कोरोना से कम कुप्रबंधन से हो रही ज्यादा मौतें!

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सुविधाएं न मिलने के कारण पहाड़ो से भी बड़ी संख्या में देहरादून आ रहे मरीज
चंद्र प्रकाश बुड़ाकोटी
देहरादून। उतराखण्ड सरकार इतनी संवेदनहीन तो नही है फिर महामारी के इतने दिनों बाद भी व्यवस्थाएं पटरी पर क्यो नही आ रही है यह बड़ा सवाल है? अगर उतराखण्ड में मौत के आंकड़े और उसके कारण देखे तो साफ है कि कोरोना बीमारी से कम व्यवस्थाएं न मिल पाने के कारण ज्यादा मौते हो रही है। जिस समय सरकार का पूरा ध्यान व्यवस्था सुधार पर होना चाहिए था उस समय वह फोटो शूट में बिजी है कभी वैक्सीन लगाने की शुरुआत तो आज सुबह तड़के ऑक्सीजन लेकर आने वाली ट्रेन के स्वागत में सरकार खड़ी दिखी। जनता ऑक्सीजन बेड आईसीयू,न मिलने से परेशान है दवाईयो की कालाबाजारी का खमियाजा भी मरीज के परिजनों को झेलना पड़ रहा है। यही नही सरकार के द्वारा जनता की सुविधा के लिए जारी किए गए नंबर भी काम नही कर रहे है। या यूं कहें कि अधिकारी उठा भी नही रहे कारण व्यवस्थाएं पर्याप्त नही है क्या जबाब दें। दावे भले ही कितने भी किये जायें लेकिन जमीनी हकीकत दावों से कोसो दूर है। जो रोजाना सैकड़ो की संख्या में लोग मर रहे उनकी जिम्मेदारी किसकी है? उतराखण्ड में लोग कोबिड बीमारी से कम व्यवस्थायो के शिकार ज्यादा हो रही है। सरकार द्वारा जिस गति से व्यवस्थाएं सुधारी जानी चाहिए थी उस गति से आगे नही बढ़ पा रही है।जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। अब जब सरकार कह रही है कि पहाड़ो में कोरोना पांव पसार चुका है, अब दबाव देहरादून पर ज्यादा होने वाला है पहाड़ो से लोग दून की और दौड़ लगा रहे है। पहाड़ के अस्पतालों की हालत किसी से छुपी नही अब भी सरकार पहाड़ी जनपदों पर ध्यान नही दे रही जबकि होना यह चाहिए था कि दुरस्त इलाको के मरीज को अपने घर के पास ही सुविधाएं मिल जाती तो वह मरीज को लेकर यहाँ वहाँ नही भटकता।

30 आईसीयू बीएड तैयार चालू नही
इसेसिस्टम का मजाक ही कहेंगे कि देहरादून के कोबिड केयर सेंटर में आईसीयू तीस बेड आज तक चालू नही हो पाए।लोग मर रहे है और सरकार सिस्टम जैसे सो गए हो। रायपुर स्थित कोबिड केयर सेंटर में इकहत्तर लाख रुपये की लागत से तीस आईसीयू लागये गए।खुद विधायक उमेश शर्मा के साथ सीएम की देखरेख में इनको तैयार किया गया लेकिन दुर्भाग्य देखिए रोज आईसीयू न मिलने के कारण दर्जनों मौते हो रही है और यहाँ तीस आईसीयू का संचालन ही नही हुआ।अगर यह सब भी सुरु हो जाते तो कई मरीजो की जाने बचाई जा सकती थी।

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