देहरादून(संवाददाता)। भोजनमाताओं ने 5००० मानदेय बढोत्तरी सहित 11 सूत्रीय मांगों को लेकर विधानसभा कूच किया और प्रदेश सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन करते हुए रैली निकाली और पुलिस ने रिस्पना पुल से पहले बैरीकैडिंग लगाकर सभी को रोक लिया और इस बीच पुलिस के साथ तीखी नोंकझोंक हुई और बाद में वहीं पर धरने पर बैठ गई।
यहां भोजनमाता कामगार यूनियन (सीआईटीयू) के आह्वान पर पांच हजार रूपये मानदेय बढोत्तरी सहित 11 सूत्रीय मांगों को लेकर सैकड़ों की संख्या में भोजनमातायें नेहरू कालोनी में इकटठा हुई और वहां से जुलूस की शक्ल में पहुंचे तो पुलिस ने बैरीकैडिंग लगाकर सभी को रोक लिया। इस अवसर पर सभी वहीं धरने पर बैठ गये और सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि लगातार उनके हितों की अनदेखी की जा रही है जिसे किसी भी दशा में सहन नहीं किया जायेगा। इस अवसर पर प्रशासनिक अधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया और ज्ञापन में कहा गया कि उत्तराखंड की भोजनमाताओं की अनेकों मांगें है जिनका समाधान किया जाना आवश्यकता है।ज्ञापन में कहा गया कि शिक्षा मंत्री के द्वारा भोजन माताओं के मानदेय को 5००० रूपये करने की घोषणा 19 जुलाई 2०21 को की गयी थी , किन्तु एक माह बाद भी मानदेय बढ़ोत्तरी का शासनादेश जारी नही किया गया है जिससे भोजन माताओं में रोष व्याप्त है और इस सन्दर्भ में शासनादेश अविलम्ब जारी किया जाये। भोजन माताये न्यूनतम वेतन, समाजिक सुरक्षा की मांग लम्बे समय से कर रही है यह मांग पूरी की जायं।
ज्ञापन में कहा गया है कि न्यूनतम वेतन 18००० रुपये किया जाए। प्रदेश में बन्द किये जा रहे विद्यालयों पर रोक लगाई जाए। मध्याह्न भोजन योजना का निजीकरण या छळव् को नही दिया जाएँ। भोजन माताओं को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बनाया जाए , और तबतक न्यूनतम वेतन दिया जाये। भोजन माताओं से अतिरिक्त कार्य न लिया जाए। ज्ञापन में कहा गया है कि भोजन माताओं को न निकाला जाया तथा निकाली गई भोजन माताओं को कार्य पर वापस रखा जाए। भोजन माताओं को 45 वें व 46वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशो के अनुसार मजदूर कामगार घोषित किया जाए। ज्ञापन में कहा गया कि भोजन माताओं को सेवा निवृती पर ग्रजूवटी व पेंशन दी जाए भोजन माताओं के बोनस का भुगतान अविलम्ब किया जाए। ज्ञापन में कहा गया है कि जल्द ही कार्यवाही न होने पर आंदोलन को तेज किया जायेगा। इस अवसर पर अनेकों भोजनमातायें शामिल रही।