देहरादून(संवाददाता)। देश में कोरोना को लेकर कोहराम मचा हुआ है। महानगरों जैसे बडे शहरों से कोरोना पहाड़ में चढने में सफल हो गया है। कोरोना के इस युद्ध में गाँवों के हालातों पर न तो चर्चा की जा रही है और नही गाँव मे महामारी से निबटने के लिए पुख्ता बचा है जो गाँव की सुध ले सके। नित गाँवों से भयावह रूप के समाचार मिल रहे हैं। ऐसे में सरकार के मुखिया को इस कोरोना काल की अग्निपरीक्षा में पास होने के लिए खुद कमान अपने हाथों में लेकर राज्यभर में स्वास्थ्य सेवाओं को परखने के लिए निकलना होगा।
गाँवों से लगातार सर्दी, जुकाम,बुखार से पीड़ित होने के समाचार आ रहे हैं लेकिन कोई सुध नहीं ली जा रही है,क्योंकि हमारे पास कोई प्रभावी संगठन नही है। बेशक सरकार ने अपने अपने शासन में प्लास्टिक वाला आयुष्मान कार्ड योजना लागू की है लेकिन इस व्यवस्था से गाँवों में स्वास्थ्य सेवाओं का पुराना ढाँचा चरमरा गया है। जब देश डिजिटल इंडिया के दौर में है,लेकिन आज भी गाँव में अस्पतालों की आधुनिकता से ग्रामीण आज भी वंचित है। आज भी गांवो में नर्स और आगंनबाडी कार्यकत्रियो पर ही भरोसा है।
सीमांत जनपद चमोली के नारायण बगड, देवाल, थराली व कर्णप्रयाग विकास खंडो के कई ग्रामसभाये मौसमी बुखार या कोरोना से पीडित हैं। नारायण बगड में तो यह आकडा दो सौ के लगभग है,तो टेहरी के प्रतापनगर विकास खंड में भी इसी तरह की खबरों से आमजन सहमा हुआ है। लेकिन प्रशासन व शासन आँखे मूंद कर बैठा है। सूबे के मुखिया अपने सुशासन के लिए सलाहकारों की नियुक्ति कर रहे हैं लेकिन आजतक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए किसी विशेषज्ञ की नियुक्ति नही कर सके है,जो कि इस महामारी के भंवर से जनता व स्वयं मुख्यमंत्री को निकाल सके। आज भी गाँवों की ढेडी मेढी पंगडंडियो पर एएनएम व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का समूह दिखाई नहीं देता क्यों कि इन समूहों को सरकारों ने नेस्तनाबूत कर दिया, जिनकी बदौलत हैजा,काँलरा व छय रोग जैसी बीमारियों में इनका उपयोग घर घर की दहलीज पर दवा व टीकाकरण कर किया था। सरकार एकबार फिर से स्वास्थ्य समितियों का गठन करे जिनका की गाँव में अस्त हो चुका है। राज्य में 7793 ग्राम पंचायते है, लेकिन ग्रामीण स्वास्थ्य की स्थिति बेहद दयनीय है। राज्य गठन के बाद पहाड़ी जिलों में विकास खंड से जिला मुख्यालय तक चिकित्सकों की भारी कमी है,जिससे इन जिलों का सारा दवाब मैदानों में है। कोरोना महामारी के बिगडते हालातो से निबटने के लिए देश के यशस्वी प्रधानमंत्री ने आह्वान किया है कि गाँव में घर घर दवा पहुँचाने के लिए आशा कार्यकत्रियो व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का सहयोग लिया जाय लेकिन बिना ग्रामीण स्वास्थ्य ढाँचे के कैसे संभव हो पायेगा इस पर भी तीरथ सरकार को आँखें खोलनी होंगी।