ईडी ने हरक की भूमि की अटैच

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देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड में निकाय चुनाव के दौरान कांग्रेस की ओर से सबसे ज्यादा आक्रामक प्रचार कर रहे हरक सिंह रावत पर ईडी की रडार घूम गई और चुनाव प्रचार खत्म होते ही और मतदान से ठीक एक दिन पहले ईडी ने अपनी बडी कार्यवाही को अंजाम देते हुए कांग्रेस के पूर्व मंत्री की सहसपुर में स्थित 1०1 बीघा जमीन को मनी लॉडरिंग मामले के तहत अस्थाई रूप से अटैच कर कांग्रेसी हलकों में बडी खलबली मचा दी। ईडी की इस कार्यवाही से हरक सिंह रावत पर एक बार फिर शिकंजा कसता हुआ नजर आ रहा है और यह भूमि लम्बे समय से विवादों के द्वार पर खडी हुई थी और इसको लेकर कुछ संगठन भी सरकार और ईडी से इस जमीन का सच सामने लाने की मांग कर रहे थे। हरक सिंह रावत की जमीन पर ईडी का शिकंजा कसने से उत्तराखण्ड की सियासत में एक बार फिर बडी हलचल मचती हुई दिखाई दे रही है और यह बात उठ रही है कि चुनावी संग्राम होने के बाद ईडी की इस कार्यवाही को लेकर कांग्रेस के कुछ नेता भी हरक के साथ खडे होकर उनकी पैरवी में जुट सकते हैं? हालांकि लम्बे समय से ईडी अपनी जांच पडताल के पन्नों में उलझी हुई थी और निकाय चुनाव से ठीक एक दिन पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता की करोडो की जमीन को ईडी द्वारा अटैच किये जाने से यह सवाल पनप रहे हैं कि अब ईडी का अगला एक्शन क्या होगा?
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड के अन्दर ठंड के इस मौसम में एकाएक राजनीतिक तापमान उस समय गर्मा गया जब बीते रोज ईडी की टीम ने हरक सिंह रावत की सहसपुर मे स्थित 1०1 बीघा जमीन को अस्थाई रूप से अटैच करके कांग्रेसी नेता हरक की नींद उडा दी? गौरतलब है कि लगभग एक माह पूर्व ईडी ने हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत, पुत्र तूषित रावत समेत अन्य लोगों से पूछताछ की थी। ईडी ने दून के निकट सहसपुर मे स्थित हरक सिंह रावत की 1०1 बीघा जमीन को अटैच किया है पत्नी दीप्ति रावत द्वारा खरीदी गई जमीन अब दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस का हिस्सा है। इस संस्थान को पूर्णा देवी मैमोरियल ट्रस्ट के तहत संचालित किया जाता है और दीप्ति रावत इस ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं। चर्चायें उठती रहती हैं कि ट्रस्ट का नियंत्रण हरक सिंह रावत के परिवार और दोस्तों द्वारा किया जाता है। इस जमीन की रजिस्ट्री 6.56 रूपये मे की गई थी जबकि इसका बाजार मूल्य 7० करोड रूपये आंका गया है। धन शोधन का मामला उत्तराखण्ड पुलिस द्वारा रावत के करीबी सहयोगी बीरेन्द्र सिंह कंडारी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर से सामने आया है। ईडी का दावा है कि अदालत के जमीनों की बिक्री को रद्द करने के स्पष्ट आदेश के बावजूद दिवंगत सुशीला रानी ने अन्य व्यक्तियों के साथ साजिश करके कंडारी और नरेन्द्र कुमार वालिया (इन जमीनों के लिए) के नाम पर दो पॉवर ऑफ अटॉनी पंजीकृत की थी। एजेंसी ने कहा कि कंडारी ने पॉवर ऑफ अटॉनी का उपयोग करके रावत की पत्नी दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा को मामूली राशि पर यह जमीन बेच दी थी। यह सरकारी राजस्व प्राधिकरण द्वारा निर्धारित सर्किल दरों से बहुत कम थी। ईडी का आरोप है कि दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा ने बीरेन्द्र सिंह कंडारी, हरक सिंह रावत, दिवंगत सुशीला रानी और अन्य व्यक्तियों द्वारा रची गई साजिश के तहत उक्त भूमि अपने नाम पर पंजीकृत करा ली थी। ईडी ने इस जमीन को अटैच करके कांग्रेसी नेता हरक सिंह रावत और उनके करीबियों की नींद उडाकर रख दी है। बता दें कि निकाय चुनाव में हरक सिंह रावत कुछ जनपदों में पार्टी उम्मीदवारो ंके समर्थन में एक जोश के साथ कांग्रेस का प्रचार-प्रसार करते हुए दिखाई दिये थे और उन्होंने आम जनमानस से कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान करने का भी संदेश दिया था। वहीं मतदान से ठीक एक दिन पूर्व ईडी द्वारा हरक सिंह रावत की 1०1 बीघा जमीन को अटैच किये जाने से कांग्रेसी हलकों में भी खलबली मची हुई है। अब देखने वाली बात होगी कि चुनाव के बाद क्या इस मुद्दे पर कांग्रेस के छत्रप हरक के समर्थन मे ईडी को ललकारने के लिए आगे आयेंगे या फिर इस मामले में कांग्रेस के छत्रप हरक को मझधार में छोड देंगे?

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