पहाड में आईसीयूलेट समय के बाद टेस्ट से डाक्टर कर रहे इंकार

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देहरादून(संवाददाता)। उत्तराखण्ड के पहाड़ी जनपदों में सरकार कैसे कोरोना पर नकेल लगाने का दम भर रही है इसका सच गैरसैंण के एक नागरिक ने ‘क्राईम स्टोरी’ से साझा किया है और कहा है कि अस्पताल भगवान भरोसे तो चल ही रहा है लेकिन कोरोना होने के बाद आईसीयूलेट समय बीतनेे के बाद जब अस्पताल में वे अपना कोरोना टेस्ट कराने के लिए पहुंचे तो डाक्टर ने साफ कह दिया कि अब टेस्ट नहीं होगा और सिर्फ कोरोना बीमारी का एक प्रमाण पत्र सौप दिया। इससे सवाल खडे हो रहे हैं कि आईसीयूलेट के बाद भी अगर किसी व्यक्ति को कोरोना रहा तो उसका पता आखिर कैसे चलेगा इसका जवाब सरकार कौन देगा?
उल्लेखनीय है कि उत्तराखण्ड के मैदानी जिलों में तो कोरोना का तांडव चल ही रहा है साथ में राज्य के कई पहाडी जनपदों में भी कोरोना ने अपने तेजी के साथ पैर पसार रखे हैं और पहाडों में जिनको कोरोना हो रहा है वह भगवान भरोसे ही दिखाई दे रहे हैं क्योंकि पहाडों के कुछ जनपदों में सरकारी अस्पतालों का सिस्टम किसी से छुपा हुआ नहीं है। एक डाक्टर के सहारे अगर पहाड के अस्पताल चल रहे हैं तो उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पहाड में स्वास्थ्य सेवायें कितनी मजबूत हैं। गैरसैंण के एक व्यक्ति ने ‘क्राईम स्टोरी’ से सम्पर्क कर बताया कि उसे कोरोना हुआ था और उसने अपने घर में अपना आईसीयूलेट किया तथा उसके बाद जब वह अस्पताल में अपना कोरोना टेस्ट कराने के लिए गया तो वहां डाक्टर ने साफ कह दिया कि ऊपर से आदेश हैं कि अब टेस्ट न किये जायें। मरीज का कहना था कि अगर उसके शरीर के अन्दर कोरोना होगा और वह इलाके में धूमेगा तो उससे कितने लोग संक्रमित हो जायेंगे इसका अंदाजा अपने आप लगाया जा सकता है।

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