनएसयूआई कार्यकर्ताओं व पुलिस के बीच हुई तीखी नोंकझोंक

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देहरादून(संवाददाता)। प्रदेश में बदहाल शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने सहित सात सूत्रीय मांगों के समाधान को लेकर एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी के बीच रैली निकालकर शिक्षा मंत्री डाक्टर धन सिंह रावत के यमुना कालोनी स्थित आवास का घेराव करने के पहुंचे तो पुलिस ने यमुना कालोनी के प्रवेश द्वार पर बैरीकैडिंग लगाकर सभी को रोक लिया और इस दौरान पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी नोंकझोंक हुई और बाद में सभी वहीं धरने पर बैठकर नारेबाजी करने लगे। इसी बीच पुलिस ने सभी को गिरफ्तार कर सुद्धोवाला जेल ले गई और वहां काफी देर तक रहने के बाद सभी को निजी मुचलकों पर छोड़ दिया गया।
यहां प्रदेश में बदहाल शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने सहित सात सूत्रीय मांगों के समाधान को लेकर एनएसयूआई कार्यकर्ता प्रदेश अध्यक्ष विकास नेगी एवं प्रभारी सौरभ यादव के नेतृत्व में बिन्दाल पुल के पास इकटठा हुए और वहां से नारेबाजी के बीच रैली निकालकर जैसे ही यमुना कालोनी के पास प्रवेश द्वार पर पहुंचे तो वहां पर पुलिस ने सभी को बैरीकैडिंग लगाकर रोक लिया और इस बीच पुलिस व प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी नोंकझोंक हुई और सभी वहीं पर धरने पर बैठ गये। इस अवसर पर विकास नेगी ने कहा कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा लगातार की जा रही धांधलियाँ किसी से छुपी नहीं हैं। उन्होंने कहा िक इससे हमारे देश के भविष्य कहे जाने वाले छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है और राज्य के युवाओं के साथ बार-बार अन्याय हो रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार के शिक्षा मंत्री होने के नाते डॉ. धन सिंह रावत का ध्यान प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी एवं शिक्षा में हो रही अनियमितताओं की ओर आकर्षित करना चाहते हैं लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया और उत्तराखंड सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रदेश, एक प्रवेश, एक परीक्षा, एक परिणाम की थीम पर काम करने की बात तो करती है, लेकिन इस थीम में सरकार द्वारा अपनाई जा रही दोहरी नीतियों से स्पष्ट होता है कि प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के निजी विश्वविद्यालयों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से यह दोहरी नीति लागू की गई है।
उन्होंने कहा कि इस दोहरी नीति में एक तरफ राज्य के केवल सरकारी विश्वविद्यालयों को समर्थ पोर्टल से जोड़ा गया है, जबकि दूसरी ओर प्राइवेट विश्वविद्यालय प्रदेश के गरीब छात्रों के साथ अन्याय कर उन छात्रों से मनमानी फीस वसूल रहे हैं और अयोग्य शिक्षकों को पढ़ाने के लिए नियुक्त कर रहे हैं। निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा शिक्षा के नाम पर छात्रों को गुमराह किया जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में शिक्षा का व्यवसायीकरण अंदाजा इस चीज से लगा सकते हैं कि सरकार निजी विश्वविद्यालय ऐसे खोल रही हैं जैसे परचून की दुकान हो सरकार के लिए शर्मा की बात हैं की प्रदेश की राजधानी में सरकार केवल एक हजार बच्चों को सरकारी महाविद्याल में पढ़ा रही हैं और दून में एक भी सरकारी महाविद्यालय नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में बदहाल शिक्षा व्यवस्था को देखते हुए सात सूत्रीय मांगे शामिल है और जिसमें नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को प्रतिबंधित किया जाए। प्रदेश की राजधानी देहरादून में एक सरकारी विश्वविद्यालय बनाया जाए। प्रदेश में उच्च शिक्षा के लिए समर्थ के नाम से लागू दोहरी नीति एवं व्यावसायीकरण की व्यवस्था बंद हो। प्रदेश के सभी महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में शिक्षकों एवं अन्य कर्मचारियों की पूर्ति की जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी निजी विश्वविद्यालयों एवं निजी शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए मानक तय किए जाये और समर्थ पोर्टल के माध्यम से राज्य के सभी सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों को जोड़ते हुए सभी के लिए एक समान एक प्रदेश, एक प्रवेश, एक परीक्षाश् की नीति लागू की जाए, अन्यथा राज्य के तीन सरकारी विश्वविद्यालयों को भी समर्थ से मुक्त किया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तराँचल पीजी कॉलेज द्वारा किया जा रहे फर्जीवाडे को देखते हुए कॉलेज के समस्त प्रवेश एवं कॉलेज की सम्पूर्ण जांच के लिए एसआईटी गठित की जाए और त्वरित गति से इसकी जांच की जाये की मांग शिक्षा मंत्री से की गई। इस दौरान सभी प्रदर्शनकारियों को पुलिस गिरफ्तार कर सुद्धोवाला जेल ले गई और वहां पर काफी देर तक रहने के बाद सभी को निजी मुचलकों पर छोड़ दिया गया। इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष विकास नेगी, प्रदेश प्रभारी सौरभ यादव सहित अनेक पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता शामिल रहे।

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