सरकार के लिए मौतें सिर्फ एक आकंडा!

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देहरादून(प्रमुख संवाददाता)। अगर आप यह सोचते हैं कि संकट की इस घड़ी में मौजूदा सरकार आप के नेता आपके काम आने वाले हैं तो आप बहुत बड़ी गलतफहमी में जी रहे हैं अगर आप यह सोचते हैं कि कल तक जिन नेताओं की आवभगत में आप दिन रात एक कर रहे थे वह नेता आपकी एक कॉल पर आपके लिए बिस्तर का इंतजाम करवा देंगे तो आप गलत सोचते हैं उत्तराखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था मर चुकी है और सरकार के लिए इंसानों का मरना सिर्फ आंकड़े भर रह गया है यानी अगर आप मर रहे हैं तो सरकार के लिए इंसान नहीं सिर्फ सरकारी आंकड़े बढ़ रहे हैं।
गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक अव्यवस्थाओं का अभाव है आलम यह है कि अगर आप ढूंढने से भी एक ऑक्सीजन बेड को खोजने जाएंगे तो आपको वह नहीं मिलने वाला बेहद असंवेदनशील हो चुकी इस सरकार में नीति बनाने वाले लोग भला कैसे हैं यह तो सरकार ही जानती है लेकिन सरकार को जो व्यवस्थाएं करनी है वह ना तो 1 साल में हो पाए हैं और ना ही इन 2 महीनों में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को जमीनी हकीकत बताने वाले अधिकारी या तो उनसे झूठ बोल रहे हैं या मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत सब कुछ जानकारी के भी अंजान बने हुए हैं राजधानी देहरादून के दून अस्पताल के बाहर मरीजों की सांस फूल रही है लेकिन उन्हें कोई पूछने वाला नहीं है प्राइवेट अस्पताल पहले लाखों रिसेप्शन पर रखवा लेना चाहते हैं उसके बाद बिस्तर देंगे
सरकार और सरकार को चलाने वाले लोगों को राजा कहा जाता है और वोटरों को प्रजा कम से कम इलेक्शन के बाद तो यही होता है लेकिन आज उत्तराखंड की प्रजा तिल तिल दम तोड़ रही है लेकिन मजाल है सरकार के चेहरे पर जरा पसीना आ रहा हूं अधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री एसी कमरों में बैठकर बैठक बैठक खेल रहे हैं जिसका नतीजा यह हो रहा है कि हर रोज मौत का आंकड़ा आसमान छू रहा है जो नेता सड़कों पर निकले हैं वह अपने साथ 10–12 कैमरे लेकर चल रहे हैं ताकि उनकी हर एक मोमेंट को जनता के सामने इस तरह से परोसा जाए की नेता जी जनता के सबसे बड़े हिमायती हैं। सरकार का सबसे बड़ा ड्रॉबैक यह भी है कि अनुभवी अधिकारियों को बैठा रखा है और अनुभवहीन अधिकारियों को जिम्मेदारी दी जा रही है जब तक अधिकारियों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां होंगी तब तक न जाने कितनी जिंदगियां काल के गाल में समा जाएगी।

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