टनल रेस्क्यू ऑपरेशन के हीरो बनेंगे पुष्कर

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। यह कहावत सच है कि जो टीम का लीडर होता है उसी को असफलता और सफलता का ताज पहनाया जाता है और ऐसा ही नजारा पिछले कुछ दिनों से उत्तरकाशी के सिलक्यारा में बन रही टनल में फंसे श्रमिकों को लेकर देखने को मिल रहा है। अंधेरी गुफा में दस दिन से कैद श्रमिकों के बारे में उनकी कोई खबर बाहर न आने से आशंकाओं का दौर चल रहा था और तरह-तरह की चर्चाओं ने जन्म ले रखा था लेकिन राज्य के युवा मुख्यमंत्री ने टनल में फंसे सभी श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने का ऑपरेशन खुद अपने हाथों में ले रखा है और उन्होंने राज्य आपदा की टीम से लेकर अपने अफसरों को मौके पर ही डेरा डालने के तैनात किया हुआ है। खुद दो बार मुख्यमंत्री रेस्क्यू ऑपरेशन देखने के लिए सिलक्यारा में डेरा डाल चुके हैं और 41 जीवन बचाने को मुख्यमंत्री ने जिस तरह से मैदान में मोर्चा संभाल रखा है और उनकी टीम लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी एजेंसियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ रही हैं उसे देखकर श्रमिकों के परिजनों के चेहरे भी गुलजार नजर आ रहे हैं और उन्हें यह आभास हो गया है कि मुख्यमंत्री एक गंभीर राजनेता हैं और उन्हें टनल में फंसे सभी श्रमिकों का दर्द मालूम है जिसके लिए उन्होने देश-विदेश से ऑपरेशन के लिए बडी-बडी मशीनें और विशेषज्ञ बुलाकर यह साबित कर रखा है कि उनके लिए एक-एक जीवन कितना कीमती है। टनल से आई श्रमिकों की तस्वीरों ने सरकार और देशवासियों के चेहरे पर एक खुशी दी है और जब टनल के अन्दर से सभी श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाला जायेगा तो उस दिन उत्तराखण्डवासियों के लिए वह पल किसी उत्सव से कम नहीं होगा और इस कामयाबी के हीरो सिर्फ और सिर्फ पुष्कर सिंह धामी ही होंगे।
उत्तराखण्ड के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने राज्य के अन्दर जब भी कोई बडी चुनौती आई तो उन्होंने उस चुनौती का खुलकर सामना किया और वह हर मोर्चे पर हमेशा आगे खडे हुये दिखाई दिये जिससे राज्यवासियों के मन में एक आशा की किरण ने जन्म ले लिया है कि उनका मुख्यमंत्री हर मुश्किल दौर में उनके साथ खडा हुआ है। उत्तरकाशी के सिलक्यारा की टनल में एक हिस्सा क्षतिग्रस्त होने से उसका मलवा गिर गया और उसके चलते टनल में काम कर रहे 41 श्रमिकों का जीवन अंधेरी गुफा में कैद हो गया था। अंधेरी गुफा के अंदर श्रमिक कैसे हैं इसकी कोई खबर बाहर नहीं आ पाई। इस हादसे को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने टनल में बडा ऑपरेशन चलाने की कमान खुद अपने हाथों में संभाली और उन्होंने अपनी आपदा प्रबंधन टीम, एसडीआरएफ, प्रशासन व पुलिस के अफसरों को मौके पर तैनात किया इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बात कर उन्होंने रेस्क्यू ऑपरेशन में सहयोग मांगा तो एनडीआरएफ, ओएनजीसी और कुछ एजेंसियां मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए पहुंच गई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रेस्क्यू ऑपरेशन को संभालकर किये जाने का संदेश सभी टीमों को दे रखा था और वह खुद शुरूआती दौर में ही अपने अफसरों के साथ मौके पर पहुंचे थे और उन्होंने टनल का निरीक्षण करने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी टीमों के साथ मंथन कर उन्हें जल्द से जल्द टनल में कैद सभी श्रमिकों को सकुशल निकालने का संदेश दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चार बार रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर बातचीत हो चुकी है। वहीं विपक्ष इस संकटकाल में भी मुख्यमंत्री के साथ खडा न होकर मौके पर जाकर जिस तरह से राजनीति करता हुआ नजर आया वह आवाम को काफी अखरा? सवाल खडा हो रहा है कि इस संकट के दौर में विपक्ष अगर मुख्यमंत्री के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खडा होता तो देशभर में संदेश जाता कि विपक्ष का काम सरकार पर उंगलियां उठाना नहीं बल्कि आपदा के समय उसके साथ खडा होना भी होता है। मुख्यमंत्री ने बार-बार यह संदेश दिया कि टनल के अन्दर फंसे सभी श्रमिक सुरक्षित हैं और उनका यह संदेश उस समय सच साबित हो गया जब टनल के अन्दर से श्रमिकों की कुशलता की तस्वीरें सामने आई। अब जब टनल के अन्दर से आने वाले दिनों में सभी श्रमिक सकुशल बाहर आयेंगे तो इस रेस्क्यू ऑपरेशन के विजय का ताज सिर्फ और सिर्फ पुष्कर सिंह धामी के सिर पर ही सजेगा क्योंकि उन्होंने हर पल इस ऑपरेशन को लेकर अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है।

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