अजय बनते पुष्कर

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मित्र नरेन्द्र के पद चिन्हों का कर रहे अनुसरण
यूसीसी विधेयक पास कराकर उठाया ऐतिहासिक कदम
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। अंग्रेजी में एक कहावत है, ‘‘प्रैक्टिस मेकस ए मैन परफेक्ट’’। वहीं हिंदी में भी एक दोहा है, ‘‘करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान’’। इन दोनों वाक्यों का अभिप्राय लगभग एक ही है कि मेहनत करने वाला व्यक्ति अपने लक्ष्य का हासिल कर ही लेता है। जैसे कि सबको मालूम है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केन्द्रीय सत्ता संभालने से पहले एक राज्य के मुख्यमंत्री थे। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने ने ऐसे उल्लेखनीय कार्य किए, जिसकी बदौलत आज तक उनकी विरासत को संभालने वाले उस राज्य के मुख्यमंत्री वहां शासन कर रहे है और बहुत ही अच्छे ढंग से कर रहे है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपनी प्रेरणा मानने वाले उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी अब उनके पद चिन्हों पर चलते हुए नजर आ रहा है। पुष्कर सिंह धामी ने अपने कुछ वर्षों के कार्यकाल में बहुत कुछ ऐसा कर दिया है, जिसकी वजह से उन्होंने न सिर्फ प्रदेश में बल्कि समूचे देश में अपनी अमिट छाप छोड़ दी है। फिर चाहे उनके द्वारा पूर्व में लाया गया नकलरोधी कानून हो या हाल में लाया गया यूसीसी विधेयक को पास कराया हो, पुष्कर जनहित में ऐसे ऐसे कदम उठा रहे हैं, जिनकी विपक्ष तो क्या सत्तापक्ष ने भी शायद कभी कल्पना नहीं की हो? पुष्कर द्वारा निरंतर उठाए जा रहे ऐसे क्रांतिकारी कदमों से अब यह आभास होने लगा है कि वह उत्तराखण्ड में युगपुरूष बनते जा रहे हैं और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जोकि पुष्कर सिंह धामी के मित्र भी है, उनकी तर्ज पर उत्तराखण्ड में भी गुजरात जैसी परंपरा का आगाज करते हुए नजर आ रहे है। बता दें कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेन्द्र मोदी ने एक ऐसी परंपरा शुरू की थी कि विपक्षी दलों ने वहां पर सत्ता का स्वाद चखने का सपना पालना भी छोड़ दिया था। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा जनहित और प्रदेशहित में किए जा रहे कार्य भी इस ओर इशारा कर रहे है कि आने वाले समय में उत्तराखण्ड में भी विपक्ष सत्ता का स्वाद चखने को तरस जाए। बात भी सही है, प्रदेश की जनता का क्या चाहिए विकास और समर्दि्ध, जोकि उन्हें पुष्कर शासन में मिल रही है, तो वह सत्ता का परिवर्तित क्यों करें?
अटकलों और कयासों के बांध को तोड़ते हुए उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संविधान की पुस्तक का हाथ लेकर विधानसभा में यूसीसी विधेयक पेश किया। यूसीसी मतलब यूनिफार्म सिविल कोड या हिंदी में कहें तो समान नागरिक संहिता। इस विधेयक को विधानसभा सदन में पास कराकर मुख्यमंत्री ने देशभर मंे अपनी धाकड़ पहचान बना ली है। संज्ञा देना भी लाजमी है क्योंकि उत्तराखण्ड की पुष्कर धामी सरकार ऐसा करने वाली पहली सरकार है। केन्द्र की मोदी सरकार से प्रेरणा लेते हुए प्रदेश की धामी सरकार भी जनहित के लिए सख्त कदम उठाने से बिलकुल भी परहेज नही करती है। प्रदेश में नकल माफियाओं की कमर तोड़ने के लिए जहां धामी सरकार नकलरोधी कानून लेकर आई थी वहीं अब वह समरसता की भावना के साथ राज्य के लिए यूसीसी विधेयक लाकर उसे सदन में चर्चा के बाद पास कराया हो। माना जा रहा है कि इस विधेयक का लाभ समाज के हर वर्ग को मिलेगा। सरकार द्वारा किए जा रहे अच्छे कार्यों में भी खामियां ढूंढने वाला विपक्ष इस विधेयक को गलत साबित करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है।
एक बात तो माननी पड़ेगी, भाजपा जो वादे अपने घोषणा पत्र में करती है, उन्हें देर सबेर निभा ही देती है। फिर चाहे वो जम्मू-कश्मीर से धारा 370 का हटाना हो या फिर तीन तलाक को समाप्त करना। ऐसा ही वादा उत्तराखण्ड भाजपा ने अपनी जनता से किया था, समान नागरिक संहिता विधेयक लाने का, जोकि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 6 फरवरी 2024 को पूरा कर दिया और इस तारीख को सदा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज कर दिया। उल्लेखनीय है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में घोषणा की थी कि दोबारा सत्ता में आने पर राज्य में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। उत्तराखण्ड की आवाम ने इसे स्वीकारा और इसका परिणाम यह निकला कि भाजपा ने इतिहास दर्ज करते हुए लगातार दूसरी बार राज्य सरकार बनायी। सीएम धामी ने भी अपने वादे को अमलीजामा पहनाते हुए दूसरे कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक में ही राज्य में यूसीसी लागू करने की दिशा में ड्राफ्ट तैयार करने को विशेषज्ञ समिति के गठन का निर्णय लिया। जिसके बाद विशेषज्ञ समिति गठित हुई और समिति से ड्राफ्ट मिलने के पश्चात अब सरकार ने विधानसभा में इसे पास कराकर मुख्यमंत्री ने देशभर में अपने नाम का डंका बजा दिया है।
पार्टी और संगठन को स्वयं से ज्यादा तवज्जों देने के लिए सीएम धामी विख्यात है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण उसे समय देखने को मिल गया था जब पिछले विधासनसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र को प्राथमिकता न देते हुए पार्टी के हित में पूरे प्रदेश के अंदर भ्रमण कर अपने प्रत्याशियों का प्रचार किया था। ऐसी समर्पण की भावना बहुत कम राजनेताओं में देखने को मिलती है। उनका यही समर्पण और जनहित के पक्ष में कठोर फैसले लेने का दृढ़निश्चय उन्हें ‘अजय’ बनाता जा रहा है।

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