देहरादून(संवाददाता)। लोग मर रहे हैं लोगों को बेड नहीं मिल रहे हैं आलम यह है कि पहाड़ों में स्वास्थ्य व्यवस्था दिखाई नहीं दे रही है लेकिन मजाल है कि इस पर उत्तराखंड के नेताओं के बयान आ रहे हो बल्कि अगर नेताओं को हकीकत जानने हैं तो धरातल पर जाकर यह जाने कि इन सभी बातों से इन नेताओं की और शक्ति किरकिरी हो रही है खुद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को यह जानकारी लेनी चाहिए के नेताओं के बयानों से न केवल पार्टी को बल्कि प्रदेश को भी नुकसान हो रहा है महामारी के इस माहौल में कभी गणेश जोशी त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ बयान दे रहे हैं तो कभी त्रिवेंद्र सिंह रावत गणेश जोशी को अनुभवहीन बता रहे हैं इतना ही नहीं कभी उमेश शर्मा काऊ गणेश जोशी का बचाव करते हैं तो कभी हरक सिंह रावत आंसू बहा कर जनता को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं अब गांव देहात शहरों में रहने वाली जनता भी यह समझ रही है कि कहीं यह सब जनता का ध्यान भटकाने के लिए तो नहीं हो रहा है क्योंकि हरक सिंह रावत के आंसू नए नहीं है इससे पहले भी हरक सिंह रावत लगातार आंसू बहाते रहे हैं उनका आंसू बहाने का एक लंबा रिकॉर्ड है भले वह 2००3 से लेकर 2०21 में भी उन्हें आंसुओं के सहारे विधानसभा की सीढ़ी चढऩा चाहते हैं जबकि हैरानी की बात यह है कि आपस में लडऩे वाले विधायक मंत्री हूं या फिर आंसू बहाने वाले हरक सिंह रावत यह सभी उत्तराखंड की राजनीति में लंबे अरसे से काबिज हैं ऐसे में अगर मंत्रियों को ही आंसू बहाने पढ़ रहे हैं तो आम जनता की तो बात ही छोड़ दी जाए।