देहरादून(प्रमुख संवाददाता)। उत्तराखण्ड में कोरोना के मरीजों की तेजी के साथ हो रही मौतों ने भले ही सरकार के मुखिया के माथे पर बल डाल दिया हो लेकिन वह अभी तक इस बीमारी से लडने में धडाम हो चुके अपने सिस्टम को ठीक करने में सफल नहीं हो पा रहे हैं और यही कारण है कि अब सरकार के ही कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने निशाना साधते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री को एक स्वास्थ्य मंत्री की नियुक्ति करनी चाहिए जिससे यह सवाल खडा हो गया कि क्या कोरोना से लडने में मुख्यमंत्री असहाय हो चुके हैं। गजब की बात तो यह है कि रायपुर स्टेडियम में सरकार ने पांच सौ कोविड बैड तो लगा दिये लेकिन उनमें चंद बैडों को ही ऑक्सीजन बैड बनाना साफ इशारा कर रहा है कि किस तरह से सरकार का तंत्र आईसीयू बैड लगाने में फेल हो चुका है? सरकार दावे कर रही है कि कोरोना को रोकने के लिए पूर्ण लॉकडाउन लगाया जा सकता है लेकिन सवाल यह है कि घरों में आईसीयूलेट हो रखे कोरोना मरीजों को जिस तरह से आईसीयू बैड व वैल्टीनेटर बैड तक नहीं नसीब हो पा रहे हैं उससे तो आये दिन मौतों का मंजर उत्तराखण्डवासियों को देखना ही पड सकता है ऐसे में सरकार कब आईसीयू व वैल्टीनेटर बैड का सिस्टम बडे पैमाने पर कर पायेगी यह देखने वाली बात है?
मैदानों से लेकर पहाड़ों तक कोरोना महामारी कम होने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य में कोविड कफ्र्यू लगाया गया है। लेकिन इसका लाभ नही मिल रहा है, मरीजों की संख्या घटने के बजाय ओर बढ रही है जो चिंताजनक है। कोरोना संक्रमित की बढती रफ्तार के चलते पहले से दयनीय हालातो से गुजरते अस्पताल भी लडखडाने लगे है। जिस कारण मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पतालों में चक्कर लगाते हुए नजर आ रहे,तो बहुत से तो रोगी वाहन में ही दम तोड रहे है। जबकि शासन स्तर पर सुविधाएं जुटाने के प्रयास किया जा रहा है जो अब सफेद हाथी ही साबित हो रहा है। कोरोना हवा में, ओर सिस्टम सड़को पर रेंगता आ रहा है। सरकार ने पूर्व में कोरोना की जंग से लडऩे के लिए कोई तैयारी नहीं की है जिस कारण मौतों की संख्या में बेतहाशा इजाफा दर्ज हो रहा है। सरकार अभी भी अस्पतालों प्राण वायु,बैड व दवाओं की समुचित व्यवस्था कर पाने में असफल ही सिद्ध हो रही है। पहाड़ी जिलों में संक्रमित मरीजोंकी संख्या बढने से सबसे बडा दवाब ऋषिकेश व देहरादून के अस्पतालोंमें आ पडा है लेकिन वहां पर स्वास्थ्य सेवाएँ राम भरोसे ही चल रही है,यदि किसी मरीज को बैड मिल भी जा रहा है तो पहले से गिद्दो की तरह झपटकर मरीज आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण मर रहे हैं। राज्य के मुखिया रोज बयां जारी कर ये कह रहे है कि जिलों में आईसीयू बैड पर्याप्त है लेकिन नोडल अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि ये न के बराबर ही है। अब तो सूबे के मुखिया को उनके ही पार्टी के मंत्री भी कह रहे है कि राज्य में अलग स्वास्थ्य मंत्री की आवश्यकता है,मंत्री ने इशारो इशारो में मुख्यमंत्री की असफलता को उजागर कर दिया है।
राज्य में कोविड कफ्र्यू या लाक्डाउन लगाने का कोई औचित्य ही नहीं रह गया है। ऐसे में तो मरीज घर पर ही राम को प्यारा होता चला जायेगा। सूबे के मुखिया को उनके खबरी आखिर क्यों विफल करवाने के लिए तुले हैं,इस पर भी मुखिया के शुभचिंतकों को अपने निजी गुप्तचरों को सक्रिय करना पडेगा जिस ढंग से वातानुकूलित कमरों में योजनाएं व बैठकें कर कोरोना महामारी को रोकने के लिए कर रहे हैं जो वास्तविकतासे कोसों दूर है,जिसका लाभ स्वयं मुख्यमंत्री भी नहीं ले पा रहे हैं तो संक्रमित जनता जो भय में है उसके लिए तो ये योजनाएं अकाल ही साबित हो रही है।