धामी को नहीं पसंद भ्रष्टाचार का ’शोर’

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भ्रष्टाचार की मछलियां पहुंच रही सलाखों के पीछे
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार का शोर इतना तेजी से सुनाई देता था कि आवाम यह सोचने पर मजबूर रहा कि आखिरकार उनके उत्तराखण्ड मे भ्रष्टाचार की छोटी-बडी मछलियों पर कौन प्रहार करेगा? उत्तराखण्ड बनने के बाद से ही अधिकांश सरकारों के कार्यकाल मे भ्रष्टाचार की गूंज उत्तराखण्ड से लेकर देशभर मे गूंजने से हमेशा यह बहस चलती थी कि आखिरकार राज्य के अन्दर भ्रष्टाचार की जडें इतनी विशाल कैसे होती जा रही हैं कि उसे खत्म करना किसी भी सरकार के बस मे नहीं है? उत्तराखण्ड की कमान जैसे ही युवा राजनेता पुष्कर सिंह धामी को मिली तो उन्हें राज्य के अन्दर एक लम्बे अर्से से हो रहे भ्रष्टाचार का शोर सुनाई देता रहा था और यही कारण है कि उन्होंने भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने की दिशा मे एक बडा संकल्प लिया और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भ्रष्टाचारमुक्त भारत के विजन को उत्तराखण्ड मे सच साबित करने की दिशा मे एक के बाद एक धाकड़ फैसले लेते हुए अनगिनत भ्रष्टाचारियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाकर सीधा संदेश दिया कि अगर किसी ने भी आवाम के साथ भ्रष्टाचार करने का दुसाहस किया तो उसे किसी भी कीमत पर बक्शा नहीं जायेगा। आज उत्तराखण्ड के अन्दर भ्रष्टाचारियों पर मुख्यमंत्री ने नकेल लगाने का जो साहस दिखा रखा है उसी का परिणाम है कि आज राज्य की जनता मुख्यमंत्री को उत्तराखण्ड का रक्षक मानने लगी है और लोकसभा चुनाव मे भाजपा प्रत्याशियों को प्रचंड जीत दिलाकर उन्होंने यह संदेश दिया है कि उन्हें उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पर अभेद भरोसा है क्योंकि वह भ्रष्टाचारियों के खिलाफ खुली जंग लड रहे हैं।
उत्तराखण्ड में तेइस सालों से भ्रष्टाचार करने वाले बडे-बडे मगरमच्छ अपने इरादों में सफल होते आ रहे हैं और उनके गिरेबान तक कभी विजिलेंस के हाथ क्यों नहीं पहुंचते यह भी हमेशा एक रहस्यमय पहेली बना हुआ है? भ्रष्टाचार की छोटी-छोटी मच्छलियों को दबोचकर उत्तराखण्ड से भ्रष्टाचार का अंत हो पायेगा यह समझ से परे है? भ्रष्टाचार के बडे-बडे मगरमच्छ कब सलाखों के पीछे पहुंचेंगे यह हमेशा से आवाम के मन में एक बडा सवाल खडा होता आ रहा है? उत्तराखण्ड भ्रष्टाचारमुक्त तभी हो पायेगा जब भ्रष्टाचार करने के नये-नये तरीके सीख चुके कुछ अफसरांे पर सिस्टम शिंकजा कसने के लिए आगे आयेगा? उत्तराखण्ड में मौजूदा दौर मंे जिस तरह से भ्रष्टाचार करने वाले काफी अफसरों को न तो सरकार का और न ही अपने बडे अफसरों का कोई डर देखने को मिल रहा है उससे क्या समझा जाये कि ऐसे अफसरांे का भ्रष्टाचार किसी को आखिर क्यों नजर नहीं आ रहा है? उत्तराखण्ड जैसे छोटे राज्य में भ्रष्टाचार करने वाले भले ही अपने आपको काफी चालाक समझ रहे हों लेकिन उनके भ्रष्टाचार की नई उडान के किस्से जिस तरह से चर्चाओं का उबाल बने हुये हैं वह यही बयां कर रहा है कि अभी उत्तराखण्ड को भ्रष्टाचारमुक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री को एक-एक भ्रष्टाचार का फन कुचलना होगा?
उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए अधिकांश पूर्व मुख्यमंत्रियों ने कोई ऐसा बडा करिश्मा नहीं किया जिससे आवाम को यह विश्वास हो सके कि उत्तराखण्ड आने वाले समय में भ्रष्टाचारियों से आजाद हो जायेगा? तेइस सालों से भ्रष्टाचार का खुला तांडव आवाम देखता आ रहा है। गजब की बात तो यह है कि अधिकांश विभाग के अफसर अपने कर्मचारियों को शपथ दिलाते हैं कि वह ईमानदारी से काम करेंगे और भ्रष्टाचार का खेल खेलने के लिए वह कभी आगे नहीं आयंेगे? हालांकि चंद विभाग के कुछ अफसर इस शपथ को हवा मंे उडाते हुए भ्रष्टाचार का 20-20 खेल रहे हैं और उसके बावजूद भी वह अपने आपको ईमानदार होने का तमका हासिल कर रहे हैं तो यह काफी हैरान करने जैसा ही नजर आता है? उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का मानना है कि जब तक भ्रष्टाचार की जडों को पूरी तरह से नष्ट नहीं कर दिया जायेगा तब तक उत्तराखण्ड को आदर्श राज्य नहीं बनाया जा सकता इसलिए उन्होंने विजिलेंस की टीम को हर उस भ्रष्टाचारी पर नकेल लगाने के लिए आगे कर रखा है जो आवाम को छोटे-छोटे कामों के लिए भी प्रताडित कर उनसे रिश्वत पाने के मिशन मे लगे रहते हैं? सबसे अह्म बात है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने राज मे भ्रष्टाचार का शोर सुनने को तैयार नहीं हैं और उसी के चलते राज्य मे तेइस साल से पनप रहे भ्रष्टाचारियों के चेहरे बेनकाब करने का उन्होंने बडा मिशन शुरू कर रखा है।

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