तो क्या… तीन सौ दिन में चमत्कार कर पायेंगे तीरथ!

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देहरादून(मुख्य संवाददाता)। उत्तराखण्ड की कमान संभालने वाले मुख्यमंत्री तीरथ ंिसह रावत के पास राज्यवासियों का दिल जीतने के लिए मात्र तीन सौ दिन का समय बचा हुआ है और मौजूदा दौर में कोरोना व ब्लैक फंगस ने जिस तरह से राज्य के अन्दर हर इंसान के मन में एक भय पैदा कर रखा है और सरकार इस भय को आवाम के दिल से निकालने में जिस तरह से अभी तक नाकाम साबित हो रही है वह तीरथ सिंह रावत के लिए एक चिंता का विषय होना चाहिए? तीरथ के अब तक के कार्यकाल में जहां एक भी दागी व भ्रष्टाचारी अफसर पर उनकी टेढी नजर नहीं गई वहीं चार साल में हुये दर्जनों घोटालों व भ्रष्टाचार पर भी उनकी अब तक रहस्यमय चुप्पी राज्यवासियों को अब खलने लगी है और बार-बार यही सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने से क्या राज्य का सिस्टम सही हो गया और क्या राज्य में अब चारो ओर रामराज स्थापित हो गया है? जिसके चलते मुख्यमंत्री किसी बडे एक्शन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए आगे ही नहीं आ रहे? अगर सिर्फ चेहरा बदलने से राज्य की जनता प्रचंड बहुमत सरकार से खुश हो जायेगी तो यह भाजपा का भ्रम ही कहलायेगा?
तीरथ सरकार के पास शेष बचे हैं 300 से कम दिन लेकिन उसके बावजूद भी सरकार के मुखिया फ्रंट फुट पर खेलने से अचानक क्यों सहम रहे हैं यह अब उत्तराखण्ड के गलियारों में एक चर्चा का विषय बनता जा रहा है। कोरोना व ब्लैक फंगस को हराने के साथ साथ कमल को खिलाने की चिंता भी तीरथ सरकार के पास 300 से कम दिन ही शेष बचे है। 2017 के विधानसभा चुनाव में राज्य में भाजपा 57 सीटें जीती थी। लेकिन इन चार सालों मे सत्ता संघ के प्रिय त्रिवेंद्र के पास रही जिन्होंने कोई विशेष उपलब्धि जनता के बीच नही ला पाये,लेकिन जनता के बीच असंतोष की ज्वाला अवश्य भटका गये थे। चार साल बाद सत्ता ने पलटी मारकर संघ के ही तीरथ के पास आयी है लेकिन कोरोना महामारी ने हमला कर दिया। राज्य में चारों ओर कोहराम व त्राहिमाम मचा हुआ है,मौतों के मातम ने पाँचवे साल को जकड़ लिया है जिससे सरकार की छवि पर भी दाग लगने शुरू हो गये है। 300 दिन में सरकार के मुखिया ने अगर राज्य में अगर कोई करिश्मा कर दिया तो भाजपा की सत्ता में वापसी का सपना पूरा हो सकता है अगर इसी तरह से कोरोना काल में मरीजों की मौत का आंकडा बढता रहा तो सरकार के सामने आवाम के गुस्से का प्रकोप झेलने के अलावा कुछ नहीं रह जायेगा। तीरथ सरकार पर 2022 में राज्य में कमल खिलाने की चिंता है तो भाजपा हाई कमान व संघ भी बंगाल चुनाव में हार का स्वाद चखने के बाद उत्तराखंड में हार व कम सीटों पर सिमटने की चिंता ने भी हाई कमान व संघ को कमर कसने को विवश कर दिया।
कोरोना की दूसरी लहर के बीच राज्य के अंदर ही अंदर सियासी लहर भी उफान मार रही है, इन सियासी लहरों में नौकरशाही भी अपना खेल खेल रहे हैं। त्रिवेंद्र से सत्ता लेकर तीरथ को भरोसे पर सौपी है कि वे अपने बेदाग छवि व सौम्य व्यवहार से जनता में पनप रहे असंतोष को पाटने के लिए मेहनत करेगें,,तथा जनता का विश्वास जीतकर 2022 में भी 57 से अधिक सीटों पर कमल खिलाने का भरसक प्रयास करेंगे,लेकिन सूबे की नौकरशाही इस पर पानी फेरती नजर आ रही है। कोरोना महामारी में भी अधिकारियों की मनमानी सामने आ रही है और आये दिन समाचारों की सुर्खियां बन रही है,जिससे जनता के बीच गलत संदेश सरकार के विरुद्ध जा रहा है। तीन माह के करीब तीरथ को बागडोर संभाले हो गया है लेकिन अभी तक अपनी ही पार्टी के मंत्रियों व विधायकों के बीच नौकरशाही की नाराजगी दूर नही कर पाये है,अब तो भीतर का झगड़ा सार्वजनिक मंचों पर भी दिखाई देने लगा है जिनकी शिकायतें अक्सर वे करते आये है। जिस तरह से तीरथ सरकार महामारी में पूर्णतः विफल रही है उससे यही प्रतीत होता है कि इस बार कमल 57 से नीचे भी मुरझा सकता है क्योंकि सरकार व संघ के प्रचारकों बीच आपसी कदम ताल भी न के बराबर ही हो रही है।

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