रिजर्व फोरेस्ट में कब्जे से भड़की चिंगारी
उत्तराखण्ड में हर एक अवैध कब्जा उखाड़ फेकेंगेः मोहित
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड की राजधानी में जहां मौसम गर्म होने से उसकी तपिश आम इंसान महसूस कर रहा है तो वहीं खलंगा के जंगलों पर भूमाफियाओं द्वारा सरेआम कब्जा किये जाने पर सरकार और वन विभाग की चुप्पी को लेकर एक बडा विद्रोह शुरू होता हुआ नजर आ रहा है। मूल निवास, भू कानून संघर्ष समिति ने जंगल में हो रहे इस बडे कब्जे को लेकर सरकार और सिस्टम को खुला अल्टीमेटम दे दिया है कि उत्तराखण्ड सरकार राज में भूमाफिया चाहे जितनी कोशिश कर लें वे अपने जंगलों पर बाहरी भूमाफियाओं का कब्जा नहीं होने देंगे और उत्तराखण्ड में हर एक कब्जा उखाड फेंकेगे। समिति के लोगों ने सिस्टम को ललकारते हुए खलंगा के जंगल में अपने कदम रखे और वहां हो रहे अवैध निर्माण की सामग्री को उखाड फंेककर उन्होंने संकल्प लिया है कि वह अपने जंगलों को बचाना जानते हैं और चाहे भूमाफिया कितने ही पॉवरफुल क्यों न हो उन्हें जंगलों में कब्जा नहीं करने देंगे। खलंगा के जंगल में हो रहे अवैध निर्माणों को लेकर हर तरफ इसकी चिंगारी भडकते हुए नजर आ रही है और वहीं संयुक्त नागरिक संगठन ने भी जंगल में हो रहे इस कब्जे को लेकर अपनी बडी नाराजगी दिखाई है और साफ कहा है कि जंगल में कब्जा करना सबसे बडा अपराध है और वह अपने जंगलों को बचाने के लिए हमेशा आगे रहेंगे। वहीं कब्जा स्थल पर काफी संख्या में लोग पहुंचे जिससे वहां का माहौल तनावपूर्ण भी रहा और यह बात उठ खडी हुई कि आखिरकार जो लोग जंगल के अन्दर चालीस बीद्या अपनी जमीन होना बता रहे हैं उन्हें आखिरकार जंगल के अन्दर की यह जमीन किसने और कब बेची थी इसकी भी एक बडी जांच होनी चाहिए।
राजधानी के रायपुर इलाके में खलंगा जंगल में अचानक वहां अवैध निर्माण होता देख लोगों के पैर तले जमीन खिसक गई थी और वह यह देखकर आश्चर्यचकित थे कि आखिरकार जंगल के अन्दर गेट लगाकर कब्जा करने वाले लोग आखिरकार हैं कौन? कुछ लोगों ने जब जंगल में जाकर अवैध निर्माण करा रहे व्यक्ति से सवाल जवाब किये तो उसने बताया कि हरियाणा के एक व्यक्ति की जंगल के अन्दर चालीस बीद्या जमीन है जिस पर एक महिला ने कब्जा करा रहे व्यक्ति से कहा कि रिजर्व वन क्षेत्र में कहां से उनकी जमीन आ गई? जमीन पर कब्जा करने का यह खेल एकाएक बेनकाब हो गया और आग की तरह यह खबर शहरभर मे फैल गई कि खलंगा जंगल के अन्दर भूमाफियाओं द्वारा अवैध कब्जा किया जा रहा है। जंगल पर कब्जा करने की खबर ने सिस्टम को भी कटघरे में लाकर खडा कर दिया तो वहीं मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी काफी आक्रामक नजर आये और उन्होंने सवाल दागा कि खलंगा के जंगलों पर भूमाफिया के कब्जे पर सरकार और वन विभाग की चुप्पी काफी हैरान करने वाली है। उन्होंने कहा कि हमारे जंगल, जल और जमीन खतरे में हैं। देहरादून के खलंगा के संरक्षित वन क्षेत्र की चालीस बीद्या भूमि पर बाहरी भूमाफिया ने तार-बाढ कर गेट लगाकर कब्जा शुरू कर दिया है। धने जंगल में प्लाटिंग और कैंप की साजिश रची जा रही है क्या हम धरोहर को यूं ही लूटने देंगे? मोहित डिमरी ने आरोप लगाया कि सरकार के कमजोर भू कानूनों ने जंगलों को बेचने का रास्ता खोल दिया है। पहले हमारी जमीने और खेत लूटे अब जंगल की बारी है। उन्होंने सवाल दागा कि वन विभाग को इसकी खबर नहीं थी? यह सब उनकी जानकारी और संरक्षण में हो रहा है और यह सीधा उत्तराखण्ड की असमिता पर हमला है। उन्होंने कहा कि भूमाफिया चाहे जितनी कोशिश कर लें वह जंगलांे पर बाहरी भूमाफियाओं का कब्जा नहीं होने देंगे और उत्तराखण्ड में हर एक कब्जा उखाड़ फेंकेंगे। सुबह कब्जा स्थल पर काफी संख्या में लोग काफी गुस्से में वहां डेरा डाले हुये थे और वन विभाग की टीम भी जांच पडताल मे आई हुई थी। अब सवाल यह है कि आखिरकार जंगल के अन्दर कैसे कोई व्यक्ति जमीन खरीद सकता है जबकि जमीन तो सरकार के वन महकमे की है?