देहरादून। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि जलवायु संरक्षण की दिशा में कार्य किया जा रहा है और नीति आयोग द्वारा उत्तराखंड में राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय हिमालय क्षेत्रों में जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित करने के प्रयासों को बल मिलेगा व जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए भी बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देश का वाटर टॉवर भी है। यहां राजपुर रोड स्थित एक होटल में नीति आयोग, भारत सरकार द्वारा जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, अल्मोड़ा और अन्तरराष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केन्द्र के साथ ‘स्प्रिंगशेड प्रबंधन एवं जलवायु अनुकूलन भारतीय हिमालयी क्षेत्र में सतत विकास के लिए रणनीतियां विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह सभी का सौभाग्य का विषय है कि देवभूमि में वनों, नदियों पर्वतों एवं विभिन्न जल धारा से परिपूर्ण राज्य है एवं नाले व धारों, जलस्त्रोतों को पूजने की संस्कृति है और प्राकृतिक स्वरूप में बनाये रखने के लिए प्राथमिकता से कार्य किया है और जैव विविधता में कार्य कर रहे है और नीति आयोग द्वारा सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में उसके इंडैक्स में देवभूमि उत्तराखंड को पूरे देश में पहला स्थान हासिल किया है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देश का वाटर टॉवर भी है और गंगा यमुना देश के खाद्य व जल देने का आधार है और इनमें से कई नदियां व स्त्रोतों को पर्यावरणीय संकट का सामना करना पड़ रहा है और पहाडों में पलायन जैसी गंभीर समस्या बन रही है और सरकार ने जलागम विभाग बनाया गया है और जो इस संबंध में विभिन्न कार्य कर रहा है और सारा का भी गठन किया गया है और 55०० जमीनी जलीय स्त्रोतों का 292 सहायक नदियों को चिन्हित कर उपचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का हरेला पर्व पर पर्यावरण संरक्षण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गदेरे नौले और अन्य जलीय स्त्रोत है और उन्होंने कहा कि 264० हैक्टेयर में पौधारोपण का अभियान भी चलाया है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा चलाई जा रही अमृत सरोवर योजना के अंतर्गत 1०92 अमृत सरोवरों का निर्माण कर लिया है जो दिये गये लक्ष्य से भी अधिक है। उन्होंने कहा कि जलाशयों को पुर्नउद्धार करने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वपूर्ण योजना को लागू करने में उत्तराखंड को तीसरा स्थान मिला है और कोसी नदी उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश के पेयजल व सिंचाई के नदियां महत्वपूर्ण है और एक समय नदी सारा नीरा होती थी और ग्लोबल वार्मिंग के कारण सूखने की स्थिति में है और पुन: केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही नदी जोडों परियोजना मील का पत्थर साबित हो सकती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नदी जोड़ो परियोजना के तहत पिडंर को कोसी, गगास, गोमती और गरूड़ नदी से जोडऩे का अनुरोध नीति आयोग से किया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह कार्यशाला उत्तराखण्ड ही नहीं बल्कि देश के पर्वतीय क्षेत्रों के प्राकृतिक जल स्रोतों के वैज्ञानिक पुनर्जीवीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल साबित होगी। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण को व्यापक स्तर पर बढावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी राम गंगा की सहायक नदियां, गगास, गोमती आदि की स्थिति भी यही है और ग्लेशियरों से निकलने वाली सदा नीरा पिंडर नदी के जल को स्थांतरित करने का अनुरोध नीति आयोग की बैठक में किया गया और ऐसा करने से 625 गांवों व गरूड, कौसानी सहित अन्य नगरों की पेयजल योजना को इससे लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि देश में जल स्त्रोतों के पुनर्जीविकरण व वैज्ञानिक पुर्नजीवीकरण दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण पहल साबित होगी और उन्होंने सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर उन्होंने नीति आयोग की टीम का आभार व्यक्त किया है। इस अवसर पर उपाध्यक्ष नीति आयोग सुमन के बेरी ने हिमालयी राज्यों में खाली हो रहे गांवों को फिर से पुनर्जीवन दिए जाने के लिए बाहर बस गए लोगों को अपने गांवों में वापस लाने के लिए जागरूक करने पर जोर दिया। उन्होंने इसके लिए वाईब्रेंट विलेज योजना को गम्भीरता से लेते हुए, ऐसे गांवों में रोजगार और मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि नीति आयोग के अध्यक्ष एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए विज्ञान, सामुदायिक सहभागिता एवं महिलाओं को सशक्तिकरण पर विषेश बल दिए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्होंने ब्रॉडबेंड सेवा के विस्तार, इन्टरनेट कनेक्टिविटी बढाए जाने पर बल दिया। इस अवसर पर जन प्रतिनिधि, नीति आयोग के अधिकारी एवं प्रदेश के अधिकारी आदि उपस्थित रहे।