सुनो सरकार: जमीन पर हो रहा कोरोना का इलाज

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कोटद्वार(अवनीश अग्निहोत्री)। उत्तराखण्ड में डबल इंजन की सरकार आये दिन दावे कर रही है कि कोरोना से निपटने के लिए उसकी पूरी तैयारी है और उनकी टीम कोरोना मरीजों को बैड से लेकर ऑक्सीजन सिलेण्डर उपलब्ध करा रही है लेकिन कोटद्वार जैसे वीआईपी इलाके के सरकारी अस्पताल में जिस तरह से कोरोना मरीजों को इलाज के लिए जमीन पर लिटाया हुआ है वह यह बताने के लिए काफी है कि सरकार सिर्फ हवाबाजी के अलावा धरातल पर कहीं नहीं है? इससे बडा मजाक क्या हो सकता है कि अस्पताल में जमीनों पर पडे मरीजों को दवाई व उनके देखभाल भी उनके परिजनों को करनी पड रही है ऐसे में वह कैसे कोरोना के प्रकोप से बच पायेंगे शायद इसका जवाब तीरथ रावत सरकार के पास तो शायद नहीं होगा?
देश में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं से इस कोरोना महामारी में हर कोई रूबरू हो गया है। केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा बार बार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने की गला फाड़ के प्रचार प्रसार किया जाता है। लेकिन धरातल में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाली के आकड़े शून्य से भी नीचे पँहुच चुके है। डबल इंजन सरकार के उत्त्तराखण्ड प्रदेश से कोटद्वार के बेस चिकित्सालय की जंहा पर तीन सौ बेड हॉस्पिटल होने की बात हमेशा से होती आ रही है। लेकिन धरातल में अस्पताल तीन सौ बेड से कोसों दूर है। बेस चिकित्सालय के हालात इस कदर खराब हो चुके है कि मरीजो को बेड तक उपलब्ध नही हो पा रहे है। मरीजो को अपनी सांसे जिंदा रखने के लिए कोनो में फर्श का सहारा लेना पड़ रहा है, तीमारदार खुद अपने मरीजों का इलाज और खघ््याल रख रहे हैं जिससे मरीजो में संक्रमण का खतरा अधिक बना रहता है। अस्पताल के बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओ के बारे में प्रभारी सीएमएस से पूछ गया तो उन्होंने भी अस्पताल में बेड उपलब्ध नही होने की बात को स्वीकार किया। जो बेड अस्पताल में है वह भरे हुए है और जो मरीज रिकवर हो रहे है वह बेड छोडऩे को तैयार नही है और मरीजो की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

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