मौतों के आंकडों से आवाम नाराज है सरकार?
प्रमुख संवाददाता
देहरादून। उत्तराखण्ड के सल्ट में हुये उपचुनाव में भले ही भाजपा प्रत्याशी इमोश्नल कार्ड खेलकर आज मात्र कुछ हजार वोटों से जीत गये हों लेकिन इस जीत से सरकार के हाकिम को गद्गद् नहीं होना चाहिए क्योंकि जिस चुनाव में समूची सरकार मैदान में उतरी हुई थी वहां सिर्फ चंद हजार वोटों से पार्टी प्रत्याशी की जीत भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं माने जा सकते? एक ओर तो मुख्यमंत्री के सामने विधानसभा चुनाव में जाने के लिए मात्र कुछ माह का समय ही बचा है और मौजूदा दौर में जिस तरह से समूचे राज्य में कोरोना से हो रही मौतों का आंकडा आये दिन राज्यवासियों को डरा रहा है उससे आवाम के मन में सरकार को लेकर एक बडी नाराजगी देखने को मिल रही है? भले ही सरकार का स्वास्थ्य महकमा आये दिन दावे करता रहे कि कोरोना की इस जंग से लडने के लिए उनका समूचा सिस्टम एलर्ट है लेकिन यह भी सच है कि जिस तरह से एक ऑक्सीजन बैड और ऑक्सीजन सिलेण्डर हासिल करने के लिए कोरोना मरीज के परिजनों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक का सफर आंखों में आंसू लेकर तय करना पड रहा है वह यह बताने के लिए काफी है कि सरकार के मुखिया को स्वास्थ्य महकमें के कुछ अफसर हकीकत का आईना दिखाना ही नहीं चाहते जिससे कि यह साफ हो सके कि कोरोना से किस तरह सरकार का सिस्टम जंग लडने के लिए तैयार हो रखा है? सरकार सल्ट की जीत पर खुशी मनाने के लिए अपनी टीम के साथ कहीं भी आगे आने से जरूर बचना नहीं तो राज्यवासी यह सवाल जरूर उठायेंगे कि जीत का जश्न अगर सरकार अपने घर के अन्दर भी मना रही है तो फिर राज्य में कोरोना से हो रही मौतों पर सरकार कब मातम मनायेगी?
उल्लेखनीय है कि सल्ट में हुये उपचुनाव के कैसे परिणाम आयेंगे इसका तो पहले से ही आंकलन लग चुका था क्योंकि समूची सरकार भाजपा प्रत्याशी को चुनाव जीताने के लिए सल्ट में डेरा डाले हुये थी। वहीं कांग्रेस के अधिकांश राजनेताओं को यह डर था कि जिस तरह से कांग्रेसी नेता रंजीत रावत ने इस चुनाव में पार्टी प्रत्याशी से अपनी दूरी बनाकर रखी हुई है वह कहीं भीतरघात का रूप न ले ले? आज आये परिणामों में भाजपा प्रत्याशी की जिस तरह से मात्र कुछ हजार वोटों से जीत हुई है वह जीत भाजपा के लिए एक ंिचता का विषय होना चाहिए क्योंकि जिस प्रत्याशी को चुनाव जीताने के लिए समूची पार्टी ने सल्ट की जनता के सामने इमोश्नल कार्ड खेल रखा था उसे देखते हुए तो यह जीत दस-पन्द्रह हजार मतों से होनी चाहिए थी लेकिन जीत का अन्तर कम होने से भाजपा के लिए मौजूदा समय गद्गद् होने का नहीं है और मौजूदा समय में जिस तरह से कोरोना काल में उत्तराखण्ड के अन्दर आये दिन हो रही मौतों से त्राहिमाम मचा हुआ है और सरकार सिर्फ फेसबुक पर अपने आपको कोरोना से लडने के लिए अलर्ट होने का दम भर रही है वह राज्यवासियों के मन में एक बडा आक्रोश पैदा कर रहा है?