और शिकायत के बाद क्लीन चिट दे गये विधायक

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देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड़ के गढ़वाल में अपनी बडी धमक रखने वाले लैन्सडाउन विधायक अपनी बेबाक राजनीति के लिए जाने जाते हैं और वह भ्रष्टाचार और घोटालों को लेकर हमेशा अपनी आवाज बुलंद करते रहे हैं यह भी किसी से छिपा नहीं है। गढवाल के इन विधायक को आम जनमानस इसलिए भी पसंद करता है कि वह जनहित के मामले उठाने मे कभी भी पीछे नहीं हटते और सरकार से वह जनहित के मुद्दों को लेकर अपनी बात रखते आ रहे हैं अभी विधायक ने इसी माह पांच मई को मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कहा कि उनके संज्ञान में लाया गया है कि दून मेडिकल कॉलेज की निर्माण कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम द्वारा निर्मित भवन एवं दून अस्पताल में काफी तकनीकी खामियां सामने आ रही हैं और उन्होंने उक्त कार्य में काफी अनियमिततायें पाये जाने की भी बात लिखी और मुख्यमंत्री को लिखा कि इससे यह प्रतीत होता है कि कुछ अधिकारियों की मिलीभगत के कारण सरकारी धन का दुरूपयोग किया गया है अत: सम्बन्धित कार्य मे पाई गई अनियमितताओं को ध्यान मे रखते हुए उक्त कार्यों की उच्च स्तरीय जांच कराने की उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की लेकिन विधायक ने बाइस दिन बाद फिर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा कि कुछ व्यक्तियों के द्वारा मुझ तक अनियमितताओं की जानकारी दी गई थी जिसके पश्चात विद्युत इकाई द्वारा आश्वासन दिया गया है कि सभी कार्य गुणवत्ता के साथ कर दिये गये हैं। सवाल उठता है कि जब विधायक ने मुख्यमंत्री से इन अनियमितताओं की जांच कराने की अपील की थी तो फिर वह मुख्यमंत्री द्वारा कराये जाने वाली जांच का इंतजार करते तो उससे दूध का दूध और पानी का पानी होता? हालांकि खुद शिकायत के बाद उन्होंने इस मामले में खुद ही क्लीन चिट दे दी है तो उन्हें उत्तराखण्ड का दयालु विधायक ही कहा जा सकता है?
पांच मई को लैन्सडाउन विधायक महंत दलीप रावत ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कहा कि उनके संज्ञान मे लाया गया है कि दून मेडिकल कॉलेज की निर्माण कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम द्वारा निर्मित भवन एवं दून अस्पताल में काफी तकनीकी खामियां सामने आ रही हैं। जिसमें इलैक्ट्रिकल का काम प्रमुख था जो कि भारतीय मेक मे हुआ है जबकि इसका पूरा कार्य आयातित मेक का था। जिसमें मुख्य कार्य ओटी, सीएसएसडी, वीसीबी पैनल का था। विधायक ने पत्र मे लिखा कि उन्हें अवगत कराया गया है कि उक्त कार्य मे काफी अनियमिततायें पाई गई हैं जिससे प्रतीत होता है कि कुछ अधिकारियों की मिलीभगत के कारण सरकारी धन का दुरूपयोग किया गया है। मुख्यमंत्री से विधायक ने मांग की कि सम्बन्धित कार्य मे पाई गई अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए उक्त कार्यों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाये। विधायक ने इस शिकायत के बाद 27 मई को एक बार फिर मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कहा कि उपरोक्त संदर्भित पत्र का संज्ञान लेने का वह कष्ट करें। कि दून मेडिकल कॉलेज द्वारा ओटी एवं एमरजेंसी ब्लाक का उपयोग अप्रैल 2०22 से किया जा रहा है तथा ग्यारह नवम्बर 2०22 को मुख्यमंत्री के द्वारा इसका लोकार्पण किया गया है। पत्र मे कहा गया कि आतिथि तक ओटी एवं एमरजेंसी भवन तथा ओपीडी सुचारू रूप से चल रहा है। विधायक ने पत्र मे कहा कि कुछ व्यक्तियों के द्वारा मुझ तक अनियमितताओं की जानकारी दी गई थी, जिसके पश्चात विद्युत इकाई द्वारा आश्वास दिया गया है कि सभी कार्य गुणवत्ता के साथ कर दिये गये हैं।
सवाल खडा होता है कि जब पांच मई को विधायक ने मुख्यमंत्री को इस अनियमितताओं को लेकर जांच कराने की मांग की थी तो फिर इस जांच के शुरू होने और खत्म होने का शायद उन्हें इंतजार भी करना चाहिए था लेकिन उन्होंने बाइस दिन बाद इस मामले में खुद क्लीन चिट देकर कहीं न कहीं अपने आपको राज्य का दयालु विधायक होने का ताज अपने सिर पर सजा लिया है?

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