पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवायें भगवान भरोसे

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मुख्यमंत्री गम्भीर आर्थिक स्थिति पर करें श्वेत पत्र जारी
देहरादून(संवाददाता)। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर चिंता जताई है कि मौजूदा दौर में राज्य के अन्दर कोरोना से नाजुक स्थिति होती जा रही है इसको देखते हुए वे श्वेत पत्र जारी करें।
मुख्यमंत्री को किशोर ने पत्र लिखते हुए कहा कि वे आजकल टिहरी में हैं और कर्फ्यू के कारण सरकारी दिशा निर्देशों का अनुपालन कर रहा हूँ, इसलिये लोगों के साथ सम्पर्क का एकमात्र सहारा मोबाइल फोन या वट्सअप रह गया है। इस बीच मैंने राज्य के समाज के हर वर्ग से सम्पर्क करने का प्रयत्न किया है।स्थिति दिन प्रतिदिन नाजुक होती जा रही है, गाँव के गाँव बुखार से ग्रसित हो रहे हैं और दो-तीन दिन के बुखार के बाद कई लोग दम तोड़ दे रहे हैं।लोग दाह संस्कार भी कर दे रहे हैं।स्वास्थ्य सेवाओं का जब अस्थायी राजधानी में ही बुरा हाल है तो ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्र का भगवान ही मालिक है।
पत्र में नाराजगी प्रकट करते हुए किशोर उपाध्याय ने लिखा कि बड़े लोगों के लिए कोई कमी नहीं है, उनको हेलिकोपटर से ढोकर ऋषिकेश एम्स पहुँचाया जा सकता है, लेकिन एक साधारण गम्भीर बीमार की एम्बुलेंस के लिये एम्स ने अपना बाहरी गेट भी नहीं खोला और मरीज मर गया। लेकिन, उससे भी गम्भीर स्थिति सरकारी कर्मचारियों की है, कईयों को महीनों से वेतन नहीं मिला है और उससे बुरा हाल वणिज-व्यापार, पर्यटन, परिवहन क्षेत्र का है। गत वर्ष भी चार धाम यात्रा ठप्प रही और इस साल तो और भी बुरा हाल है। बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लोगों ने होटल, रेस्टौरेंट, ढाबे, बस, टैक्सी-मैक्सी, राफ्टिंग, टिहरी झील में विभिन्न साहसिक आदि क्रिया कलापों के लिये, होम स्टे, होम लोन आदि लिये थे, आज वे लोन की किश्त तो क्या देंगे? सुबह-शाम बच्चों को दो जून की रोटी खिलाने के भी लाले पड़े हुये हैं।
पत्र में कहा गया है कि मुख्यमंत्री अविलम्ब एसएलबीसी की बैठक बुलायें और उसमें निजी क्षेत्र की ऋण दाता एजेंसियों को भी बुलायें और फिलहाल ऋणों की वसूली पर रोक लगायें और जब तक स्थितियाँ सामान्य नहीं हो जाती हैं, उस अवधि को मोरटोरियम के अंतर्गत लायें और व्याज को माफ करें, ऋण अदायगी की अवधि को बढ़ायें।राज्य यह निर्णय लेने में सक्षम है। पत्र में कहा गया कि हजारों घर बर्बाद होने से बच जायेंगे। राज्य की वित्तीय स्थिति पर श्वेत-पत्र जारी किया जाय, जिससे उत्तराखंडियों को राज्य की आर्थिक सेहत की जानकारी रहे।

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