सिक्ख समाज पूछ रहा कौन बड+ा नेता गुप्ता बंधुओं को दे रहा पनाह

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री और डीजीपी अभिनव कुमार के सख्त रूख के बाद ही साहनी आत्महत्या प्रकरण में गुप्ता बंधुओं के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया था। मुख्यमंत्री और डीजीपी ने गुप्ता बंधुओं की पैरवी करने वालों को साफ आईना दिखाया था कि वह अन्याय करने वालों के खिलाफ अपना सख्त रूख अपनाते रहेंगे और उसी के चलते राज्यवासियों को यह दिखाई दे गया था कि साहनी परिवार को मुख्यमंत्री न्याय दिलाने से कभी पीछे नहीं हटेंगे। सवाल यह तैर रहा है कि आखिरकार जब मुख्यमंत्री और डीजीपी ने गुप्ता बंधुओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने का आदेश पुलिस महकमे को दिया था तो फिर इस मामले में पुलिस की जांच का दायरा क्यों आगे बढता हुआ नजर नहीं आ रहा है? आज सिक्ख समाज से जुडे पांच संगठनों ने डीएम कार्यालय में दस्तक दी और उन्होंने सवाल दाग दिया कि आखिरकार वो कौन बडा नेता है जो गुप्ता बंधुओं को अपना खुला सरंक्षण दे रहा है? हैरानी वाली बात है कि साहनी परिवार को सुरक्षा प्रदान की गई थी लेकिन आखिरकार शासन ने किसके दबाव में आकर साहनी परिवार की सुरक्षा हटा दी इसको लेकर भी शासन पर सिक्ख समाज ने बडा सवाल खडा कर दिया है। सिक्ख समाज को मुख्यमंत्री से न्याय की उम्मीद है और उन्होंने यह अपील की है कि प्रशासन किसी के दबाव में न आकर साहनी परिवार को एक बार फिर सुरक्षा प्रदान करे।
राजधानी के पांच सिक्ख संगठनों ने आज डीएम कार्यालय में दस्तक दी और उन्होंने वहां मौजूद प्रशासन के एक अफसर को मुख्यमंत्री के नाम पत्र सौंपा। पत्र में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से निवेदन किया गया कि सिक्ख समाज के जाने माने व बिल्डर सतेंद्र सिंह साहनी की आत्महत्या के अग्रसित सरकार द्वारा निष्पक्ष होकर जिस प्रकार से प्रभावशाली गुप्ता बंधुओं के विरूद्व कार्यवाही की गई उसके लिए सिक्ख समाज सरकार का बहुत आभारी है। पत्र में मुख्यमंत्री को सम्बोधित करते हुए कहा गया कि पिछले कुछ समय से अभियुक्तगण अर्थात गुप्ता परिवार की राज्य के बडे नेताओं के साथ मेलजोल और गठबंधन की खबरें प्रसारित हुई हैं और उक्त प्रकरण में पुलिस द्वारा अभी तक आरोप पत्र दाखिल न करना केवल सिक्ख समाज नहीं बल्कि जन साधारण के मन में भी सतेंद्र सिंह साहनी को न्याय मिलने की आशा को धूमिल कर रहा है। पुलिस द्वारा साहनी परिवार की सुरक्षा हटा ली गई है और प्रदेश के बडे नेताओं की अभियुक्तगण के साथ फोटो और खबरें खुलेआम प्रसारित हो रही है। सिक्ख समाज ने आरोप लगाया कि आज भी उन्हीं नेताओं का संरक्षण निरन्तर जारी है जिसके चलते पहले भी उनके द्वारा खुलेआम प्रोत्साहन दिया जाता था। पुलिस द्वारा तीन महीने के उपरांत भी आरोप पत्र समर्पित नहीं किया गया है। पुलिस द्वारा दबाव के चलते आरोप पत्र न दाखिल करना पुलिस के प्रभावी होने का प्रत्यक्ष प्रमाण है। मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में कहा गया है कि समस्त सिक्ख समाज एक सुर से अभियुक्तों से ऐसे राजनीतिक गठजोड और गठबंधन की भत्र्सना करता है।
पत्र में कहा गया है कि सिक्ख समुदाय का प्रदेश के विकास में सदैव से अग्रणीय योगदान रहा है परंतु बाबा साहनी आत्महत्या प्रकरण में जिस प्रकार से शासन द्वारा दबाव में उदासीन रवैया अपनाया जा रहा है वह अत्यंत दुखद है। साहनी परिवार पर निरंतर खतरा बना हुआ है और अभियुक्तगण को खुलेआम राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है। सिक्ख समाज ने प्रशासन से मांग की है कि वह ऐसे किसी भी प्रभाव में न आकर न केवल बाबा साहनी के परिवार को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करे व साथ ही निष्पक्ष जांच पूर्ण कर बिना प्रभावित हुये आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल करें।

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