संवाददाता
देहरादून। उत्तराखंड में भू-कानून बनाने जाने व वनों पर उत्तराखंडियों के पुश्तैनी हकघ्-हकूक और वनाधिकार बहाली के लिये उत्तराखंडियों ने सांसदों और केन्द्र सरकार को जगाने व ध्यानाकर्षण के लिए जन्तर-मंतर पर धरना दिया। इस अवसर पर पुलिस द्वारा अनुमति न दिये जाने के बावजूद उत्तराखंडी धरने पर जमे रहे।
इस अवसर पर धरने पर बैठे हुए आन्दोलनकारियों ने माँग की है कि अन्य हिमालयी राज्यों की तरह उत्तराखंड के लिये भी वहाँ की जमीनों को बचाने के लिये कानून बनाया जाना चाहिये, जिससे वहाँ के जन, जल, जंगल व जमीन को बचाया जा सके। आंदोलनकारियों ने कहा कि वनाधिकार कघनून-2००6 को राज्य में लागू किया जाय और वनाधिकार कघनून की भावना के अनुरूप उत्तराखंडियों को वनों पर उनके विरासती सामुदायिक और व्यक्तिगत अधिकारों व हकघ्-हकूकों को उन्हें वापस किया जाय। आन्दोलनकारियों ने कहा कि राज्य की 91: भूमि उत्तराखंडियों ने राष्ट्र व मानवता की रक्षा के लिये समर्पित कर रखी है। मात्र 9: भूमि पर वहाँ के निवासी गुजर-बसर कर रहे हैं।
आंदोलनकारियों ने कहा कि राज्य के निवासियों को इस भूमि को वापस किया जाय या उसकी क्षतिपूर्ति दी जाय। क्षतिपूर्ति के रूप में वहाँ के निवासियों को थ्वतमेज क्ूमससमत घोषित किया जाय और देश के अन्य भागों के फॉरेस्ट डिवैलर्स को जो सुविधायें दी जा रही हैं, उत्तराखंडियों को भी दी जायँ, जिसमें वहाँ के निवासियों को क्षतिपूर्ति के रूप में राज्य के निवासियों को बिजली, पानी व रसोई गैस निशुल्क दी जाय।
इस अवसर पर आंदोलनकारियों ने परिवार के एक सदस्य को योग्यतानुसार पक्की सरकारी नौकरी दी जाय।केंद्र सरकार की सेवाओं में आरक्षण दिया जाय, जंगली जानवरों से जन हानि पर 25 लाख मुवावजा और प्रभावित परिवार के एक सदस्य को पक्की सरकारी नौकरी दी जाय। जड़ी-बूटियों के दोहन पर स्थानीय समुदाय का अधिकार हो तथा जल सम्पदा व नदियों पर लोकाधिकार हो।
आंदोलनकारियों ने कहा कि यह बिलकुल सही और उपयुक्त समय है जब वन तथा वन्य पशु से सम्बन्धित कघनूनों की समीक्षा जरूरी हो गयी है, ये नियम-कघनून स्थानीय समुदायों पर कुठाराघात करते हैं। आन्दोलनकारियों ने कहा कि वे केंद्र व राज्य सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि इन जायज माँगों को तुरन्त स्वीकार किया जाय, बल्कि विधान सभा चुनावों से पहले इस पर निर्णय लिया जाय। इस मुहीम को आगे बढ़ाने के लिये जन संगठनों, सामाजिक संगठनों और राजनैतिक दलों को भी जोडऩे का काम किया जायेगा और भविष्य के आन्दोलन की रूप रेखा बनायी जायेगी। इस अवसर पर अनेक आंदोलनकारी शामिल रहे।