हर ‘आम’ का दर्द समझते पुष्कर

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी के बारे यह बात काफी मशहूर है कि वह अपनी गलतियों से हमेशा सीख लेती है और सदैव उन गलतियों को सुधारने के लिए तत्पर रहती है। उत्तराखण्ड में भाजपा की डबल ईंजन की सरकार विराजमान है। कुछ माह पूर्व राज्य में हुई सियासी उठापठक के चलते सरकार के आलोचकों को कई सारे मुद्दे ऐसे मिले जिससे वह सत्ताधारियों को कटघरे में खड़ा करने में कामयाब होते दिखाई दिए। हालांकि भाजपा हाईकमान ने अंतत: एक ऐसे व्यक्ति के हाथ में प्रदेश की कमान सौंपी जोकि हकीकत में उस पद के काबिल थे। आम जनमानस के बीच से सत्ता के शिखर पर पंहुचने वाली यह शखसियत किसी भी उदाहरण की मौहताज नहीं है क्योंकि अल्प समय में जो कीर्ति उन्होंने हासिल की है वैसे इस राज्य में शायद ही किसी ने हासिल की हो। बात हो रही है राज्य के मुखिया पुष्कर सिंह धामी की जिन्होंने अपने कुशल नेतृत्व का परिचय अपने कार्यकाल की पहली तबादला सूची के दौरान ही दे दिया था। वहीं अब वह इस बात पर फोकस करते हुए नजर आ रहे है कि आम जनता को पारंपरिक कष्टों से निजात मिल सके। सरकार के मुखिया के समाने आम जनता की वैसे तो कई परेशानियां आती है लेकिन पुलिस द्वारा जगह जगह पर यातायात व्यवस्था सुधारने के नाम पर काटे जा रहे चालानों से आम जनता को होने वाली परेशानियों का मुद्दा इस समय प्रबलता से पेश आ रहा है। इस समस्या का समाधान निकालने के लिए सीएम ने खुद मोर्चा संभाला है और इस विषय पर प्रदेश के पुलिस मुखिया से मंत्रणा कर उन्हें साफ निर्देश दिए है कि अब इस व्यवस्था में बदलाव करने की आवश्यकता है क्योंकि ऐसे शिकायतें मिल रही है कि चालान के नाम पर पुलिस द्वारा बुजुर्गों, महिलाओं, युवतियों, आदि का उत्पीडऩ हो रहा है, जोकि असहनीय है? इसे उत्तराखण्ड की जनता का सौभाग्य ही कहेंगे कि उन्हें एक ऐसा मुखिया पुष्कर के रूप में मिला है जो हर आम के दर्द को समझते है।
उत्तराखण्ड पुलिस की एक ऐसी परंपरा है जिसको लेकर आवाम हमेशा से त्रस्त रहती है और वो परंपरा है गली मौहल्लों के बाहर गाडिय़ों को रोककर चलान काटने की। राजस्व जुटाने का हवाला देते हुए पुलिसकर्मी जगह-जगह पर चालान काटते हुए नजर आ जाते है। कुछ पुलिसकर्मियों में तो खाकी के रौब की खुमारी इतनी देखने को मिल रही है कि अगर वह कुंठा से ग्रसित होकर किसी पुरूष, महिला या युवती का चालान काटने की ठान लें तो फिर वह आईपीसी की सारी धाराओं को स्मरण करते हुए कोई न कोई ऐसी धारा निकाल ही लेते है जिसका प्रतिउत्तर सामने वालेे के पास नहीं होता। जिस प्रकार से एक गंदी मछली सारे तालाब को दूषित कर देती है ठीक उसी प्रकार एक गलत परंपरा किसी विभाग के सारे अच्छे कार्यों को धड़ाम कर देती है। उत्तराखण्ड पुलिस को भारत की सर्वश्रेष्ठ पुलिस का दर्जा प्राप्त है और इस उपलब्धि को लेकर पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारी काफी प्रफुल्लित दिखाई देते है। अपराध रोकने की दिशा में उत्तराखण्ड पुलिस कई उत्कृष्ट कार्य किए है लेकिन जनता को चालान के नाम पर जिस प्रकार से उसके कुछ योद्धा प्रताडि़त करते है, वह फोर्स के सारे अच्छे कार्यों पर पानी फेरने का काम कर रहा है। चालान के नाम पर हो रहे आम जनता के उत्पीडऩ को लेकर अब सरकार के नवनियुक्त मुखिया पुष्कर सिंह धामी भी काफी खफा नजर आ रहे है और यही कारण माना जा रहा है कि उन्होंने इस विषय पर राज्य के डीजीपी अशोक कुमार के साथ मंत्रणा भी की। बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मंगलवार को मुख्यमंत्री आवास में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने भेंट की। डीजीपी ने मुख्यमंत्री को राज्य में कानून व्यवस्था से सम्बंधित विभिन्न मुद्दों से अवगत कराया। इस दौरान मुख्यमंत्री धामी ने पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिए कि ट्रैफिक पुलिस को निर्देशित किया जाय कि अनावश्यक रूप से वाहन चालकों को परेशान न किया जाय। यदि पुलिस सरकार के मुखिया के निर्देशों को मानते हुए चालान के नाम पर आम जनता का उत्पीडऩ बंद कर देती है तो यह सरकार की ओर से आवाम के लिए एक बहुत बड़ी राहत की खबर हो सकती है और इसका फायदा भाजपा को आगामी चुनाव में मिलना भी लाज़मी समझा जा सकता है।

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