मंगलौर उपचुनाव में बवाल से तनाव

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आखिर किन असमाजिक तत्वों ने मतदान करने से रोकने का दागः कुछ ग्रामीणों पर हमला
मंगलौर फायरिंग प्रकरण में जिला प्रशासन हरिद्वार ने बताया कि मंगलौर उपचुनाव के दौरान मतदेय स्थल पर फायरिंग की सूचना पूर्णरूप से तथ्यहीन
देहरादून। उत्तराखण्ड के बद्रीनाथ व मंगलौर सीट पर हो रहे उपचुनाव को लेकर चुनाव आयोग और सिस्टम के अफसरों ने चुनाव को निष्पक्षता से सम्पन्न कराने का ऐलान किया था और उत्तराखण्ड का इतिहास है कि कभी किसी भी चुनाव मे हिंसा का तांडव देखने को नहीं मिला। बद्रीनाथ व मंगलौर सीट पर होने वाले चुनाव को लेकर पुलिस प्रशासन ने कमर कस रखी थी लेकिन आज सुबह अचानक मंगलौर सीट के लिब्बरहेडी के दो बूथों पर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा सरेआम हवा मे गोलियां दागने का आरोप लगा तो कुछ लोगों को मतदान करने से रोकने की जो दबंगता दिखाई गई और कुछ ग्रामीणों को मतदान करने से रोकने के लिए उन पर लाठी डंडो से हमला कर उन्हें घायल कर दिया उससे लिब्बरहेडी के दो बूथों पर हो रहे मतदान को लेकर वहां अराजकता फैल गई और कांग्रेस प्रत्याशी ने इस हिंसा पर जिस तरह से चुनाव आयोग और सिस्टम के अफसरांे को कटघरे मे खडा किया है उससे वहां का माहौल तनावपूर्ण हो गया। लिब्बरहेडी में कुछ ग्रामीणों पर हमला किये जाने की खबर मिलते ही एसपी देहात ने काफी फोर्स के साथ वहां डेरा डाला और खुद मोर्चा संभालते हुए उन्होंने भीड़ को वहां से खदेडा। वहीं मंगलौर फायरिंग प्रकरण में जिला प्रशासन हरिद्वार ने बताया कि मंगलौर उपचुनाव के दौरान मतदेय स्थल पर फायरिंग की सूचना पूर्णरूप से तथ्यहीन है।
मंगलौर विधानसभा सीट के लिब्बरहेडी के बूथ नंबर 53-54 नंबर पर दो दलों के कार्यकर्ताओं में लाठी डंडे चल गए हैं। जिसमें कुछ कार्यकर्ता घायल हो गए। भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा जिसके बाद पुलिस ने सभी को खदेड़ा। उत्तराखंड की दो विधानसभा सीटों पर आज उपचुनाव हो रहे हैं। मंगलौर सीट पर बसपा विधायक के निधन के बाद से यह सीट खाली चल रही थी। जबकि बदरीनाथ सीट पर लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। कांग्रेस पार्टी ने मंगलौर सीट पर अनुभवी और बदरीनाथ सीट पर नए चेहरे पर दांव लगाया है। दोनों ही प्रत्याशी लंबे समय से कांग्रेस पार्टी से जुड़े हैं। मंगलौर सीट से काजी मोहम्मद निजामुद्दीन और बदरीनाथ सीट से प्रत्याशी लखपत बुटोला पर दांव लगाया है। बसपा की ओर से दिवंगत विधायक सरवत करीम अंसारी के पुत्र उबेदुर्रहमान को को ही टिकट दिया गया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी शीशपाल ने उपचुनाव में मंगलोर सीट पर बसपा की जीत का भी दावा किया है। मंगलौर विस सीट बसपा का गढ़ रही है। राज्य गठन के बाद हुए पांच विधानसभा चुनाव में इस सीट पर चार बार बसपा ने जीत हासिल की, जबकि एक बार कांग्रेस को जीत मिली। मंगलौर विधानसभा में अब तक पांच चुनाव हुए हैं, जिनमें से चार बार बसपा प्रत्याशी को जीत मिली थी। 2002 के पहले चुनाव में 21,155 वोट के साथ बसपा के काजी निजामुद्दीन ने जीत दर्ज की और कांग्रेस के सरवत करीम यहां 14,561 वोट हासिल किये थे।
