स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी कार्यकाल में अभिनव की दहाड़ से कांपता था मदनी

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में एक दौर वो भी था जब राज्य की कमान सबके दिल अजीज पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी के हाथों मे थी और वह सरकार चलाने के लिए सबको साथ लेकर चलने मे ही विश्वास दिखाते थे। तिवारी के शासनकाल मे एक समुदाय की राजनीति करने वाले मदनी ने हरिद्वार जनपद मे राजनीति के अन्दर अपना वर्चस्व कायम करने के लिए एक बार पूर्व मुख्यमंत्री को भी अपनी दबंगता से अल्टीमेटम दे दिया था। शालीन दिखने वाले स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी ने कभी भी मदनी को धरने प्रदर्शन करने से नहीं रोका लेकिन जब मदनी ने नारायण दत्त तिवारी को सीधे ललकारा तो उस दौर के पुलिस कप्तान रहे अभिनव कुमार जिन्होंने धर्मनगरी मे शेर की तरह कप्तानी की वह इस बात से काफी खफा हुये कि उनकी कप्तानी के दौरान एक राजनेता मुख्यमंत्री को ललकार रहा है तो यह उन्हें नागवार गुजरा और उन्होंने मदनी के गरूर को चंद समय मे ही मिट्टी मे मिला दिया और जब भी अभिनव कुमार मदनी पर नकेल लगाने के लिए उन्हें दहाडऩे के लिए आगे आते थे तो वह अभिनव कुमार का क्रोधित रूप देखकर कांप उठता था। आज के दौर मे पुलिस का कोई आला अफसर अभिनव कुमार की तरह उस राजनेता को सबक सिखाने के लिए आगे आता हुआ दिखाई नहीं दिया है जो सरकार के मुखिया को ललकारने के लिए बार-बार आगे आने का दुसाहस करते रहे हैं? अभिनव कुमार की शेर की तर्ज पर जिसने भी उनकी पुलिसिंग देखी है वह आज के इस दौर मे बेहद खुश हैं कि उनके उत्तराखण्ड का डीजीपी शेर की तरह दबंग और गंगाजल की तरह ईमानदारी के रास्ते पर चल रहे हैं।
उत्तराखण्ड की जनता को एक से एक पुलिस अधिकारी देखने को मिलते रहे हैं और राज्य बनने के बाद से आज के इस दौर मे अगर शेर की तरह किसी आईपीएस अफसर ने जनपद में पुलिस कप्तानी की है तो उसमे सबसे पहले पायदान पर आईपीएस अभिनव कुमार का नाम स्वर्ण अक्षरो मे लिया जाता है। अभिनव कुमार एक ऐसे आईपीएस हैं जिन्होंने हमेशा बडे-बडे राजनेताओं और सफेदपोशों को यह संदेश दिया हुआ है कि उनका कार्यालय कोई चाय की दुकान नहीं है जहां कोई भी अपनी मर्जी से वहां एंट्री करा ले। हरिद्वार मे तैनाती के दौरान अभिनव कुमार की पुलिसिंग का रूप आवाम ने शेर की तर्ज पर ही देखा था और वहां उनके दौर मे न तो किसी की जाम लगाने की हिम्मत होती थी और अगर किसी ने धर्मनगरी मे अपराध करने का दुसाहस किया तो उसे उसकी ही भाषा मे अभिनव कुमार ने जवाब दिया था और उनके उस दौर मे धर्मनगरी मे आतंकवादी से लेकर बडे-बडे ईनामी अपराधी एसओजी के हाथों मुठभेड़ में ढेर हुये थे। धर्मनगरी मे जब पुलिस कप्तान रहे अभिनव कुमार अपनी सरकारी गाडी मे निकलते थे तो हर तरफ यह गूंज होती थी कि देखो खाकी का शेर जा रहा है। अभिनव कुमार के कार्यकाल मे धर्मनगरी के अन्दर आवाम और श्रद्धालु हमेशा भयमुक्त नजर आते थे क्योंकि उन्हें इस बात का इल्म था कि उनका रक्षक पुलिस कप्तान अभिनव कुमार खाकी का शेर है और इस शेर को देखकर किसी भी अपराधी की हिम्मत अपराध करने मे नहीं होती।
