प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड बनने के बाद राज्य मे जब भाजपा की सरकार आई तो उस दौर के एक्स मुख्यमंत्री ने बडे दावे किये थे कि उत्तराखण्ड को ऊर्जा प्रदेश बनाया जायेगा। ऊर्जा प्रदेश बनाने का दम भरने वाले एक्स सीएम अपने इस मिशन में सफल नहीं हो पाये थे और राज्य की जनता के मन में यही सवाल खडे हुये थे कि जब उत्तराखण्ड को ऊर्जा प्रदेश बनाने का विजन ही नहंी था तो फिर बडे-बडे दावे क्यों किये गये थे? उत्तराखण्ड में एक लम्बे दशक से बिजली के दामों में हो रही बढोत्तरी को लेकर एक आम इंसान त्राहिमान कर रहा है कि वह इस महंगाई के दौर में महंगा बिजली का बिल कैसे भुगतता रहेगा? उत्तराखण्ड मे आज जैसे ही बिजली के दामों में बढोत्तरी का शोर मचा तो जनता बोल पडी कि महंगाई डायन खाए जात है। जनता का दर्द है कि अभी गैस सिलेंडर महंगा होने से उनके बजट पर खतरा आ गया तो वहीं अब यह बिजली के दाम बढाकर उनके सामने एक बडा संकट लाकर खडा कर दिया गया है। आम जनमानस को प्रिपेड मीटर से राहत दिलाने के लिए विपक्ष अभी सडकों पर आंदोलन कर ही रहा है कि आज उत्तराखण्ड के करोडो लोगों को बिजली के दाम बढने से जो करंट लगा है उससे अब विपक्ष भी सरकार को कटघरे मे खडा कर सकता है।
उत्तराखण्ड में एक बार फिर करोडो उपभोक्ताओं को महंगाई का करंट लगने जा रहा है, दरअसल राज्य में उत्तराखण्ड विद्युत नियामक आयोग ने विभिन्न वर्ग के लिए बिजली के दामों में बढोत्तरी की घोषणा करके उन्हें एक बडा झटका दिया है। बिजली के दामों में बढोत्तरी हुई लेकिन फिक्स चार्ज मे बढोत्तरी नहीं की गई है और प्रति यूनिट बिजली के दाम करीब 33 पैसे तक बढाये गये हैं। नियामक आयोग ने प्रदेश में घरेलू और व्यवसायिक समेत विभिन्न वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए नई दरों की घोषणा की है। आयोग ने पिछले साल के टेरिफ के लिहाज से घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 33 पैसे प्रति दर के हिसाब से वृद्धि की है, इसी तरह व्यवसायिक उपभोक्ताओं के लिए 42 पैसे की वृद्धि की गई है। छोटी इंडस्ट्री के लिए 36 पैसे और बडी इंडस्ट्री के लिए 46 पैसे की बढोत्तरी की गई है। उधर इलौक्ट्रॉनिक व्हीकल चार्जजिंग स्टेशन में 65 पैसे की बढोत्तरी की गई है।
सवाल यह है कि एक तरफ जहां आयोग ने घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली के दाम बढाये हैं तो वहीं हिमालय क्षेत्र में रहने वाले उपभोक्ताओं को भी महंगाई का झटका दिया है। हिमालय क्षेत्र मे रहने वाले उपभोक्ताओं के लिए करीब दस पैसे प्रति यूनिट बिजली दर मे बढोत्तरी की गई है। सरकारी और शैक्षणिक संस्थाओं के साथ चिकित्सालयों के लिए पचीस किलोवाट तक प्रयोग करने पर तीस पैसे प्रति यूनिट की बढोत्तरी की गई है और पचीस किलोवाट से अधिक उपयोग करने पर पैंतीस पैसे प्रति यूनिट की बढोत्तरी हुई है। व्यवसायिक उपभोक्ताओं के लिए भी बिजली के दाम बढे हैं यहां भी फिक्स चार्ज नहीं बढाया गया है, चार किलोवाट तक उपयोग करने वाले व्यावसायिक उपभोक्ताओं के लिए पैंतीस पैसे की बढोत्तरी की है और पचीस किलोवाट तक का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं के लिए चालीस पैसे की बढोत्तरी की गई है। आयोग ने फिक्स चार्ज के रूप मे केवल उन बडे उद्योगों पर बोझ बढाया है जो आम किसान के रूप मे अब तक लाभ ले रहे थे। ऐसे कृषि उत्पादों से जुडे उद्योगों को फिक्स चार्ज के रूप मे अब 75 रूपये से 1०० रूपये तक फिक्स चार्ज देना होगा।
उत्तराखण्ड मे एक बार फिर जिस तरह से करोडो राज्यवासियों को एक बार फिर महंगी बिजली का करंट लगा है उससे आम आदमी के सामने एक बडा संकट आकर खडा हो गया है। आम जनमानस का कहना है कि अभी गैस सिलेंडर पर पचास रूपये बढने से उनका महीने का बजट गडबडायेगा तो वहीं महंगी बिजली उन्हें एक बडा करंट देगी जिससे उनके सामने इस महंगाई के दौर मे अपना परिवार पालना मुश्किल हो जायेगा?