उत्तराखण्ड में सबसेे हॉट सीट बनी दून निगम
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड मंे भाजपा ने बाइस साल से विधानसभा चुनाव को लेकर चले आ रहे सभी मिथक तोडते हुए पांच साल के लिए फिर सत्ता अपने हाथ में ले ली और उससे कांग्रेसी नेताओं के सरकार में आने के वो सपने धडाम हो गये थे जिसे वह चुनाव से पूर्व देखते आ रहे थे। उत्तराखण्ड के अन्दर कांग्रेेस मंे कुछ बडे छत्रपों के बीच चल रहा आपसी वार पार्टी को हाशिये पर ले जा रहा है और उससे कांग्रेस हाईकमान मे भी बडा उबाल देखने को मिल रहा है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेसी छत्रपों ने मंगलौर व बद्रीनाथ उपचुनाव में जज्बे के साथ भाजपा को चुनावी रणभूमि में ढेर किया लेकिन एक बार फिर केदारनाथ उपचुनाव में वह भाजपा के हाथों परास्त हो गई थी। अब राज्य मंे हो रहे निकाय व पंचायत चुनाव मंे कांग्रेसी छत्रपों के सामने बडी चुनौती है कि वह किस तरह से पार्टी नेताओं और उम्मीदवारों को चुनावी रण में विजय दिलायेंगे। उत्तराखण्ड में निकाय चुनाव के अन्दर सबसे हॉट सीट देहरादून नगर निगम की बन चुकी है और हर तरफ एक ही आवाज सुनाई दे रही है कि शहर में मेयर का ताज किसके सिर पर सजेगा और इसी के चलते राजधानी के अन्दर मेयर की ताजपोशी को लेकर सट्टा बाजार भी गर्म हो रखा है और सट्टे बाजार में लग रही जीत-हार को देखते हुए यह सीट बडी कांटे की बन चुकी है और कौन आखिरी पल मंे चुनावी गणित की गोटियां बिठाकर अपने प्रत्याशी को चुनाव जितवायेगा इस पर सबकी नजर लगी हुई है? वहीं आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार भले ही सोशल मीडिया पर अपनी जीत को लेकर डंका बजा रहा हो लेकिन यह भी सच है कि शहर में आम आदमी पार्टी का कोई राजनीतिक वजूद दिखाई नहीं देता?
उत्तराखण्ड के अन्दर लम्बे समय बाद पंचायत व निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है और उत्तराखण्ड की राजधानी के शहर में मेयर का चुनाव सबसे रोचक स्थिति में आकर खडा हो गया है। दोनो ही राजनीतिक दलों ने अपने प्रत्याशियों को इस प्रतिष्ठापूर्ण सीट पर चुनाव जितवाने के लिए अपनी सारी ताकत आवाम के बीच झोंक दी है। उत्तराखण्ड के अन्दर भले ही सरकार भाजपा की हो और भाजपा भले ही दावा कर रही हो कि हर तरफ चुनाव में कमल खिलेगा लेकिन राजधानी में मेयर की सीट पर कौन बाजी मारेगा यह एक बडा दिलचस्प बनता जा रहा है? कांग्रेस प्रत्याशी वीरेन्द्र पोखरियाल की राजनीतिक छवि बेहतर मानी जाती है और आंदोलनकारियों के साथ उन्होंने उत्तराखण्ड राज्य को हासिल करने के लिए सडकों पर जो आंदोलन लडा वह किसी से छिपा नहीं है और आंदोलनकारियों के बीच उनकी चमकती छवि के साथ छात्र राजनीति में भी उनकी बडी पैठ सब जानते हैं और वह मधुरभाषी राजनेता हैं जिन्होंने हमेशा अपने आपको एक आम इंसान की तरह सबके सामने पेश किया है इससे उनका इस चुनाव में जलवा जगह-जगह देखने को मिल रहा है। वहीं भाजपा प्रत्याशी सौरभ थपलियाल एक युवा नेता हैं और उन्होंने भी अपनी जीत के लिए पार्टी के सभी नेताओं का शुरूआती दौर मे आशीर्वाद लेने के बाद आवाम के बीच जाकर जो संदेश देना शुरू किया है कि अगर वह मेयर बने तो शहर की कायापलट कर देंगे। भाजपा के छत्रप भी सौरभ थपलियाल को अपना आशीर्वाद देकर उन्हें विजयी बनाने के लिए आगे बडे हुये हैं। वहीं कहीं न कहीं आवाम के मन मे पूर्व मेयर की दागदार बनी छवि से भाजपा के काफी नेता बेचैन भी नजर आ रहे हैं क्योंकि उनके कार्यकाल में शहर को स्मार्ट बनाने का जो ढोल पीटा गया था उसकी पोल राजधानीवासियों के सामने हमेशा से खुलती रही है इसलिए भाजपा प्रत्याशी को आवाम के मन में यह अलख जरूर जगानी पडेगी कि अगर वह मेयर का चुनाव जीते तो वह हर शहरवासी के सपनों का शहर बनाने के लिए उनके साथ आगे खडे रहेंगे।
वहीं शहर में आम आदमी पार्टी ने भी मेयर प्रत्याशी के रूप मंे रविंद्र आनंद को चुनाव मैदान में उतार रखा है लेकिन यह बात भी सब जानते हैं कि अब मौजूदा दौर में उत्तराखण्ड के अन्दर आम आदमी पार्टी का कोई भी वजूद नहीं है इसलिए इस चुनाव में आम आदमी पार्टी उम्मीदवार भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशी के सामने कहीं टिक पायेंगे यह नजर नहीं आता? हालांकि सोशल मीडिया पर छाने के लिए आम आदमी पार्टी उम्मीदवार अपना प्रचार प्रसार करते हुए सडकों पर भले ही दिखाई दे रहे हों लेकिन वह इस चुनाव में आवाम को अपने लिए मतदान कराने में सफलता की सीढी चढेंगे यह अभी एक असम्भव सा ही नजर आ रहा है?