अंकिता भण्डारी का पार्ट-2 तो नहीं रवि बडोला हत्याकांड?

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड मे किसी अपराध के बाद गुनाहगारों की गिरफ्तारी होने के बावजूद जब उस पर सियासत होनी शुरू होती है तो उससे सवाल खडे होते हैं कि आखिरकार वो कौन लोग हैं जो पर्दे के पीछे रहकर घटित अपराध पर सरकार और पुलिस महकमे को अपने निशाने पर लेने का खेल शुरू कर देते हैं? कुछ वर्ष पूर्व जब राज्य के गलियारे मे अंकित भण्डारी हत्याकांड हुआ तो उसके बाद मुख्यमंत्री ने सख्त लहजे मे पुलिस अफसरों को गुनाहगारों पर नकेल लगाने का हुकम दिया था और उसके बाद उन्हें न्यायालय से बडी सजा दिलाने के लिए जांच के दायरे को वैज्ञानिक तरीके से अंजाम तक पहुंचाया था जिसके चलते अंकिता भण्डारी के गुनाहगार अभी भी सलाखों के पीछे हैं लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान अंकिता भण्डारी हत्याकांड को लेकर सरकार के मुखिया की घेराबंदी करने की जो साजिश कुछ चेहरों ने पर्दे के पीछे से की थी उनके चेहरे कब बेनकाब होंगे यह भी एक बडा सवाल है? वहीं राजधानी में रवि बडोला की हत्या के बाद मुख्यमंत्री और डीजीपी ने ऑपरेशन गुनाहगार चलाया तो दो बदमाश पुलिस मुठभेड मे गोली लगने से घायल हुये और वारदात मे शामिल सभी गुनाहगारों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया। अब सवाल तैर रहा है कि आखिर अंकिता भण्डारी कांड की तरह रवि बडोला हत्याकांड को लेकर क्यों और किसके इशारे पर सियासत का चक्रव्यूह रचा जा रहा है जिससे सरकार को निशाने पर लिया जा सके? गजब की बात तो यह है कि हत्याकांड को आगे रखकर मूल निवास पर सियासत का जो तानाबाना बुना जा रहा है उसका मास्टर माईंड कौन है यह एक बडा बन गया है?
उल्लेखनीय है कि चंद दिन पूर्व रायपुर मे एक आकास्मिक घटनाक्रम घटा जिसमे कुछ बदमाशों ने तीन लोगों पर गोलियां दाग दी जिनमे से एक की मौत हो गई और दो गंभीर रूप से घायल हो गये थे। इस सनसनीखेज वारदात के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपराधियों के खिलाफ बडा ऑपरेशन चलाने का जिम्मा डीजीपी अभिनव कुमार को सौंपा था। डीजीपी ने इस हत्याकांड के गुनाहगारों को कहीं से भी खोज निकालने का टास्क पुलिस कप्तान को दिया था जिसमे सूदखोर और उसके दो साथी पुलिस ने वारदात के बाद ही दबोच लिये थे और वारदात को अंजाम देने वाला कुख्यात बदमाश रामवीर राजस्थान मे पुलिस मुठभेड के बाद पकडा गया था। वहीं डीजीपी के सख्त रूख के बाद जब कुख्यातों को खोज निकालने का ऑपरेशन शुरू हुआ तो इस हत्याकांड मे शामिल दो बदमाश हरिद्वार मे पुलिस मुठभेड मे गोलियां लगने से घायल हुये और उन्हें अस्पताल मे भर्ती कराया गया। हत्याकांड मे सभी गुनाहगारों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हत्याकंाड को अंजाम देने वाले गुनाहगारों के खिलाफ सख्त रूख अपनाने का आदेश दिया और बाहरी राज्यों के अपराधियों को साफ अल्टीमेटम दिया कि उनके उत्तराखण्ड मे अगर किसी ने भी अपराध करने का दुसाहस किया तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल मे लाई जायेगी। डीजीपी ने भी हत्याकांड के गुनाहगारों पर सख्त रूख अपना रखा है और पुलिस इस मामले मे दो गुनाहगारों को पुलिस कस्टडी रिमांड लेकर सारा सच पता लगाने के मिशन मे आगे बढ़ रही है।
हैरानी वाली बात है कि रवि बडोला हत्याकांड मे शामिल सभी गुनाहगारों को सलाखों के पीछे पहुंचाकर उनकी सम्पत्तियों को खंगालने का ऑपरेशन भी शुरू हो गया है लेकिन ऐसा दिखाई दे रहा है कि अंकिता भण्डारी हत्याकांड की तर्ज पर रवि बडोला कांड को पार्ट-2 के रूप मे कुछ चेहरे पर्दे के पीछे रहकर उस पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के खेल मे आगे बढ रहे हैं? सवाल यह है कि इस हत्याकांड का मूल निवास को लेकर कोई नाता नहीं है लेकिन हत्याकांड को आगे रखकर मूल निवास पर सियासत करने का गेम प्लान किसने तैयार किया और उसके चलते बिना मतलब के सडकों पर आंदोलन को हवा देना किसी बडी रणनीति का हिस्सा तो नहीं यह भी एक चर्चा का विषय बना हुआ है?

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