पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के करीबी धीरेन्द्र-रमेश ने जमीनों में खेला खेल!

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पैंतीस लाख में खरीदी चालीस बीघा जमीन
जमीन तक पहुंचने के लिए ढाई किलोमीटर सडक कैसे बनी!!
तो क्या तीरथ रावत जमीन तक बनाये पुल की करायेंगे जांच?
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने कार्यकाल में जो कुछ गलत किया उस पर अगर किसी भी मीडियाकर्मी ने उंगली उठाने की कोशिश की तो उस पर शिंकजा कसने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री व उनकी टीम के कुछ लोग हमेशा आगे आते रहे? लम्बे समय से चर्चाएं चल रही थी कि त्रिवेन्द्र रावत के पूर्व ओएसडी धीरेन्द्र पंवार व उनके मीडिया सलाहकार ने संयुक्त रूप से डोईवाला में एक बडी जमीन खरीदी है लेकिन इस जमीन की सच्चाई सामने नहीं आ पा रही थी लेकिन अब पत्रकार उमेश कुमार ने त्रिवेन्द्र रावत के दो करीबी रहे धीरेन्द्र पंवार व रमेश भट्ट को कटघरे में खडा करतेे हुए कहा है कि उन्होंने संयुक्त रूप से डोईवाला में चालीस बीघा जमीन कोडियों के भाव खरीदी थी और कुछ दस्तावेज उन्होंने सोशल मीडिया पर उजागर करते हुए दावा किया है कि यह टापू किसका है? यहां संयुक्त खातेधार के रूप में उनकी कितनी जमीन हैं? इतना ही नहीं उन्होंने यहां तक दावा किया है कि इस जमीन तक पहुंचने के लिए अब तक का सबसे तेज बना करोडो का पुल सरकारी पैसे से कैसे बना और इस जमीन तक पहुंचने के लिए ढाई किलोमीटर की सडक कैसे बनी? अब देखने वाली बात होगी कि राज्य के नये मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत जो कि राज्य में स्वच्छ प्रशासन देने का वचन उत्तराखण्ड की जनता से कर चुके हैं उन पर अब राज्यवासियों की नजर है कि क्या वह पूर्व मुख्यमंत्री के इन दो करीबियों द्वारा कोडियों के भाव खरीदी गई जमीन, उस तक पहुंचने के लिए सरकारी धन से बनाये गये पुल और कई किलोमीटर की सडक की जांच कराने के आदेश देंगे? बहस यह भी छिड रही है कि यह आरोप भाजपा सरकार में शामिल रहे पूर्व मुख्यमंत्री के पूर्व ओएसडी व मीडिया सलाहकार पर लगे हैं इसलिए अगर इस मामले में आगे आकर मुख्यमंत्री ने जांच कराने के लिए हरी झण्डी न दी तो उससे आवाम के मन में नये मुखिया को लेकर एक बडा संशय पैदा हो सकता है?
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत पर वर्षों पूर्व पत्रकार उमेश कुमार ने खुला आरोप लगाया था कि रायवाला में बनायी गयी झील के आसपास त्रिवेन्द्र रावत व उनके एक करीबी ने काफी जमीन खरीदी थी और उस जमीन का भाव उच्चाईयांें तक पहुंचाने के लिए ही पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने वहां झील का निर्माण कराया था। यह मामला हमेशा सुर्खियों में रहा लेकिन इस पर हमेशा पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी चुप्पी साधकर रखी लेकिन आरोप लगाने वाले पत्रकार उमेश कुमार को नेस्तानबूत करने के लिए उन्होंने हर वो पासा फेंका जिससे उमेश कुमार पर शिंकजा कसा जा सके। त्रिवेन्द्र रावत के शासनकाल में ही उनके पूर्व ओएसडी धीरेन्द्र पंवार व उनके पूर्व मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट के बारे में चर्चाएं पनपती रही कि उन्होंने डोईवाला में कहीं संयुक्त रूप से कई बीघा जमीन खरीदी है लेकिन इसका सच पता नहीं चल पाया। अब जैसे ही त्रिवेन्द्र रावत की कुर्सी हिली और उनके पूर्व ओएसडी धीरेन्द्र पंवार व मीडिया सलाहकार पैदल हुये तो पत्रकार उमेश कुमार ने धीरेन्द्र पंवार व रमेश भट्ट द्वारा संयुक्त रूप से खरीदी गई जमीन को लेकर चौकाने वाला रहस्य सोशल मीडिया पर उजागर कर दिया। उमेश कुमार ने सवाल उठाया कि इन दोनो ने करोडो की मार्किट वैल्यू की जमीन गांव वालों को क्या कहकर संयुक्त खातेदार के रूप में खरीदी थी उन्होंने सोशल मीडिया पर इस जमीन का एक नक्शा भी सार्वजनिक किया और सवाल दागा कि यह टापू किसका है? यहां संयुक्त खातेदार के रूप में इन दोनो की कितनी जमीन है? उमेश कुमार ने यह भी दावा किया है कि रमेश भट्ट धीरेन्द्र पंवार ने पैंतीस लाख की चालीस बीघा जमीन खरीदी है? अब देखने वाली बात होगी कि यह आरोप भाजपा शासनकाल के पूर्व मुख्यमंत्री के पूर्व ओएसडी व पूर्व मीडिया सलाहकार पर लगा है इसलिए अब राज्यवासियों की नजर नये मुख्यमंत्री पर जा टिकी है कि क्या वह इस जमीन को रहस्यमय तरीके से खरीदे गये खेल की बडी जांच कराने के लिए आगे आयेंगे या फिर इन दोनो को नये निजाम में भी क्लीन चिट मिल जायेगी?

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