देहरादून(संवाददाता)। 2०17 से उत्तराखण्ड का स्वास्थ्य महकमा मुख्यमंत्री के पास है और स्वास्थ्य सेवायें वैल्टीनेटर पर हैं। गम्भीर बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को राज्य में इलाज नहीं मिल पा रहा है और तो और कैंसर किडनी जैसी गम्भीर बीमारियों से ग्रस्त बीमार व्यक्तियों को इलाज न मिलने के कारण उनकी आकाल मौत हो रही है इसलिए मुख्यमंत्री को ऐसे मरीजों के इलाज की व्यवस्था करनी चाहिए। यह सब दर्द कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखते हुए एक बार फिर कही है। मुख्यमंत्री पर यह भी सवाल दागा कि अपनी ऑफिसियल मेल चैक करते है कि नहीं यह पता नहीं चल पाता जबकि इस समय यह सबसे कारगर सवांद का माध्यम है।
किशोर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री तीरथ ंिसह रावत को एक बार फिर पत्र लिखते हुए कहा है कि वे अपनी ऑफिसियल मेल चेक करते हैं भी या नहीं, ज्ञात नहीं हो पाता है, जबकि इस समय यह सबसे कारगर विधा संवाद की होनी चाहिये। जितनी चि_ियाँ भेजी हैं, उन में से एक का भी जबाब नहीं आया है आशा है, इस मेल पर ध्यान देंगे। राज्य में वैसे भी पहले से ही स्वास्थ्य सेवायें खुद वैल्टीनेटर पर हैं और कोविड-19 ने स्थिति और गम्भीर कर दी है। एपीएचसी, पीएचसीएस जिला अस्पतालों, निजी अस्पतालों और बड़े अस्पतालों में बिना नैगेटिव कोविड रिपोर्ट के स्वास्थ्य कर्मी मरीज को हाथ लगाने के लिये तैयार नहीं हैं। रिपोर्ट हफ्तों में आ रही है। निजी चिकित्सकों ने भी अपने क्लीनिक बंद कर दिये हैं।फोन पर ही हो सकता है, कुछ डॉक्टर परामर्श दे रहे हों। गम्भीर बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को देखने वाला और उनकी पीड़ा समझने वाला कोई नहीं है।वैसे भी गम्भीर बीमारियों से ग्रस्त मरीज या तो चंडीगढ़ जाते थे या दिल्ली और जिनके पास थोड़ा सा संसाधन होते थे, वे मुंबई भी चले जाते थे।आज बाहर जाना सम्भव नहीं है और यहाँ कोई इलाज मिल नहीं रहा है।लोग बेमौत मारे जा रहे हैं।कैंसरग्रस्त, किडनी रोगों से ग्रस्त, हृदय रोगों आदि गम्भीर रोगों से ग्रस्त मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। मैं आपके संज्ञान में इसलिये भी इस बात को ला रहा हूँ कि स्वास्थ्य महकमा 2०17 से मुख्यमंत्री के पास ही है। आशा है, आप मेरे सुझाव पर ध्यान ही नहीं देंगे, अपितु इन असहाय मरीजों के इलाज के लिये व्यवस्था भी करेंगे।