तो ऐसे टूटेगी कोरोना की चैन!

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प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड सरकार कोरोना के बढ़ते प्रकोप से बचने के लिए लम्बे समय से कुछ जिलों में कोरोना कर्फ्यू लगाये हुये है और राजधानी में भी कर्फ्यू कोरोना के चलते आम आदमी घरों में कैद है। पुलिस के डीजीपी अकसर सोशल मीडिया पर आकर आवाम को पाठ पढा रहे हैं कि मास्क पहनना व दो गज की दूरी से ही कोरोना पर काबू पाया जा सकता है लेकिन गजब बात तो यह है कि राजधानी पुलिस में वाहनों के ताबडतोड चालान करने का जो चस्का लगा हुआ है वह सरकार के लिए शुभ संकेत नहीं है? शहर के कुछ इलाकों में जिस तरह से पुलिस के कुछ लोग वर्दी के गुमान में वाहनों के बिना बात पर चालान करने का चक्र चला रहे हैं वह पुलिस महकमें की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा रहा है? गजब बात तो यह है कि पुलिस के कुछ लोग यहां तक दम भर रहे हैं कि अगर किसी भी व्यक्ति को अपना मरीज दिखाने व मेडिकल स्टोर से दवाई लेने के लिए जाना है तो पहले वह चौकी व थाने से परमिशन पास बनवाकर ही सडक पर आये ऐसे में सवाल उठता है कि अगर किसी मरीज की अंतिम सांसे चल रही हों तो क्या उसके परिवार को पहले पुलिस थाने जाकर वहां से पास लाना पडेगा? ऐसे फरमान से तो मरीजों की मौत का मंजर तेजी के साथ बढ जायेगा और यह आंकडा सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें डाल देगा? कोरोना कर्फ्यू में चालान भुगतने के लिए जिस तरह से लोगों को पुलिस ऑफिस के बाहर लम्बी कतार में खडे होने के लिए मजबूर होना पड रहा है उससे सवाल उठ रहा है कि क्या राजधानी में ऐसे कोरोना की चैन तोडने का सपना सरकार ने देख रखा है?
उल्लेखनीय है कि राजधानी में कोरोना के बढते प्रकोप ने हर आदमी के माथे पर चिंता की लकीरें डाल दी है और कोरोना कर्फ्यू को लेकर जिस तरह से पुलिस ने जगह-जगह बैरियर लगाकर वहां चैकिंग के लिए पुलिस बल तैनात किया हुआ है उससे कोरोना मरीजों के परिजनों को अस्पताल जाने व दवाइयां खरीदने के लिए पहले बैरियर पर लाइन में लगना पड रहा है। सवाल खडा हो रहा है कि इस कोरोना काल में जहां हर इंसान अपने मरीज को जीवनदान दिलाने के लिए जिस तरह से इधर-उधर भटक रहा है उनकी राह में कहीं न कहीं पुलिस के कुछ लोग भी रोडा अटकाने में लगे हुये हैं। इस काल में अगर पुलिस के कुछ लोग अपनी हठधर्मिता के चलते वाहनों के चालान काटने में अपने आपको नम्बर वन साबित करने के लिए आगे आयेंगे तो इससे आवाम के मन में सरकार को लेकर एक बडी नाराजगी पनपना शुरू हो जायेगी। कितनी हैरानी वाली बात है कि एक ओर तो राज्य के डीजीपी अशोक कुमार पुलिस बल को ईमानदारी का पाठ पढा रहे हैं लेकिन पुलिस के कुछ लोग कोरोना कर्फ्यू का फायदा उठाते हुए जिस तरह से कुछ वाहन चालकों से पैसे की मांग करने से भी पीछे नहीं हट रहे वह पुलिस महकमें की छवि पर बडा दाग लगा रहा है? ऐसे में डीजीपी को मोर्चा संभालते हुए सभी पुलिस कप्तानों को आदेश देने चाहिए कि बैरियरों पर तैनात पुलिसकर्मी जबरन वाहनों के चालान काटने के लिए आगे न आयें और जो इस काल में वाहन चालक से पैसों की मांग करे तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही अमल में लाई जाये। राजधानी के ट्रैफिक पुलिस कार्यालय के बाहर पुलिस द्वारा किये गये चालानों को भुगतने के लिए लोगों की लम्बी-लम्बी कतारें लगी हुई है वह हैरान करने वाली बात है और जिस तरह से काफी संख्या में लोग चालान भुगतने के लिए दो गज की दूरी है जरूरी पर अमल करते हुए नहीं दिख रहे हैं उससे सवाल खडा हो रहा है कि क्या ऐसी भीड़ से कोरोना अपनी रफ्तार तेज करेगा या फिर इसकी रफ्तार कम होगी?

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