द्भद्मह्लह्य’द्म ‘द्मद्गद्र्मं
देहरादून। उत्तराखण्ड में कुछ आईएएस व आईपीएस अफसर अपने आपको राज्य के अन्दर सरकार समझते आ रहे हैं और वह इतने पॉवरफुल हैं कि वह सरकार को अपने भ्रमजाल में फंसाकर अपने चहेतों की मनचाहे जिलों में पोस्टिंग कराने का खेल खेलते आये हैं और उनकी आंखों में जो आईपीएस अफसर खटकते रहते हैं उनकी तैनाती वह छोटे जिलों में कराने का खेल खेल लेते हैं ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अफसरों की तैनाती का पैमाना क्या सिर्फ कुछ पॉवरफुल अफसरों के हाथों में ही बना रहेगा? सरकार के मुखिया को खुद फीडबैक लेकर पोस्टिंग करनी चाहिए कि कौन आईपीएस किस जिले के लायक है और उसकी तैनाती वहां होनी चाहिए? हैरानी वाली बात यह है कि शासन व पुलिस के चंद अफसर राज्य के कुछ आईपीएस अफसरों को बडे जिलों में तैनात न होने देने के लिए लम्बे अर्से से अपनी पॉवर का भौकाल दिखाने में लगे हुए हैं जिससे तबादलों में पारदर्शिता का पैमाना पिछले चार सालों से तार-तार होता आ रहा है? अगर उत्तराखण्ड में प्रचंड बहुमत की सरकार में भी चंद काबिल आईपीएस अफसरों को कुछ अधिकारी उनकी बडे जिलों में तैनाती होने में रोडा अटकाते रहेंगे तो फिर इस राज्य में काबिल अफसरों को हमेशा यह पछतावा होता रहेगा कि अगर उन्होंने भी कुछ बडे अफसरों की परिक्रमा की होती तो उन्हें भी अच्छे जिलों में तैनाती का वरदान मिल जाता?
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड में प्रचंड बहुमत की सरकार होने के बावजूद शासन व पुलिस के चंद अफसर सरकार के अन्दर अपने आपको पॉवरफुल दिखाने का खेल खेलते आये? शासन व पुलिस के चंद अफसरों की हमेशा इतनी बडी जुगलबंदी देखने को मिलती रही कि उन्होंने जिस आईपीएस को अपना आशीर्वाद दिया उसे राज्य के अन्दर अच्छे जिले में पोस्टिंग मिल गई? इतना ही नहीं शासन के एक दो अफसर अपने कुछ आईपीएस अफसरों के सहारे सरकार को आईना दिखाने वाले चंद मीडियाकर्मियों को भी अपने निशाने पर लेते रहे और उनके खिलाफ फर्जी मुकदमें कायम कराकर ऐसे चंद अफसरों ने सरकार की आंखों मे ंअपने आपको तारा समझने का बडा खेल खेला था? उत्तराखण्ड के चंद आईपीएस अफसरों के मन में इस बात को लेकर बडी पीडा है कि शासन व पुलिस महकमें के ही ंचद अफसर सिर्फ अपने खेमे के कुछ अफसरों को बडे-बडे जनपदों में तैनात कराने के लिए पर्दे के पीछे से अपनी पॅावर का जबरदस्त इस्तेमाल करते आ रहे हैं? गजब बात तो यह है कि चंद आईपीएस अफसर जो अपने जनपदों में बेहतर काम कर चुके हैं या कर रहे हैं उनके काम का आंकलन चंद अफसर अपने दिमाग से करके सरकार के कानो में यह संदेश देने का भी प्रपंच रच रहे हैं कि यह अफसर बडा जिला नहीं चला पायेंगे अब आने वाले चंद दिनों के अन्दर प्रशासनिक व पुलिस कप्तानों के तबादले होने हैं और चर्चाएं हैं कि शासन व पुलिस के चंद अफसर फिर कुछ आईपीएस अफसरों की तैनाती न होने देने के लिए पर्दे के पीछे से मंत्र फूंकने का खेल खेल रहे हैं? देखने वाली बात होगी कि राज्य के मुख्यमंत्री अब ऐसे अफसरों के मंत्र पर ध्यान देंगे या काबिल अफसरों को अच्छे जनपदों में तैनाती दी जायेगी।