देहरादून। उत्तराखण्ड में भले ही पिछले बीस सालों से दर्जनों अफसरों व राजनेताओं ने बडे-बडे भ्रष्टाचार की पारी खेलकर अपना खजाना अशरफियों से भर दिया हो लेकिन किसी भी सरकार को ऐसे दागी व भ्रष्ट चेहरे कभी नजर नहीं आये और न ही आज तक के इतिहास में किसी भ्रष्टाचार व घोटाले को लेकर किसी राजनेता व भ्रष्ट अफसर पर सरकार ने उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने का दम भरा हो लेकिन इसके बावजूद भी उत्तराखण्ड के अन्दर सरकारें हमेशा यही ऐलान करती आ रही है कि उनके राज में कोई भी अफसर या राजनेता भ्रष्टाचार व घोटाले करते हुए नहीं पाया गया। गजब बात तो यह है कि कभी किसी अफसर व राजनेता पर भ्रष्टाचार व अश्लीलता के दाग लगे तो सरकार के सिस्टम ने उनके दागों को बडी खामोशी के साथ धोने का जो प्रपंच रचा वह किसी से छिपा नहीं हैं। उत्तराखण्ड में सरकारें भले ही ढोल पिटती रही हों कि उनके राज्य में रामराज चल रहा है लेकिन इस रामराज में कैसे दर्जनों भ्रष्ट अफसर व राजनेता अपनी कथित ईमानदारी से अकूत दौलत के बादशाह बनते जा रहे हैं यह रहस्य समझ में नहीं आ रहा?