होलिका पूजन की राजधानी में रही धूम

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देहरादून।(नगर संवाददाता) राजधानी में होलिका पूजन की धूम रही और लोगों को होलिका का पूजन कर पुण्य कमाया और इस दौरान श्रद्धालुओं ने व्रत भी रखे। इस दौरान राजधानी व आसपास के क्षेत्रों में जगह जगह लोगों ने होलिका का पूजन किया।
यहां राजधानी में वृहद स्तर पर होलिका पूजन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कहा गया कि भगवान सबके कष्टों को होलिका में दहन कर जीवन और जीवन-क्रम में नित-नये रंगीन आयामों की आभा से पुष्पित और पल्लवित कर समाज , राष्ट्र और सम्पूर्ण प्राणी-जगत का भी कल्याण करें।
इस अवसर पर कहा गया कि यह पावन त्यौहार हास्य की वह मिसरी है , जो उपदेश की कड़वी कुनैन को भी इतना मीठा बना देती है कि छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बड़े बुढ़े तक उसे बड़ी रुचि होती है और होली का त्यौहार भाईचारे एवं एकता का प्रतीक है।
इस अवसर पर कहा गया कि होलिका दहन में कहानी काफी प्रचलित है और उसी कहानी को लेकर आज तक होलिका दहन किया जाता है और अलग अलग समय पर राजधानी सहित आसपास के क्षेत्रों में होलिका का दहन किया जायेगा। वहीं होलिका दहन पर भ्रदा की छाया है और इसके लिए अलग अलग समय निर्धारित किये गये।
इस अवसर पर ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भद्रा देर रात समाप्त होगा और उसके बाद ही होलिका दहन किया जाएगा। इस दौरान आचार्य सुशांत राज ने बताया कि फाल्गुन पूर्णिमा रविवार को पड़ी है और यह तिथि 25 मार्च की दोपहर 12.29 बजे तक रहेगी। उन्होंने बताया कि होलिका दहन की पूजा करने के लिए स्नान कर उत्तर या पूरब दिशा की ओर मुंह कर बैठना चाहिए। उन्होंने बताया कि गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाना शुभ होता है। उन्होंने बताया कि सामग्री में रोली, फूल, फूलों की माला, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, पांच से सात प्रकार के अनाज और एक लोटे में पानी रखना चाहिए। उन्होंने बताया कि विधि-विधान से पूजा करते हुए मिठाइयां और फल चढ़ाना चाहिए। होलिका की पूजा के साथ ही भगवान नरसिंह की भी पूजा किए जाने का विधान है। उन्होंने बताया कि उसके बाद होलिका की सात परिक्रमा की जाती है। इस दौरान राजधानी के अनेक स्थानों पर होलिका पूजन किया गया और देर सांय होलिका दहन किया गया।

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