अभिनव कुमार जब हरिद्वार जनपद के पुलिस कप्तान थे तो उस दौर मे सरकार की कमान स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी के हाथो मे थी और उन्होंने अभिनव कुमार को खुली छूट दे रखी थी कि अपराधियों को हमेशा धर्मनगरी में नेस्तनाबूत करते रहे और उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए हमेशा अभिनव कुमार अगली पक्ति मे ही दिखाई देते थे। आज उस दौर के पन्ने पलटने पर एक समुदाय की राजनीति करने वाले मसूद मदनी की याद ताजा हो गई क्योंकि मदनी ने हरिद्वार में अपनी राजनीतिक जमीन बडी करने के लिए वहां एक विजन के तहत अपना राजनीतिक वजूद बढाना शुरू किया लेकिन जैसे ही मदनी ने स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी को ललकारने का गलत फैसला लिया वह एक गलत फैसला ही उसकी राजनीतिक जमीन को धराशायी कर गया था। कप्तानी करने वाले अभिनव कुमार को इस बात का काफी आघात पहुंचा था कि उनके पुलिस कप्तान रहते हुए अगर एक राजनेता राज्य के मुख्यमंत्री को ललकार रहा है तो फिर उनका पुलिस कप्तानी करना कोई मायने नहीं रखता। मदनी की इस ललकार को उस दौर मे अभिनव कुमार ने एक बडी चुनौती के रूप मे लिया था और उन्होंने मदनी के इस दुसाहस पर जब उसे अपनी कप्तानी का जलवा दिखाया तो मदनी की राजनीतिक जमीन धर्मनगरी से धडाम होने की कगार पर आनी शुरू हो गई और जब अभिनव कुमार ने अपनी दहाड़ लगानी शुरू की तो उसे सुनकर ही मसूद मदनी कांप उठता था? अभिनव कुमार ने अपनी दबंग पुलिसिंग से मदनी के हरिद्वार मे बढ़ रहे राजनीतिक वजूद को मिट्टी मे मिलाने के लिए जब उसे एक थाने मे पुलिसिंग का असली रूप दिखाया था तो उससे मदनी ने हरिद्वार मे राजनीति करने से तौबा कर ली थी। मदनी जब बीमार होकर दून के सरकारी अस्पताल मे इलाज के लिए पहुंचा था तो वहां उससे मिलने के लिए स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी भी पहुंचे थे और उन्होंने मसूद मदनी को जब फूल का गुलदस्ता दिया था तो मसूद मदनी ने डीएम सुधांशु और पुलिस कप्तान अभिनव कुमार को लेकर नारायण दत्त तिवारी से अपनी पीड़ा कही थी। मदनी के साथ अस्पताल मे कोई अनहोनी न हो जाये इसके लिए डीएम और पुलिस कप्तान ने नारायण दत्त तिवारी से कहा था कि वह खुद मदनी की सुरक्षा मे तैनात रहेंगे और मदनी के एक तरफ डीएम और एक तरफ पुलिस कप्तान अपना बैड लगायेंगे। डीएम और पुलिस कप्तान के इस आक्रामक रूख से मदनी इतना धबरा गया था कि उसने फिर पलट कर हरिद्वार मे राजनीति करने से अपने आपको कोसो दूर कर लिया था?
अभिनव कुमार के साथ पुलिसिंग कर सेवानिवृत्त हो चुके अफसर यह कहते हैं कि जिस आक्रामक शैली से अभिनव कुमार पुलिसिंग करते हैं आज के दौर मे वैसे पुलिसिंग कोई आईपीएस नहीं कर सकता? आज के इस दौर मे कई बार कुछ राजनीतिक दल सरकार के मुखिया को अपने निशाने पर लेते हैं लेकिन पुलिस के छोटे अफसर उन राजनेताओं पर शिकंजा कसने के लिए आगे आने का साहस नहीं दिखाते? उधमसिंह नगर के नानकमत्ता गुरूद्वारे के डेरा प्रमुख तरसेम सिंह की सुपारी किलर ने दिन निकलते ही हत्या कर दी थी तो उसके बाद डीजीपी की कुर्सी पर आसीन अभिनव कुमार का पारा सातवे आसमान पर दिखाई दिया था और वह खुद डेरे के लोगों को भरोसा देकर आये थे कि तरसेम सिंह की हत्या करने वाले बक्शे नहीं जायेंगे और बारह दिन के भीतर ही एक किलर को पुलिस ने मुठभेड़ मे ढेर कर दिया था और उसी के चलते आवाम मानती है कि उन्हें अभिनव कुमार जैसा ही डीजीपी पसंद है जो आवाम के रक्षा करने के लिए खुद मोर्चे पर खडे रहते हैं।

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