आज सुबह आठ बजे से दोनों विधानसभा सीटों पर मतदान शुरू हो गया है। सुबह से ही लोगों की भीड़ लगी है। बुजुर्ग मतदाता मतदान करने के बाद वोट का निशान दिखाकर खुशी जाहिर कर रहे हैं। मंगलौर विधानसभा सीट के लिब्बरहेडी के बूथ नंबर 53-54 नंबर पर दो दलों के कार्यकर्ताओं में लाठी डंडे चल गए हैं। जिसमें कुछ कार्यकर्ता घायल हो गए। भारी पुलिस बल मौके पर पहुंचा जिसके बाद पुलिस ने सभी को खदेड़ा। कांग्रेस के उम्मीदवार काजी निजामुद्दीन ने मीडिया से रूबरू होते हुए आरोप लगाया कि आज लोकतंत्र की हत्या होते आप लोग देख सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यहां पर असामाजिक तत्व खुल्लम खुल्ला फायरिंग कर रहे हैं, लाठी-डंडे और खून के निशान सबने देखे हैं। उन्हांेने कहा कि आधे घंटे तक चोटिल को कोई अस्पताल नहीं ले गया तो वह मौके पर पहुंचे और उसे वह खुद अस्पताल लेकर गये। उन्हांेने आरोप लगाया कि इतना सबकुछ हो रहा था लेकिन मौके पर एक एम्बुलेंस भी नहीं थी। उन्होंने कहा कि लिब्बरहेडी के सभी बूथ हमेशा से अति संवेदनशील रहे हैं और उन्होंने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर बताया था कि इन बूथों को अति संवेदनशील कैटागिरी मे रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज ही नहीं हमेशा यह बूथ अति संवदेनशील मे रहते हैं। उन्होंने कहा कि आज सुबह सवा आठ बजे सूचना मिली कि कुछ असामाजिक तत्व कुछ लोगों को लाइन से निकाल रहे हैं, धमका रहे हैं और वोट नहीं डालने दे रहे हैं। उन्हांेने आरोप लगाया कि सिस्टम को सबकुछ बताने के बावजूद पुलिस तब पहुंची जब गोलियां चल चुकी थी, दीवारों पर निशान हैं और जिस व्यक्ति का नाम लिया जा रहा है वह अभी भी गांव मे खडा है और धमका रहा है। उन्हांेने कहा कि यह चाहते हैं कि जो बीजेपी को वोट डालने वाले हैं वो तो डालें और जो बीजेपी को वोट डालने वाले न हों उन्हें वोट न डालने दिया जाये। उन्हांेने आरोप लगाया कि यह लोग गुंडागर्दी और सरकारी तंत्र का प्रयोग कर लोगों को मतदान करने से रोकना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आज उत्तराखण्ड पुलिस और चुनाव आयोग का बडा इम्तिहान है कि जिन्हे वोट डालने से रोका गया और उन पर लाठी-डंडांे से हमला किया गया उनके वोट डलवाये और जिन असामाजिक तत्वांे ने यह कृत्य किया है उन्हें गिरफ्तार किया जाये। वहीं एक प्रत्यक्षदर्शी का आरोप है कि उनके कुछ अपनों को लाठी डंडो से पीटा गया और कम से कम पन्द्रह बीस गोलियां चलाई गई और उन्हांेने उस दीवार को भी दिखाया जहां गोली के निशान लगे हुये थे। उपचुनाव मे आखिर वो असामाजिक तत्व कौन थे यह खोजना अब सिस्टम के लिए एक बडी चुनौती बन गया है।

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