मैं अंधो के शहर में आइना बेचता हूं!

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अमित सूरी
ऋषिकेश। दिन ढलने के भूख से रोते बिलखते बच्चे को दूध मिले ना मिले लेकिन सांझ ढलने के बाद भी आपको चश्मा जरूर मिल जायेगा। चौंकिए नहीं जनाब यह मुमकिन होगा कोविड-19 को लेकर शासन की नई गाइडलाइंस से। प्रदेश सरकार द्वारा उत्तराखंड में कोरोना कहर को देखते हुए आगामी 25 मई तक के लिए कोविड कफ्र्यू को आगे बड़ा दिया गया है। हैरत अंगेज बात यह है.कि शासनादेश के माध्यम से सरकार की ओर से जारी फरमान में जहां देहरादून जनपद में सब्जी ,फल एवं दूध जैसी आवश्यक सेवाओं के लिए सुबह 7 बजे से लेकर 1० बजे तक की ही दुकानों को खोलने की छूट दी गई है।परचून की दुकानें 21 मई को खुलेंगी।वहीं, ऑप्टिकल शॉप को स्वास्थ्य सेवाओं में रखकर सरकार द्वारा 24 घंटे दुकान खोलने की छूट प्रदान की गई है। इससे पूर्व के आदेश तक कि ऑप्टिकल शॉप के लिए सुबह 7 बजे से प्रात 1० बजे तक समय निर्धारित किया गया था। ऐसे में बड़ा सवाल यह है क्या सरकार द्वारा ऑप्टिकल शॉप के लिए चौबीसों घंटे के लिए दुकानें खोलने की छूट का फैसला व्यवहारिक है? वह भी तब जब दिन ढलते ही सम्पूर्ण जनपद के साथ-साथ तीर्थ नगरी में भी सन्नाटा पसर जाता है। ऐसे में यदि सांझ ढलने के बाद ऑप्टिकल शॉप खुली और उनमें कोई घटना दुर्घटना हुई तो इसका जिम्मेदार क्या वह दुकानदार होगा जो खुद के रिस्क पर दुकान में बैठा है या फिर सरकार यह भी एक विचारणीय प्रश्न है। इस मामले पर नगर उधोग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष ललित मोहन मिश्रा व महामंत्री प्रतीक कालिया से बात की गई तो कोविड काल में नेत्र रोगियों एवं चश्में की अहमियत को देखते हुए सरकार द्वारा ऑप्टिकल शॉप को स्वास्थ्य सेवाओं में रखकर उनको चौबीसों घंटे दुकानें खोलने की छूट दी गई होगी। हालांकि वह मानते हैं कि सरकार को आवश्यक सेवाओं के लिए समय अवधि बढ़ाने के साथ-साथ राशन की दुकानों को भी नियमित रूप से रोज खोलने की छूट देनी चाहिए।

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