सीएम साहब अपनी गुगली से क्लीन बोल्ड करोे मास्टर माइंड का खेल!
भ्रष्टाचार अधिनियम का मामला दर्ज होने पर ही मचेगा ‘भूचाल’
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड में पिछले तीन सालों से देश के प्रधानमंत्री के भ्रष्टाचारमुक्त विजन को धरातल पर उतारते आ रहे मुख्यमंत्री ने यह संदेश दे रखा था कि राज्य के अन्दर कोई भी भ्रष्टाचारी या घोटालेबाज उनकी नजरों से नहीं बच पायेगा। मुख्यमंत्री ने अपने शासनकाल में दो सौ के करीब भ्रष्टाचार की छोटी-बडी मच्छलियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाकर भ्रष्टाचारियों में एक बडी खलबली मचा रखी है। वहीं मुख्यमंत्री के विजन को हवा मे उडाने के लिए हरिद्वार के नगर निगम में भूमि खरीद को लेकर जो करोडो का घोटाला अंजाम दिया गया उसकी भनक सरकार के कानो मे नहीं पड पाई लेकिन जैसे ही इस घोटाले की गूंज मुख्यमंत्री के कानो मे गूंजी तो वह सख्त अंदाज में घोटालेबाजों को सबक सिखाने के लिए आगे बढे और इस मामले की जांच उन्होंने एक आईएएस अफसर से कराकर बारह लोगों को निलम्बित कर दिया जिसमें हरिद्वार के डीएम, एसडीएम और पूर्व नगर आयुक्त भी शामिल हैं। धामी के इस धाकड एक्शन से अफसरशाही में खलबली मची हुई है लेकिन हर तरफ एक शोर मचा हुआ है कि आखिरकार धाकड धामी को कैसे वो मास्टर माइंड ललकारने के लिए एक बडा खेल खेल गया जिसे इस घोटाले का असली मास्टर माइंड माना जा रहा है? अब एक ही आवाज बुलंद हो रही है कि पहले मुख्यमंत्री इस घोटाले में भ्रष्टाचार अधिनियम का मामला दर्ज कराकर एक बडा संदेश दे कि घोटालेबाज या भ्रष्टाचार करने वाला बक्शा नहीं जायेगा? उत्तराखण्ड के अन्दर यह बहस भी शुरू हो गई है कि सीएम साहब अपनी गुगली से इस घोटाले के मास्टर माइंड को क्लीन बोल्ड कर दो जिसने आपके भ्रष्टाचारमुक्त उत्तराखण्ड के विजन पर पर्दे के पीछे रहकर घोटाला कराने का प्रपंच रचा था?
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के भ्रष्टाचारमुक्त उत्तराखण्ड के विजन को देखकर हमेशा उन्हें शाबाशी देते आ रहे हैं कि आज उत्तराखण्ड के अन्दर भ्रष्टाचारियों का साम्राज्य खत्म किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड को 2025 तक भ्रष्टाचारमुक्त बनाने का बडा संकल्प लिया हुआ है और उस संकल्प को देखते हुए अफसरशाही में एक हलचल है कि अगर किसी ने भी मुख्यमंत्री के विजन को हवा मे उडाने की कोशिश की तो उस पर गाज गिरना तय है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के भ्रष्टाचारमुक्त उत्तराखण्ड के विजन पर ग्रहण लगाने के लिए हरिद्वार जिला प्रशासन और नगर निगम के कुछ लोगों ने एक बडा भूमि घोटाला नाटकीय ढंग से अंजाम दे दिया और सरकार के करोडो रूपये का नुकसान कराने का जो एक बडा खेल खेला था वह जब मुख्यमंत्री के सामने बेनकाब हुआ तो उन्हांेने सख्त रूख अपनाते हुए मामले की जांच आईएएस रणबीर सिहं चौहान को सौंपी और उसके बाद हरिद्वार जनपद के डीएम, एसडीएम व पूर्व नगर आयुक्त पर मुख्यमंत्री ने बडा एक्शन लेते हुए संस्पेंड कर दिया और मामले की जांच विजिलेंस के हवाले कर दी।
इस घोटाले में बारह लोगों पर भले ही सरकार का सख्त एक्शन हुआ हो और उन्हें संस्पेंड कर दिया हो लेकिन राज्य के गलियारों में यही बहस छिडी हुई है कि इस भूमि घोटाले का असली मास्टर माइंड तो अभी अदृश्य है जिसने सम्भवतः जिला प्रशासन के कुछ अफसरों पर दबाव बनाकर इस भूमि घोटाले को अंजाम दिलाया और खुद दस्तावेजों में कहीं अपनी एंट्री न कराकर वह सबकी नजरों से पाक-साफ बना हुआ है? हालांकि चर्चाओं का बाजार गर्म है कि इस घोटाले को लेकर कुछ व्हटसप चैट भी हैं जिससे इस घोटाले का सारा राज बेनकाब हो सकता है और उस मास्टर माइंड के चेहरे से भी नकाब उठ सकता है जिसने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के भ्रष्टाचारमुक्त उत्तराखण्ड के विजन को ललकारने का बडा प्रपंच रचा था? अब हर तरफ एक ही बहस छिडी हुई है कि मुख्यमंत्री जो कि पारदर्शिता और स्वच्छता के साथ सरकार चलाने के लिए देश के प्रधानमंत्री के आंखो के तारे बने हुये हैं वह जरूर अपनी गुगली से उस मास्टर माइंड को क्लीन बोल्ड कर देंगे जिसने उनके राज्य में इस घोटाले को अंजाम दिलाने के लिए बडे नाटकीय ढंग से खेल खेला था? हर तरफ एक ही बहस चल रही है कि यह मामला इतना बडा है कि वैसे तो इसकी जांच सीबीआई या फिर न्यायालय के न्यायाधीश की देखरेख में एसआईटी से कराई जाये तभी मास्टर माइंड का असली चेहरा बेनकाब हो पायेगा? अगर सरकार विजिलेंस से ही जांच कराने के लिए आगे रहती है तो फिर वह पहले इस घोटाले में भ्रष्टाचार अधिनियम का मामला दर्ज कराये जिसके बाद ही जांच को आगे बढाया जाये और जांच में किसी बडे अफसर को ही शामिल रखा जाये जिससे दबाव का कोई खेल न हो सके?