प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को इस बात का इल्म था कि राज्य बनने के बाद से ही भ्रष्टाचारियों का इतना बडा नेटवर्क बना हुआ है कि उसे नेस्तनाबूत करना एक बहुत बडी चुनौती है। मुख्यमंत्री ने बाइस सालों से राज्य मे पनप रहे भ्रष्टाचार के काले साय से राज्यवासियों को आजादी दिलाने के लिए खुली दहाड़ लगाई थी और उन्होंने साफ अल्टीमेटम दिया था कि अगर किसी ने भी राज्य के अन्दर भ्रष्टाचार या घोटाले करने का दुसाहस किया तो उसे जेल की सलाखो ंके पीछे पहुंचा दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने सरकारी महकमों में भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर अपनी रडार लगा रखी है और यही कारण है कि अगर किसी भी सरकारी महकमे का अधिकारी या कर्मचारी आम जनमानस से रिश्वत मांगने का दुसाहस करता है तो वह विजिलेंस के बिछाये जाल में फस जाता है और उसके बाद उसका जेल से निकलना एक ख्वाब बन जाता है। उत्तराखण्ड में भ्रष्टाचार के शैतानों का साम्राज्य खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री ने जिस विजन के साथ अपना चाबुक उठा रखा है उसी के चलते आज राज्य के अन्दर अगर कोई भी भ्रष्टाचारी भ्रष्टाचार करने के लिए आगे आता है तो वह सिस्टम के बिछाये मकडजाल में फंसकर जेल की सलाखों के पीछे पहुंच जाता है। भ्रष्टाचारियों पर लगातार हो रही कार्यवाही के बावजूद भी राज्य के अन्दर भ्रष्टाचार का खेल खेलने वालों की कमी नजर नहीं आ रही लेकिन सिस्टम भी ऐसे भ्रष्टाचारियों को हर पल अपनी रडार पर लिये हुये है और उसी के चलते भ्रष्टाचारियों का शातिराना खेल नेस्तनाबूत होने की दिशा में आगे बढता जा रहा है और उसे देखकर राज्य की जनता को सुकून मिल रहा है कि उत्तराखण्ड के भ्रष्ट शैतान जेल की सलाखों के पीछे पहुंच रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने 2०25 तक उत्तराखण्ड को भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों से राज्यवासियों को आजादी दिलाने का संकल्प लिया हुआ है और इसी के चलते उन्होंने भ्रष्टाचारियों को खुला अल्टीमेटम दे रखा है कि अगर उन्होंने आम जनमानस के साथ भ्रष्टाचार करने का दुसाहस किया तो उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया जायेगा जहां से उनका बाहर निकलना एक टेढी खीर बन जायेगा। मुख्यमंत्री ने जबसे सत्ता संभाली है तबसे वह भ्रष्टाचारियों के खिलाफ खुलकर दहाड रहे हैं और उन्होंने भ्रष्टतंत्र के शैतानों को जमीदोज करने के लिए अपनी नजर टेढी कर रखी है जिसके चलते एक के बाद एक भ्रष्टाचार के शैतान जेल की सलाखों के पीछे पहुंचते जा रहे हैं। उत्तराखण्ड का इतिहास रहा है कि कभी भी किसी पूर्व मुख्यमंत्री के कार्यकाल में आम जनमानस सरकारी महकमों के भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारियों के भ्रष्टाचार किये जाने को लेकर अपनी आवाज बुलंद नहीं करते थे क्योंकि उन्हें इस बात का भय रहता था कि अगर उनका नाम उजागर हो गया तो उनके जीवन पर एक बडा संकट आकर खडा हो जायेगा।
वहीं जबसे मुख्यमंत्री पुष्कर ंिसह धामी ने सत्ता संभाली है तबसे उन्होंने राज्य की विजिलेंस को पॉवरफुल बनाने के लिए अपना जो जज्बा दिखाया है उसके चलते आज विजिलेंस भ्रष्टाचारियों के खिलाफ शिकायत मिलते ही उन्हें एक रणनीति के तहत घेरने के ऑपरेशन में जुट जाती है और मुख्यमंत्री के कार्यकाल में जितने भ्रष्टाचारी जेल की सलाखों के पीछे मात्र तीन साल के अन्दर गये हैं उतने भ्रष्टाचारी बाइस सालों में भी शायद जेल की सलाखों के पीछे नहीं पहुंच पाये थे? आज किसी भी सरकारी महकमे में अगर कोई भ्रष्ट अधिकारी या कर्मचारी किसी से काम के एवज में रिश्वत की मांग करता है तो वह व्यक्ति निडर होकर विजिलेंस के पास उसकी शिकायत लेकर इसलिए पहुंच जाता है क्योंकि उसे इस बात का इल्म है कि जहां उसका नाम गुप्त रखा जायेगा तो वहीं भ्रष्टाचारी के खिलाफ तत्काल कार्यवाही अमल मे लाई जायेगी जिससे कि भ्रष्टाचारी को बचने का कोई मौका न मिल सके। एक बार फिर बीते रोज विजिलेंस की टीम ने समाज कल्याण के एक भ्रष्ट कर्मचारी को दस हजार की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों दबोच लिया। विजिलेंस की इस कार्यवाही से यह बात साफ हो गई कि पुष्कर राज में भ्रष्टाचार करने वाले हर शैतान को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचना ही पडेगा।